मध्य प्रदेश के जबलपुर को संस्कारधानी भी कहा जाता है। जबलपुर सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से एक अलग महत्व रखता है। आज हम आपको जबलपुर में स्थित माता रानी के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो कई मायनों में अनूठा है। इस मंदिर का नाम है पचमठा मंदिर जो मुख्यतः श्री महालक्ष्मी को समर्पित है।
इस मंदिर में तीन बार रंग बदलती है मां की मूर्ति।
जबलपुर में स्थित स्थित श्री मां महालक्ष्मी शक्तिपीठ, पचमठा मंदिर अपने आप में एक विशेष महत्व रखता है। इस मंदिर को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं। वैसे तो सप्ताह के सातों दिन यहां भक्तों का तांता बंधा रहता है, लेकिन शुक्रवार के दिन यहां विशेष भीड़ देखने को मिलती है। आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें।
ये है इस मंदिर की खासियत
इस मंदिर में हर सुबह सूर्य की पहली किरण धन की देवी लक्ष्मी जी के चरणों पर पड़ती है। इसके बाद सूर्य की किरण देवी लक्ष्मी के मुखमंडल पर पड़ती है। इस दौरान कुछ पल के लिए सूर्यों के प्रकाश के कारण मां की मूर्ति सोने की दिखाई देती है। बताया जाता है कि ये प्रतिमा दिन में तीन बार अपना रंग बदलती है।
भक्तों के अनुसार, सुबह के समय यह प्रतिमा सूर्य की किरणों की वजह से सफेद रंग की दिखाई देती है। वहीं, दोपहर में इसका रंग पीला हो जाता है और शाम को मां लक्ष्मी की प्रतिमा नीली दिखाई पड़ती है। वहीं, इस मंदिर को लेकर यह भी कहा जाता है कि जो भी भक्तगण इस मंदिर में मां महालक्ष्मी के दर्शन करता है उस भक्त की मनचाही मुराद पूरी होती है।
इतना पुराना है मंदिर का इतिहास
मान्यताओं के अनुसार मंदिर का इतिहास 1100 वर्ष पुराना है। इस मंदिर के गर्भगृह में अष्टदल कमल, द्वादश राशि व नवग्रह और महालक्ष्मी की मूर्ति विराजमान है। इस मंदिर की एक खास बात यह भी है कि 25 वर्ष से अखंड-ज्योति जल रही है, जिसमें भक्तों की अटूट आस्था है। मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए यहां नारियल को रक्षा सूत्र में बांधकर रखा जाता है। अन्नकूट के अलावा दिवाली के विशेष अवसर पर भी श्री मां महालक्ष्मी को 56 भोग अर्पित किए जाते हैं।