बिहार में आगामी चुनाव के मद्देनज़र सभी 40 सीटों पर राजनीतिक पार्टियों ने चुनावी रणनीतियों पर काम करना शुरू कर दिया है। इसी क्रम में इंडिया गठबंधन के तहत कांग्रेस 10 सीटों पर दावेदारी कर रही है। आपको बता दें कि पिछली बार कांग्रसे ने 9 सीटों पर चुनावी दांव खेला था, जिसमें सिर्फ किशनगंज में ही पार्टी का परचम लहराया था।
कांग्रेस पुरानी 9 सीटों में से 4 सीटों को छोड़कर 5 नई सीटों पर दावेदारी का मन बना रही है। इस बार पांच नई सीटों की आस गठबंधन का गणित बिगाड़ सकती है। क्योंकि पिछली बार जिन सीटों में कांग्रेस ने चुनावी दांव खेला था। उन सीटों को कांग्रेस के खाते में देना आसान था लेकिन अब पांच नई सीटों पर दावेदारी देना महागठबंधन के लिए मुश्किल हो सकता है।

बिहार में कांग्रेस जो पांच नई सीटों पर चुनाव लड़ने का मान बना रही है। वहां पहले से कुछ सीटों पर जदयू का क़ब्ज़ा है तो कुछ सीटों पर वामदल भी ज़ोर आज़माइश का मन बना रही है। ऐसे में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस की दावेदारी पर लालू यादव और नीतीश कुमार सीट बंटवारे को लेकर हस्तक्षेप कर सकते हैं।
महागठबंधन के नेताओं की मानें तो हक़ीकत में सिर्फ 5 से 6 सीटों पर कांग्रेस के जीत की संभावना है। कांग्रेस का जैसा पुराना प्रदर्शन रहा है और मौजूदा जातीय समीकरण को देखते हुए ही सीट का बंटवारा होगा। फिलहाल कांग्रेस की पसंद बेगूसराय, किशनगंज, कटिहार, सुपौल, समस्तीपुर, सासाराम, मधुबनी, दरभंगा, पूर्वी चंपारण और नवादा है। वहीं अब मुंगेर, पूर्णिया, पटना साहिब और वाल्मीकिनगर से दावेदारी नहीं चाह रही है।
कांग्रेस की दावेदारी में जुड़ी नई सीटों में बेगूसराय, दरभंगा, मधुबनी, पूर्वी चंपारण और नवादा का नाम शामिल गै। वहीं कटिहार, वाल्मीकिनगर और समस्तीपुर सीट पर माले भी दावेदारी करती रही है। बेगूसराय सीट पर भाकपा दावा ठोक रही है। वहीं समस्तीपुर लोकसभा सीट पर माकपा टिकट चाह रही है। टिकट दावेदारी पर सियासी जानकारों का कहना है कि जिस सीट पर पार्टी जीत दर्ज करती है, या निकटतम प्रतिद्वंदी रही है। उस पर दावेदारी करना सही रहता है।
कांग्रेस जीत के इस फ़ॉर्मूले को नज़रअंदाज़ करते हुए पिछली बार के चुनावों में हारी हुई सीटों में जहां पर निकटतम प्रतिद्वंद्वी थी, उसमें से चार सीटों पर दावा नहीं करने चाह रही है। जबकि इन सीटों पर कांग्रेस जीत दर्ज कर सकती है। वहीं जिन नई सीटों पर दावेदारी कर रही है, उनमें से पूर्वी चंपारण और नवादा सीट पर राजद खुद अपने प्रत्याशी उतारना चाह रही है।
दरभंगा लोकसभा सीट पर जदयू मेहनत कर रही है, वहीं जातीय समीकरण के एतबार से मधुबनी लोकसभा सीट पर राजद दांव खेलना चाहती है। कटिहार लोकसभा सीट पर कांग्रेस के तारीक अनवर खुद को चुनावी दंगल में उतारने की सोच रहे हैं, लेकिन कांग्रेस वहां दावेदारी नहीं चाह रही है। ऐसे में कहा जा सकता है कि कांग्रेस की चाहत 'इंडिया गठबंधन' का गणित बिगाड़ सकती है।