बड़े नज़दीक जीवन में अगर कोई भी आता है
सामने वो अगर आए तो मन थोड़ा लजाता है
सांस जोरों से चलती है नज़र उठती नहीं ऊपर
हाल कुछ और होता है ना जो चेहरा दिखाता है
आज वो दूर है मुझसे मैं भी मशगूल हूँ खुद में
मगर गुजरे हुए पल तो ये मनवा ना भूलाता है
मेरी मजबूरियां समझो और इस सच को पहचानो
विछोह तुझसे मुझे अब भी अकेले में रूलाता है
तसल्ली मन को देना भी लो मधुकर आ गया मुझको
खुदा मिलता नहीं सबको जो भी उसको बुलाता है