1 जून 2022
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जो मन में आता है , लिखता हूं । साफ कहना, साफ दिल , साफ लिखना मुझे पसंद है । D
अनदेखा अनसुना सा एक स्मार्ट सा युवक एक दिन अचानक ही मुझसे यूं टकरा गया । उसकी नीली आंखों में जाने कैसा जादू सा था ये दिल उस पर आ गया । मेरे ख्वाबों में वो बां
बहुत आसां है कहना कि बीते कल को भूल जाओ बीती बातों को चादर की तरह ओढ़कर सो जाओ मैं कैसे भूल जाऊं वो लम्हेजब तुम कॉलेज के बहानेमुझसे मिलने आया करती हाथों में हाथ डाले बतिया
यह सवैया आज से लगभग 30 वर्ष पूर्व लिखा गया था । आज मैं अपने पुराने कागज ढूंढ रहा था तो एक कागज पर यह लिखा हुआ मिला । मुझे बड़ा अच्छा लगा कि 30 साल पहले भी कभी कभी मैं कुछ लिख लेता था । यह सवैया आप सबके
एक दिन वो दबे पांव चुपके चुपके से आई मेरी आंखों पर अपनी नाजुक हथेलियां रखकर बोली "पहचानो कौन ? कहां से आई" ? मैं उसके प्यार में गहरे उतर गया उसका कोमल स्पर्श पा पिघ
तेरे इश्क का गर मिले आसरा तो सूने दिल में बहार आ जाये रेशमी जुल्फों की गर मिले छांव तो तपत बदन को करार आ जाये एक मुद्दत से पले ख्वाब आंखों में इन शरबती आंखों के जाम मिलें इनमे
पैरोडी : तर्ज : कौन दिशा में ले के चल्यो है बटोहिया इस तर्ज पर लड़का और लड़की में गीत के माध्यम से छेड़छाड़ होती है । इस पैरोडी का आनंद लीजिए लड़का : अपने दिल में थोड़ी सी जगह दे दे गोरि
वो भी क्या दिन थे जब कॉलेज के पीछे दूर दूर तक फैले जंगल में मैं तुम्हारा इंतजार करता था और फिर मेरे साथ होती थीं मेरी बेचैनियां, बेताबियाँ और तुम । वो नजारा बड़ा खूब
मुझे आज भी याद आती है वो हमारी अंतिम मुलाकात सावन का सुहाना महीना था और थी शीतल सी चांद रात चंबल का जल ठहरा हुआ था जैसे किसी का पहरा हुआ था आसमान भी बड़ा खामोश था बहारों क
वो जब जब भी मुस्कुराती है दिल पर छुरियां सी चल जाती हैं दिल घायल हो कराह उठता है और वो, फिर से मुस्कुरा जाती है । इस तरह सितम करती है वो कि आह तक भरने नहीं देती कभी कंटील
हुस्न वाले बड़े बेमुरौव्वत होते हैं सीधे सीधे दिल की बात नहीं करते बस, इशारों इशारों में ही बात करते हैं इश्क के मैदान में उतरकर सीधे प्रहार नहीं करते बल्कि छुप छुप कर आंखो
तुम्हारी बांहों में सोने की तमन्ना पाले बैठे हैं इस बेचैन दिल को मुश्किल से संभाले बैठे हैं हुस्न वालों ने सब कुछ लूट लिया है सरेबाजारक्या बतायें हम दिल का दीवाला निकाले बैठे हैं
सुबह सुबह गरमा गरम एक प्याली चाय की चुस्कियां कुछ कुछ वैसी ही होती हैं जैसी कि तुम्हारे चेहरे पर अठखेलियाँ करती हुईं एक मुस्कान जो तरोताजा कर देती हैं मेरा तन, मन,
प्रिये,तुम चांद सी सुंदर चांदनी सी धवल गुलमोहर सी खूबसूरतअमलतास सी मनमोहक हो । रातरानी की तरह महकती हो चिड़िया सी फुदकती हो शरबती आंखों से जब जाम पिलाती हो तो दिल को मदहोश
