तेरी आवाज़ को सुनना सुकूँ एक रूह को देता है
शिकायत है मगर मुझको ख़बर तू क्यों ना लेता है
प्यार बरसेगा जो तेरा चैन कुछ आ ही जाएगा
मेरे जीवन के आँगन में बिछा बस सूखा रेता है
समय के साथ मेरी नाव तो बस बह रही है अब
लाख कोशिश करी मांझी मगर ना इसको खेता है
प्यार को बाँटता है जो वही तो प्यार पाएगा
बिना कारण ही तू इतना नहीं मेरा चहेता है
किसी नादां के कारण ही आग तो लग गई मधुकर
जला के आशियां अपना वो तो फिर भी न चेता है