भाग 15
धरम के माता पिता दोनो को कोई बता देता है कि उसके बेटे धरम को गगन ने घेर लिया है और उसे मारने पर उतारू हैं ,दोनो घबराकर घर से भागते हुए वहां पहुंचते हैं ,!
वहां पर लोगों कि भिड़ देख घबरा उठते हैं , और एक से पूछते हैं *" अरे भैया मेरे बेटे धरम को देखा है, *"! वह आदमी मास्टर जी को जनता था वह कहता है*" अरे मास्टर जी वाह आपका लडका है ,क्या जानदार लड़का पैदा किया है, अरे भाईयो मास्टर जी का लड़का है अपना धरम भाई,*"!!
सभी लोग मास्टर जी और माता जी को प्रणाम करते हैं ,एक दो तो पैर भी छू लेते हैं ,दोनो अचंभित रह जाते हैं कि यह हो क्या रहा है, सभी उन्हे रास्ता देते हैं तो वह देखते हैं धरम सामने के छोटे रेस्टोरेंट में बैठा ठंडा पी रहा है, वह मां और बाबूजी को देख खड़ा होता है, मां उसके पास जाकर पूछती हैं*" बेटा सुना गगन ने तुझे घेर लिया था*"!!?
होटल मालिक भोला कहता है ,*" घेरा तो था पर धरम भाई ने जो घुसे बरसाए कि वह सब कॉलोनी ही छोड़ गए, आइए आप दोनो बैठिए क्या पिएंगे चाय ,कॉफी ,ठंडा *"!! मदन जी माना करते हैं और धरम से कहते हैं, *" चलो बेटा घर चलो ,हम तो घबरा गए थे, *"!! धरम उनकी तरफ देखता है , और फिर उठकर एक ऑटो वाले को हाथ देता है तो ऑटो वालो तुरंत आता है, वह तीनो ऑटो में बैठते हैं ,ऑटो वाला घर की तरफ जाता है ,वह कॉलोनी का ही रहने वाला था इसलिए उसे धरम का घर पता था, *"!
ऑटो वाला उन्हे छोड़ता है,धरम पैसे देने लगता है वह नही लेता है ,और कहता है*" भाई क्यों शर्मिंदा कर रहे हों, ये आपकी गाड़ी है जब कहीं जाना हो बोल देना मैं आ जाऊंगा ,*"! वह ऑटो लेकर जाता है,*"!
धरम फ्रेश हो चुका है ,वह खाना खाने बैठता है ,मदन शर्मा कहते हैं*" बेटा मैं अपना ट्रांसफर करवा लेता हूं ,हम लोग यह शहर छोड़ देंगे,वहां कोई न कोई रास्ता निकाल लेंगे , *"!
धरम कहता है*" नही बाबूजी ,!! जब तक इस शहर से अपना बदला नही लूंगा तब तक मैं कहीं नहीं जाऊंगा ,हां यदि आप लोगो को मेरे कारण बेइज्जती महसूस होती है तो आप लोग जा सकते हैं में यहां का काम निबटा कर आ जाऊंगा, *"!!
मदन अपनी पत्नी विद्या की ओर देखते हैं तो वह उन्हे शांत रहने का इशारा करती हैं, धरम खाना खा कर अपने कमरे में जाता है , रात भी हों चुकी थी पूरा दिन भाग दौड़ में ही गुजरी थी,ऊपर से दो घंटे उस गुंडे गगन ने बिगड़ दिए थे,वह बेड पर पड़ते ही सो जाता है,!!
निकिता अपने कमरे में बेड पर पड़ी सोच रही थी कि धरम कि जिंदगी बरबाद करने में उसका सबसे अधिक हाथ है ,उसी के जिद्द कि वजह से वह कॉलेज का चुनाव लडने को तैयार हुआ था,और जब वह रेप अटैंप केस में फसा तो उसके पिता के वजह से वह उस से मिलने भी नही जा सकी थी और इसी कारण शायद धरम उस से और अधिक चिढ़ गया था, अब वह उसे कैसे समझाए ,वह सोचती है कि कल वह सीधे उसके घर ही जायेगी और वही उसे अपनी बात बताएगी, वह करवट लेकर उसके बारे में सोचने लगती हैं, *"!
दुष्यंत सिंह को नींद ही नहीं आ रही थी ,बार बार उन्हे अपने गाल पर पड़े धरम के चाटे कि याद आ रही थी तो वह अपने गाल को छूकर देख लेते थे ,अभी भी वहां उसके चार उंगलियों के निशान उभर के रूप में मौजूद थे, वह एक आदमी को फोन लगाता है ,सामने लतीफ भाई फोन उठाता है और जोरदार सलामी देता है,*" सलाम वाले कुम भाई जी ,बहुत दिन बाद इस गरीब की याद आई ,,*"??
दुष्यंत कहता है *" कैसा है लतीफ ,कहां है *"!!?
लतीफ कहता है *" भाई जी आपके चरणों में ही हूं , आपकी दुआ से सब खैरियत है, कुछ तो खास बात है तभी आपने इस कनीज को याद किया ,बताइए किसका गेम बजाना है, "!
दुष्यंत उसको धरम के बारे में बताता है, और कहता है *" किसी भी एंगल से मेरा नाम नही आना चाहिए इतना समझ के काम करना ,काम होने जो बोलोगे मिल जायेगा ,*"!
लतीफ कहता है*" भाई जी आपका हाथ सर पे है बस इतना बहुत है ,बाकी तो आपको जो करना होता है वह तो कर ही देते हैं, आप बेफिक्र रहिए सुबह आपका काम हो जायेगा *"!
दुष्यंत फोन रख कर बड़बड़ाता है*" साले को ऐसा तड़पाऊंगा की जिंदगी भर पछताएगा कि मुझ पर हाथ क्यों उठाया,अपने आप को पता नही क्या समझता है, कल के बाद मैं उस से मिलूंगा*"!
राजेश अपने कमरे में है ,उसे दुष्यंत ने एक तीन कमरों का एक छोटा सा बंगलो रहने के लिए दिया है , उसमे वह आज एक लड़की को बुलाया है ,आज निकिता की वजह से उसका मूड खराब हो गया था तो उसको ठीक करने के लिए दूसरी व्यवस्था कर लिया था ,वैसे भी उसके पास लड़कियों की कमी नहीं थी, फिर भी उसके दिमाग में निकिता ही घूम रही थी ,जबकि निकिता उस से नफरत करती थी ,*"!!
क्रमशः