भाग 12
धरम कोर्ट से बाहर निकलता है और मां पिता जी के पैर छूकर कहता है ,*" आप दोनो के आशीर्वाद से मैं बेदाग निर्दोष साबित हो गया , " "! मां उसे गले लगाते हुए कहती हैं,*" हमें तो भगवान पर पूरा विश्वास था ,मेरा बेटा कभी गलत नही हो सकता है ,*" ! वह पिता की तरफ देखता है तो वह उसके सर पर हाथ फेरते है ,और चलने के लिए कहते है ,तभी सतीश आता है तो उसके पिता हाथ जोड़कर कहते हैं*" आप भी मेरे बेटे जैसे ही हैं, आप ने हम पर बहुत कृपा कि है ,इसे बचाकर हम आपका यह अहसान कभी उतर नही पाएंगे,*"! सतीश धीर कहते हैं *" ये तो गलत बात है अंकल जी एक तरफ आप बेटा भी कह रहे हैं और दूसरी तरफ अहसान कि बात भी कर रहे हैं, पहली बात मैने कोई अहसान या कृपा नही किया है ,मुझे लगा कि ये निर्दोष है तो मैने अपनी ओर से इसे निर्दोष साबित करने कि कोशिश की ,बस ये समझिए मैने अपना सही फर्ज निभाया है ,*"! वह हाथ जोड़ते हैं ,सतीश धरम से कहता है *" मैने जो कहा है वह याद रखना, *"! धरम सर हिलाकर हां में इशारा करता है,*"!
तीनो ऑटो से घर पहुंचते हैं, आस पड़ोस के लोग बाहर निकल कर देखने लगते हैं, धरम कि मां जानबूझकर अपनी पड़ोसन से जोर से बोलती हैं *" जज साहब ने निर्दोष साबित कर बाइज्ज़त बरी किया है,बेवजह मेरे बच्चे को फसा रहे थे, कोई उसका रिप्लाई नही देता है, हमारे यहां लोग खुद कुछ भी करे पर दूसरे कि गलती न भी हो और पता चले की वह जेल में रात गुजार के आया है तो वह बहुत बड़ा अपराधी हो जाता है,सब के सब धरम को ऐसे देख रहे थे जैसे वह कोई दरिंदा है ,एक अपनी बेटी को डांटते हुए कहती हैं *" चल रे छोरी ,बाहर क्या खड़ी है ,अब ये मोहल्ला रहने लायक नहीं रहा है , है तो कहीं और चले जाएंगे ,आने दे तेरे बाप को जल्दी से इसे बेच के कहीं और चले जाएंगे,*" ! वह जबरन बेटी को अंदर की तरफ धकेलती है, जबकि असल बात ये है ,की उसकी बेटी के अपने पड़ोस के लड़के के साथ चक्कर चल रहा है तो इन लोगो का प्लान काफी दिनों से यह कॉलोनी छोड़ने का चल रहा है ,एक बार तो यह बात उसने धरम कि मां से भी कहा था,*" देखो ना दीदी कैसे लोग रहते हैं , अपने लडको को सम्हाल नही सकते , सांड कि तरह छोड़ रखा है ,इधर उधर मुंह मारने के लिए ,दीदी उसका कमीना लड़का मेरी सीधी साधी बेटी के पीछे ही पड़ा रहता है ,यह कॉलोनी अब रहने लायक हो नही रहा,जबकि हकीकत तो ये है कि उनकी लड़की ही लडको को देखा करती हैं ,वह खुद पड़ोसी के लड़के के पीछे पीछे घूमते रहती हैं ,इस बात दोनो कि माताओं में धर्म युद्ध कई बार हो चुका है ,दोनो एक दूसरे का बड़े प्यारे प्यारे गलियों से कई बार स्वागत कर चुके हैं ,कई बार एक दूसरे के बालों को भी संवारने का प्रयास कर चुकी हैं, पर लोग बेवजह उनकी प्यार भरी बातो में टांग अड़ा देते हैं ,लोगो को भी फ्री का शो देखने में भी तकलीफ होती हैं, खैर वह बेटी को धकेलकर खुद भी मुंह बिचकाते हुए अंदर जाती है और जोर से दरवाजा बंद करती हैं, और जोर जोर से सबको सुनाती हुई बडबडा रही है ,धरम मां से घर में चलने को कहता है, तीनो अंदर जाते हैं, बाहर लोग ऊंची ऊंची आवाज में धरम के बारे में उल्टा सीधा बोल रहे हैं ,ये वही लोग हैं जो अपने बच्चो को एग्जाम के समय मास्टर साहब और धरम दोनो के पास ही फ्री में पढ़ने के लिए जबरन भेज देते थे,*"!
धरम सुबह सुबह तैयार होकर निकलने लगता है तो उसके पिता कहते हैं *" बेटा लोगो की बात का बुरा मत मानना ये सब कुछ दिन कि बात होती है , बाद में यही लोग फिर तुम्हारी तारीफ भी करेंगे, बस शांत रहो ,धरम अपने सीधे साधे पिता को देखता है , और फिर कॉलेज के लिए निकल जाता है, "!
कॉलेज में भी करीब करीब यही हाल था ,उसे देख निकिता उसके पास भागकर आती हैं और कहती है *" धरम वेलकम टू कॉलेज ,सॉरी मैं पुलिस स्टेशन में नही आ पाई थीं क्यों नहीं आई वह में तुम्हे शाम को बताऊंगी, *"!! उसके कुछ फ्रेंड्स भी यही कहते है धरम उनकी तरफ देखता है और फिर प्रिंसिपल के ऑफिस में जाता है, और दरवाज़ा नॉक करके पूछता है *" आई एम कम इन सर, *!! प्रिंसिपल साहब उसे बुलाते हैं,*" आओ आओ धरम ,अंदर आजाओ,*"! धरम अंदर जाकर उन्हें नमस्ते करता है और कहता है*" सर आप तो पूरा मेरा साथ देने वाले थे , आपने ही तो जबरन इस चुनाव के लिए तैयार किया था ,और वो निकिता उसने भी अपने प्यार का वास्ता देकर मुझे चुनाव लडने के लिए मजबूर किया था, *"!! प्रिंसिपल उसकी तरफ देख कुछ कहना चाहते है*"!
क्रमशः