इन सांसों पर, धड़कनों पर सिर्फ तुम्हारा अधिकार है तुम्हारे होने से जज्बातों को लग जाते पंख बेशुमार है तुम्हारी एक मुस्कान मदमस्त भोर सी प्यारी लगती है बड़ी बड़ी आंखों से बरसता छमछम सावन
शोख अदाओं के खंजर से कैसे दिल को संभाला है न जाने क्या सोचकर इश्क का रोग दिल ने पाला है जबसे चखा है इन तीखे नयनों का खारा सा नमक तेरी कसम गले से उतरता नहीं कोई भी निवाला है न ज
तुम जो पास आये तो किस्मत बदल गई बड़ी नासाज थी तबीयत, अब बहल गई जेठ की दुपहरी सा तपता था अकेलापन घनी जुल्फों की छांव से जिंदगी बदल गई तेरी हर शोख अदा जैसे बहारों का कारवां जमान
जाने क्या बात है कि नींद नहीं आती एक तेरी याद है जो कभी नहीं जाती ख्वाबों में सजती हैं बस तेरी महफिलें एक तू है जो कभी मिलने नहीं आती अश्कों ने भी अब साथ छोड़ दिया है&nbs
जबसे उनसे आंखें लड़ी हैं , बिन पिए कुछ ऐसी चढी है जलती हुई जेठ की दुपहरी लगती सावन की सी झड़ी है धड़कनें इस कदर बढी हैं मुहब्बत की नई दासतां गढी है ऐसा लगता है कि जिंद
जब भी ये मन उदास होता है यादों का साया आसपास होता है तेरे खयालों में डूब जाता है दिल वो पल मेरा बहुत खास होता है खुलते बंद होठों की अनकही लरजते जिस्म की वो कंपकंपी
गीत : जबसे तुमसे मुहब्बत हम करने लगे जबसे तुमसे मुहब्बत हम करने लगे खूबसूरत से अरमान सजने लगे बेकरारी में हद से गुजरने लगे अनगिनत सपने आंखों में पलने लगे जबसे तुमसे मुहब्
अहसासउनके जाने से पता चलाकि जान कैसे जाती हैहर एक पल हर एक घड़ीअहमियत उनकी , समझाती है ।बहुत इन्तजार था कि मनायेंगे जश्न -ऐ-आजादीआती जाती हर सांस मगरगुलामी की दास्ताँ कह जाती है ।ना व्हाट्सएप का ह
नजरों ने नजरों से जाने क्या कहा दिल ने न जाने क्या क्या सुन लिया मुस्कुराहटों के फूल बरसने लगे कस्तूरी महक में हम लरजने लगे शाम का खुमार दिल पे छाने लगा दिल अब तेरी मुहब्बत मे
एक वैंपायर थी जो बड़ी हसीन थी बड़ी खूबसूरत बड़ी दिलनशीन थी ना जाने कितनों का खून पी चुकी ना जाने कितनों की जान ले चुकी उससे सब लोग खौफ खाया करते उसके डेरे से बचकर जाया करते&nbs
कुछ लोग करते हैं नफरत वाला प्यार अजीबोगरीब सा होता है इनका संसार माशूका पर कोई कभी तेजाब फेंक देता है तो कोई प्यार के नाम पे गला रेत देता है कोई चाकुओं से गोदकर आनंदित होता है
दिल के बजाय जिस्म से इश्क करने लगे हैं लोग जिस्म के गहरे समंदर में इश्क ढूंढने लगे हैं लोग किसी जमाने में इश्क इबादत हुआ करता था "हरि" अब इश्क को कमीना, कमबख्त कहने लगे हैं लोग इश्क
हमने तो तुम्हें दिल से चाहा है सनम ये दिल सिर्फ तुम्हारे लिए धड़कता है हर सांस तुम्हारा नाम लेकर थिरकती है हर ख्वाब तुम्हारे जजबातों से पलता है आसमां से ऊंची है मेरे इश्क की तड
