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फैंटेसी

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अमोलक जी घाट की राबड़ी का आनंद लेने लगे । उनकी इच्छाओं का भी ध्यान रखने वाला कोई तो इस दुनिया में है यह जानकर उन्हें बहुत खुशी हुई । उनके मन में शीला चौधरी के लिए कितना सम्मान है, कोई उनके हृदय में उत

एक वैंपायर थी जो बड़ी हसीन थी  बड़ी खूबसूरत बड़ी दिलनशीन थी  ना जाने कितनों का खून पी चुकी ना जाने कितनों की जान ले चुकी  उससे सब लोग खौफ खाया करते  उसके डेरे से बचकर जाया करते&nbs

अमोलक जी कब से इंतजार कर रहे थे कि लाजो फोन पर बात करना बंद करे तो वे "घाट की राबड़ी" का सेवन करें । जब से चौधराइन जी ने घाट की राबड़ी भेजी है तब से उनका मन उसी में अटका हुआ है । इस चक्कर में तो उन्हो

नजरों ने नजरों से जाने क्या कहा दिल ने न जाने क्या क्या सुन लिया मुस्कुराहटों के फूल बरसने लगे कस्तूरी महक में हम लरजने लगे शाम का खुमार दिल पे छाने लगा दिल अब तेरी मुहब्बत मे

कानपुर का मौसम आजकल कानपुर शहर का मौसम बहुत चर्चित है । हो भी क्यों नहीं । आखिर जून का महीना है और जून में तो उत्तर भारत में चिलचिलाती धूप रहती है जिसके कारण तापमान एवरेस्ट की तरह ऊंचा हो जाता है

हरिवचन - 1 साथियो, कोरोना संकट में हम लोगों के लिए युद्ध स्तर पर जुटे समस्त डॉक्टर, मेडिकल टीम, सर्वे टीम, सफाई कर्मी , पुलिस प्रशासनिक अधिकारी , राजनेता, स्वयंसेवी संगठन आदि के अनथक परिश्रम , सेवा भा

काजल के पापा राजेश अपनी पत्नी सीमा को एक लड़के का फोटो दिखाते हुए बोले "आर्यन है ये । नामी गिरामी उद्योगपति मुंजाल साहब का बेटा । कितना स्मार्ट है ? इसका रिश्ता आया है काजल के लिए ।  बोलो क्या कह

अहसासउनके जाने से पता चलाकि जान कैसे जाती हैहर एक पल हर एक घड़ीअहमियत उनकी , समझाती है ।बहुत इन्तजार था कि मनायेंगे जश्न -ऐ-आजादीआती जाती हर सांस मगरगुलामी की दास्ताँ कह जाती है ।ना व्हाट्सएप का ह

गीत : जबसे तुमसे मुहब्बत हम करने लगे  जबसे तुमसे मुहब्बत हम करने लगे  खूबसूरत से अरमान सजने लगे  बेकरारी में हद से गुजरने लगे  अनगिनत सपने आंखों में पलने लगे  जबसे तुमसे मुहब्

जब भी ये मन उदास होता है  यादों का साया आसपास होता है  तेरे खयालों में डूब जाता है दिल  वो पल मेरा बहुत खास होता है  खुलते बंद होठों की अनकही  लरजते जिस्म की वो कंपकंपी 

"आज नाश्ते में क्या बनाऊं,मम्मी" लाजो जी जैसे नींद से जाग पड़ी । इतनी मीठी आवाज ! उसे विश्वास ही नहीं हुआ कि यह आवाज उसकी बहू रितिका की है । उसने कन्फर्म करने के लिये अपना चेहरा आवाज की ओर घुमाया । सा

जबसे उनसे आंखें लड़ी हैं , बिन पिए कुछ ऐसी चढी है  जलती हुई जेठ की दुपहरी लगती सावन की सी झड़ी है  धड़कनें इस कदर बढी हैं मुहब्बत की नई दासतां गढी है  ऐसा लगता है कि जिंद

मैं गाड़ी चलाते हुए उसके अगले शब्द का इंतजार कर रही थी। मेरी नजर विंडशील्ड पर टिकी थी। “रिहान?” मैंने उसे पुकारा। “मुझे घर दिखायी दे रहा है।” मैंने उससे कहा और कुछ दूरी पर ब्रेक दबाया। मैं कोई फैसला ख

मेरी नजर या तो सड़क पर थी या उसकी छाती पर। अभी भी खून बह रहा था। मैंने देखा कि उसकी पट्टी पर धब्बा हर मिनट के साथ अपना आकार बढ़ा रहा था। उसकी हालत गंभीर थी और मैं उसे छोड़ना नहीं चाहती थी। मैं आगे नही

जब हम उस आर्मी कैंप से निकल रहे थे तो हमें बताया कि आगे के रिकॉर्ड के लिए हमारे प्रत्येक दस्तावेज की एक प्रति उन्हे चाहिये होगी। विदुर वहीं ठहर गये ताकि उनकेा सारे कागजों की प्रतियाॅ करा कर दे सकें और

वह गाड़ी चलाता रहा और विंडशील्ड से बाहर देखता रहा। यह दुखद था! यह केवल मेरे रिहान के बारे में नहीं था। मैंने वहां देखे गए प्रत्येक आतंकवादी में रिहान को पाया। उनके पास विकल्प हैं लेकिन कहां? उनकी पहचा

मैने वही किया जो उसने मुझे करने को कहा था। मैंने चलने की कोशिश की। मैं थोड़ी मुश्किल से ही सही लेकिन चल सकती थी। मेरा सिर अभी भी भारी दर्द में था और मैं बहुत बीमार महसूस कर रही थी। मेरी नसों में एक ती

अचानक मुझे बाहर कुछ आवाजें सुनाई दीं। मैंने पहली आवाज को पहचाना-, यह अश्वश्री थी और दूसरा कुछ पुरुष था। जब तक मैं बाल्टी से कूद कर नीचे आयी तब तक दरवाजे पर एक तेज दस्तक ने मुझे चैंका दिया! “कौन?” मैं

मेरी रीढ़ अब तक दर्द में थी। मैं अपने पैरों पर सीधी खड़ी भी नहीं हो पा रही थी। वहाॅ किसी ने भी मुझे किसी तरह की दवा नहीं दी। दर्द से तड़पना ही एकमात्र विकल्प बचा था मेरे पास। लगभग एक दिन न तो रिहान और

अचानक मुझे पदचाप सुनाई दी। हमने सुबह से कुछ नहीं खाया था, मुझे लगा कि यह हमारा भोजन है। “ऐ तुम!” एक लड़का अंदर आया और मैं कमरे के बीच ठहर गया। हम सब उसे ताड़ रहे थे और वह सिर्फ मुझे। वह शायद ही सत्रह

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