जब अनंत आकाश भी दहल उठता था…
मुख मौन हैं…
महिमायें आपके सामने गौण हैं…
माँ भारती का शक्तिध्वज…
फहराने बचा ही कौन है…
सूनी पड़ गई ये धरती…
आपके अलविदा कह जाने से…
जब अनंत आकाश भी दहल उठता था…
आपकी मिसाइल टकराने से…
सच्ची श्रद्धांजलि के लिए युवाओं को…
आगे आना होगा…
कलाम अलख भीतर जगा…
माँ भारती को मनाना होगा…
हे कलाम उदास मत होना हम आयेंगे हम आयेंगे…
आपकी प्रेरणा की ताकत ले स्वप्न उड़ान भर जायेंगे…।।