भाग 11
उसकी मां अपने पति को मारा देख जोर जोर से चीख कर रोने लगती हैं तो धरम मां की तरफ देख चीखता है *" नही ये नही हो सकता है,*" धरम चीखता हुआ उठता है , उसके चेहरे पर पसीने कि धर सी बन जाती है ,उसकी धड़कन एक दम से बढ़ गई थी, वह ग्लास में रखा पानी पीता है, तभी सिपाही आकर आवाज देता है *" क्या हुआ भाई कोई सपना देखा क्या*"?? वह चुप चाप लेट जाता हैं,!!
सुबह धरम फ्रेश हो कर बैठा था ,सतीश ने उसे ब्रेक फास्ट भिजवा दिया था, वह ब्रेक फास्ट कर फ्री हुआ तभी सिपाही आकर कहता है *" चलो साहब बुला रहे हैं,*"!!वह उठता है और बाहर निकलता है,!!
सतीश उसको सामने वाले सीट पर बैठने को कहते हैं,वह चुप चाप नमस्ते कर बैठता है,सतीश उसको देख कहते हैं,*" अभी 11 बजे हमारी पेशी है 10 मिनट में हम निकल जायेंगे , यहां से फ्री होने के बाद शांति से अपनी जिंदगी बिताना ,और एक बात मैं चाहता हूं कि तुम्हारे कॉलेज में जो गड़बड़ी हो रही है उसके तह तक जाकर उस कमीने मंत्री को अंदर डालना है उसने बहुत बेइज्जती कि है हमारी ,और उसमे हमे तुम्हारी सहायता कि जरूरत पड़ेगी, *"!! धरम उसकी तरफ देखता है और कहता है*" सर उन्हे बरबाद करने के लिए जो भी होगा मैं करूंगा ,उसी की वजह से मैंने दो दिन में कितनी बार मरा हूं ये मेरा दिल जनता है , जिसने कभी कॉलेज और घर के अलावा दूसरा रास्ता नहीं देखा था ,उसने सब कुछ देख लिया , सर इन्होंने मेरा भोलापन देखा है ,अब मेरा दूसरा रूप इनके लिए भारी पड़ेगा ,*"! सतीश धीर कहते हैं *" जो भी करना कानून के दायरे में करना और तुम्हे कुछ करने कि जरूरत नहीं है , सिर्फ हमे इशारा कर दो बस हम निपट लेंगे अपने हिसाब से ,*"! तभी हवलदार आकर कहता है *" सर गाड़ी आ गई है , चले *"! सतीश उठता है और धरम भी खड़ा होता है, *"!
कोर्ट में उसके मां और पिता जी भी आए हैं , उसको देखते ही मां कि आंखो में आंसु आते हैं, धरम सतीश की ओर देखता है तो वह मिलने का इशारा करता है ,सतीश ने यह सब बड़े सिक्रेट तरीके से किया था वरना मीडिया भी आ जाती जो बेवजह का बखेड़ा करती रहती है,धरम अपनी मां और पिता के पैर छूकर प्रणाम करता है तो मां उसे गले लगा कर रोने लगती है, धरम मां को देखता है और कहता है *" मां तुम्हे तो मुझ पर विश्वास हैं ना ,*"!! मां उसका माथा चूमते हुए कहती है ,*" बेटा तू मेरा खून है और मुझे अपने खून पर पूरा विश्वास था ,और है, सारी दुनियां कुछ भी कहे पर मैं और तेरे बाबूजी तुझे जानते हैं ,*"! तभी सिपाही आकर कहता है*" चलो अब अपना नंबर आने वाला है ,वह मां और बाबूजी को देखकर जाता है,*"!
मजिस्ट्रेट के सामने सभी लोग खड़े हैं ,एक तरफ राजेश ,फोटोग्राफर ,और वह लड़की खड़ी है,और एक तरफ धरम खड़ा हैं धरम के साथ सतीश भी खड़े हैं , मजिस्ट्रेट साहब उनका केस देखते हैं और फिर लड़की को डांटते हुए कहते हैं,*" तुम्हे शर्म आनी चाहिए ऐसी हरकते करते ,तुम्हारी एक गलत हरकत से किसी शरीफ कि जिंदगी बरबाद हो जाती है, अगर ऐसा कुछ तुम्हारे साथ हो तो कैसा लगेगा,*"! लड़की चुप चाप सर झुक कर सब सुनती है,फिर राजेश और फोटोग्राफर को भी डांटते है,और कहते हैं ,कानून अपराधियों को सजा देने के लिए बना है उसके साथ खिलवाड़ करने के लिए नही ,यह तुम सबकी पहली गलती है , ये मानते हो ना,*"! सभी हां में सर हिलाते हैं,फिर मजिस्ट्रेट साहब लड़की से कहते है *" तुम अब ऐसी कोई गलती नही करोगी ना और जो कुछ लिखा है उसे मान रही हो ना,*"!! वह भी हां में सर हिलाती है, मजिस्ट्रेट साहब धरम को देखते हैं और फिर कहते हैं *" ,तुम्हारे साथ जेपी भी हुआ गलत हुआ पर कानून की इसमें कोई गलती नही है ,कानून का तो काम है ,जो भी दिखे उसे मानना,हां सतीश धीर जैसे ऑफिसर्स कि जरूरत है जो केसेस को अपने हिसाब से समझ कर गलत सही को देखते हुए इंक्वायरी करे , मैं सतीश धीर जैसे ऑफिसर्स को धन्यवाद देना चाहूंगा जो की सही इंसाफ करने में कानून कि मदत करते हैं, मैं इन तीनो से कोर्ट और कानून की अवमानना के अपराध में लिखित माफीनामा चाहता हूं जो ये अभी इसी वक्त देकर जायेंगे ,और धरम शर्मा पुत्र मदन शर्मा को बाइज़्ज़त बारी करता हूं ,फरियादी ने अपना केस वापस ले लिया है और वह लिखित माफी दे चुके हैं इसलिए कोई केस बनता ही नही, है तो इन्हे तुरंत कस्टडी से रिहा करने का आदेश देता हूं, *"!! वह अर्दली को देख नेक्स्ट केस के लिए आवाज देने के लिए कहते हैं ,सतीश उन्हे सैल्यूट कर वहां से चलते हैं ,धरम भी प्रणाम करता है, और सतीश के पीछे जाता है , उन तीनो को टाइपिस्ट वही माफीनामा लिखवाना शुरू करती है ,*"!!!
क्रमशः