आज फिर से सुनाओ ना अपनी हसरतों का फसाना नजरें चुराकर नजरों से शरमाकर कुछ कह जाना पलकों से पैगाम भेजकर दिल के आंगन में बुलाना खामोशियों की चादर ओढ हाल ए दिल बत
हमसफ़र, हमराज तुम , हमराही, हमदम मेरे हमनशीं तुम दिलनशीं हो, तुम ही हमसाया मेरे ख्वाबों में तुम, सांसों में तुम, आहों में हो तुम मेरे धड़कन में तुम, तड़पन में तुम, तुम मेहरबां
वो खुशनुमा सी शाम वो चांद की सरगोशियां वो झुका झुका सा आसमां और वो नदी का किनारा वो तेरा उड़ता आंचल गालों पे पड़ते तेरे डिंपल वो लरजती सी गोरी बांहें छन छन करती तेर
चूड़ी बोले कंगना डोले मनवा क्यों खाए हिचकोले हार सिंगार कुछ ना सुहाए दिल में भड़क रहे हैं शोले तुम बिन सजन मैं कुछ नहीं ये ठंडी पवन क्या कह रही रिमझिम सावन तड़पा रहा 
मुक्तक तर्ज : कोई दीवाना कहता है बेदर्दी बड़ा बेईमान मौसम बारिश का आया विरह की ज्वाला को जिसने और है धधकाया तेरी यादों के आंसू में डुबो जाता है जान ए मन दिल के तारों ने ह
सुनो, अकेली ना जाओ नदी के किनारे बड़े तेज होते हैं इसके धारे कहीं पैर फिसल गया तो फिर तुम क्या करोगे ये नदी का पानी तुमसे जलता है तुम्हारी पनीली आ
सावन की झड़ी कुछ ऐसी लगी है सोई सी प्रीत अब दिल में जगी है उमड़ घुमड़ फिर घिर आये बदरा बिजुरिया से ये कर रहे दिल्लगी है हवा भी बही जाये अपनी ही धुन में ये भी क्या किसी के
मेरे अंगने में बिखरी पड़ी हैं स्वर्ण रश्मियां, तुम्हारी मुस्कानों की इनसे खिला खिला रहता है मेरे दिल का मन उपवन यहां दिन भर बरसता है तुम्हारी इनायतों का सावन जिनमें
आंसुओ का समंदर तो हर कोई देता है "हरि" प्यार का दरिया बन जाओ तो कोई बात बने प्यार कोई इम्तिहान नहीं जिसमें पास फेल हों प्यार के अहसास में डूब जाओ तो कोई बात बने
एक दिन हुस्न और इश्क में गजब ठन गई उस दिन की वो मुलाकात आखिरी बन गई हुस्न तो अपने सौंदर्य के नशे में मगरूर था आवेश में दोनों अभिमानी भृकुटियां तन गई इश्क समंदर देखता रहा
ये ना सोचो कि मुहब्बत में यार से क्या मिला खुशी या आंसू मुकद्दर है किसी से क्या गिला रूहानी इश्क वाले कभी शिकायत नहीं करते बेवफाई भी कुबूल है समझेंगे है उसका सिला श्री हरि 
तुमसे मिलने की तमन्ना दिल में छुपाए बैठे हैं कितने नादान हैं जो ऐसे ख्वाब सजाए बैठे हैं फलक पे बैठी हुई एक परियों की रानी हो तुम बेदर्द जमाने के हाथों अपने पर कटवाए बैठे हैं ख्वाबो
यादों का बवंडर आज दिल में फिर से उठा है रेशमी जुल्फों की महक से "हरि" जी उठा है हाथों में हाथ था, एक तेरा वो दिलकश साथ था आंखों के आगे वो हसीन मंजर जीवंत हो उठा है तेरे लबों पे सजता
तर्ज : कोई दीवाना कहता है सावन की झमाझम ने आस दिल में जगाई है कलियों की ठिठोली ने प्यास दिल में लगाई है जवां मौसम सुनाता है गजल कोई मोहब्बत की हसीं ऋतु ओढ़कर चादर हरियाली की आई
