दर्द ए दिल का मज़ा लेना है थोड़ी चोट तुम खा लो
पास हो के भी जो बस दूर हो इक ऐसा सनम पा लो
मुकद्दर साथ ना दे गर मुहब्बत मिल ना पाएगी
प्रेम गीतों को अपने दिल से चाहे लाख तुम गा लो
दीवारें मन में खिंच जाएं तो वो गिरती नहीं पल में
लाख कोशिश करोगे चाहे तुम कि उनको अब ढा लो
अगर खुल के ना बरसोगे बहारें कैसे आएंगी
गरज लो कितना भी तुम मेघ और आकाश में छा लो
तुम्हारे साथ जो ना चल सके और दूर ही भागे
सफ़र में हाथ मधुकर उस मुसाफ़िर का कभी ना लो