नजरों ने नजरों से जाने क्या कहा
दिल ने न जाने क्या क्या सुन लिया
मुस्कुराहटों के फूल बरसने लगे
कस्तूरी महक में हम लरजने लगे
शाम का खुमार दिल पे छाने लगा
दिल अब तेरी मुहब्बत में गाने लगा
चांद में अब तेरा चेहरा नजर आता है
ख्वाब भी अब तेरे दर पे ही जाता है
खुद को खुद से जुदा मुझको करने लगी
आशिकी अब तो हद से आगे बढने लगी
तेरी गलियों से मेरी यारी होने लगी
शाम होते ही बेकरारी सी होने लगी
तेरे इश्क में जाना ये दिल बेकरार है
बस, अब तेरी हां का ही इंतजार है
हरिशंकर गोयल "हरि"
5.6.22