मुक्तक : वो दौर निकल गया तो ये दौर भी निकल जायेगा बहारों का मौसम फिर से, पलटकर जरूर आयेगा आशाओं के दीयों को कभी बुझने ना देना ऐ दोस्त एक दिन ये आसमां, तेरे कदमों में सि
वो लम्हे कितने हसीं हुआ करते थे जब तुम्हारे हाथ हमें छुआ करते थे तन बदन में बिजली कौंध जाती थीदिले अरमान बेलगाम हुआ करते थे कितना खूबसूरत सा मंजर था वह तेरे मेरे इश्क का समंदर सा थ
गीत : सुनो प्रिये तुम्हारी उन आंखों से डर लगता है सुनो प्रिये तुम्हारी उन आंखों से डर लगता है खामोश जुबां बेजान बांहों से डर लगता है जब तुम झाड़ू लगाकर पोंछा
तेरी याद की बदली जब छाती है रिमझिम सावन साथ ले आती है भीगने लगता है तपता हुआ मन ये बेजान जिंदगी थम सी जाती है वो बीते हुए पल तैरते हैं आंखों में जलन सी महसूस होती है सांस
गीत : बेदर्दी इश्क हाय बड़ा तरसाये दिल को कहीं भी चैन ना आये सारी रात आंखों में कटती जाये बेदर्दी इश्क हाय बड़ा तरसाये।। तेरी याद सताए सजन , दिल में उठती है अगन कह भी ना
बड़ी मस्त मस्त एक हसीना थी बड़ी खूबसूरत जैसे नगीना थी छू लो तो छुइमुई सी मुरझा जाये जरा सी धूप से वह कुम्हला जाये बात बात पर हाय, ऐसे शरमाए जैसे पूनम का चांद बदली में जाए
गीत बरसती हुई कायनात हो , घनी अंधेरी रात हो ऐसे में हम तुम दोनों साथ हों, तो कोई बात बने बादल से छम छम शराब बरसे अंग अंग से नशीला शबाब छलके इश्क का नशा चढ रहा हलके हलके&n
धानी चुनर ओढ़ प्रकृति शिवजी को रिझाने लगी है हवा भी बादलों के साथ प्रेम गीत गुनगुनाने लगी है सावन में बारिश की बूंदें दिल में प्रीत जगाने लगी है पिया मिलन को आतुर गोरी ऐसे में अकुलान
उसकी नशीली आंखें इस कदर जादू कर गईं प्यार का बुखार चढा कर दिल बेकाबू कर गई रात दिन बस उसी के ख्याल आने लगे उनकी गलियों के चक्कर बेवजह लगाने लगे नजदीक आने का कोई बहाना बनाने लगे
नैनों की खिड़की से दिल तक जाता है रास्ता यदि आकर्षण ना हो तो प्यार से कैसा वास्ता आकर्षण ही दो दिलों को नजदीक ले आता है आकर्षण ना हो तो इस दिल को कौन भाता है सुंदर चेहरा नशीली आंखों से
एक संग दिल से आंखें लड़ा बैठे जैसे किसी पत्थर से हम टकरा बैठे उसकी नजरे इनायत की ख्वाहिश में इस दिल का कारवां जबरन लुटा बैठे पत्थर दिल सनम मुहब्बत क्या
हजारों मील दूर रहकर भी दिल के कितने पास हो बेगानी सी इस दुनिया में एक तुम्ही सबसे खास हो तमाम नाते रिश्ते दिखते हैं मुझे जुगनुओं की तरह इस दिल के अंधियारे के लिए केवल तुम प्रभाष हो&n
उसकी मासूमियत पर हम जां निसार कर बैठे एक हसीन कातिल से यूं बरबस प्यार कर बैठे होठों पे उसके खिलती है मुस्कान की क्यारियां शोख अदाओं पे "हरि" दिल गुलजार कर बैठे मासूम चेहरे के प
एक मासूम सा चेहरा मेरे दिल को भाने लगा है नशीली आंखों का इशारा रातों को जगाने लगा है गुलाबी होठों पर थिरकती है कातिलाना मुस्कान रेशमी बालों का गजरा अंग अंग महकाने लगा है उनके इ