धनतेरस: धन की बौछार से रौंगत भरा त्योहार।
धनतेरस, हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार भारत में धन और समृद्धि की प्राप्ति का प्रतीक है, जिसे लोग बड़े श्रद्धाभाव से मनाते हैं।
धनतेरस का अर्थ होता है 'धन की त्रयोदशी' और इसे धन्वंतरि जयंती भी कहा जाता है, जो अयुर्वेद के देवता हैं। इस दिन लोग धन और सुख-शांति की प्राप्ति के लिए भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं और नए धन की प्राप्ति के लिए कई प्रकार की आराधनाएं करते हैं।
सामंजस्य, लोग इस दिन सोने या चांदी के आभूषण खरीदकर अपने घर को सजाते हैं, जिसका मान्यता से उन्हें धन का आगमन होता है। धनतेरस का महत्व इसमें है कि इस दिन लोगों को नए उपायों का आरंभ करने का उत्साह होता है, और वे अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन करने का संकल्प करते हैं।
धनतेरस एक महत्वपूर्ण पौराणिक कथा के साथ जुड़ा हुआ है, जो कहती है कि इस दिन भगवान धन्वंतरि सागर मंथन के समय अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे। इसलिए धनतेरस को अमृत कलश लेने का शुभ मुहूर्त माना जाता है।
धनतेरस का उत्साह और श्रद्धा भरा माहौल लोगों को एक-दूसरे के साथ जोड़ने और आपसी समरसता को बढ़ावा देता है। इस दिन को अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर धनतेरस की खासी भविष्यवाणी करने का समय माना जाता है।
धनतेरस एक ऐसा अवसर है जब लोग अपने जीवन में नए आरंभों के लिए संकल्प लेते हैं और नए सपनों की ऊंचाइयों की प्राप्ति के लिए प्रेरित होते हैं।
धनतेरस एक महत्वपूर्ण हिन्दी त्योहार है जो धन और समृद्धि की कामना के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग धनतेरस के मौके पर सोने या चांदी के आभूषण खरीदकर अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार करने का प्रयास करते हैं और धन की वृद्धि के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस दिन का महत्व भारतीय समाज में बहुत उच्च है और यह एक आत्मनिर्भर और समृद्धि भरा संकेत है।