Born and brought up in the lap of Garhwal Himalayas, Smt. Swarnalata Dobhal is a graduate of Garhwal University. When she got time from her daily household chores, she usually penned her thoughts in words. Through poetry writing, she has expressed he
महान शिक्षक जे. कृष्णमूर्ति की वार्ताओं तथा लेखन से संकलित संक्षिप्त उद्धरणों का यह क्लासिक संग्रह ध्यान के संदर्भ में उनकी शिक्षा को सार प्रस्तुत करता है-अवधान की, होश की वह अवस्था जो विचार से परे है, जो समस्त द्वंद्व, भय व दुख से पूर्णतः मुक्ति लात
एक संवाद लगातार बना रहता है अकेली यात्राओं में। मैंने हमेशा उन संवादों के पहले का या बाद का लिखा था... आज तक। ठीक उन संवादों को दर्ज करना हमेशा रह जाता था। इस बार जब यूरोप की लंबी यात्रा पर था तो सोचा, वो सारा कुछ दर्ज करूँगा जो असल में एक यात्री अपन
इस पुस्तक में भगिनी निवेदिता के समर्पित व्यक्तित्व की एक झलक प्रस्तुत करने की चेष्टा की गई है। निःसंदेह ऐसे महान् चरित्रों की उपलब्धियाँ शब्दों में नहीं आँकी जा सकतीं; किंतु यह हमारी ओर से उस सच्ची साधिका के प्रति एक विनम्र श्रद्धांजलि है। आशा है; पा
यह पुस्तक राजेन्द्र यादव की पुस्तक शृंखला ‘कांटे की बात’ का ग्यारवी पुस्तक है। यह पुस्तक बताती है कि उत्तर-भारत में खासतौर पर हिन्दी-समाज का आचार-व्यवहार, सोच-विचार जिन तीन तत्त्वों से निर्मित और संचालित होता है वे है मनुस्मृति, रामचरितमानस और गंगा न
Reading books is a kind of enjoyment. Reading books is a good habit. We bring you a different kinds of books. You can carry this book where ever you want. It is easy to carry. It can be an ideal gift to yourself and to your loved ones. Care instructi
अगर लक्ष्य निर्धारित हों, दृढ़ इच्छाशक्ति हो, सोच स्पष्ट हो तो कम संख्या के लोग भी बदलाव ला सकते हैं, किसी की जिंदगी बदल सकते हैं, भविष्य को सुधार सकते हैं। अगर आप उद्यमी हैं तो आपमें यह दृष्टि होनी चाहिए कि आपका आइडिया किस तरह की शक्ल अख्तियार करेगा
All rights reserved to ©Shruti saw. साजिश या आत्मा... किसका है ये खेल? क्या है इस हवेली का राज़?
वो मेरी खामोशी को मेरी आशिकी समझ बैठी। वो मेरे पास आने से पहले खुद को दूर समझ बैठी। मैं साथ साथ चलना चाहता था, उसके मगर वो खुद को अकेला समझ बैठी। वो मेरी खामोशी को मेरी आशिकी समझ बैठी। वो मेरे पास आने से पहले खुद को दूर समझ बैठी।
साहित्ये ज्ञानराशि: निहिता: भवन्ति। अनुवादमाध्यमेन विविधभाषासु प्रसरिता:। अनुवादमाध्यमेन साहित्येषु निहितज्ञानराशिभि: लाभान्विता: भवन्ति। संस्कृते विपुलसाहित्यरचना उपलब्धा:। अस्यां भाषायां उपलब्धग्रन्थाणां विश्वस्य विविधभाषासु अनुवादा: उपलब्धा:। विवि
श्रीलाल शुक्ल को लखनऊ जनपद के समकालीन कथा-साहित्य में उद्देश्यपूर्ण व्यंग्य लेखन के लिये विख्यात साहित्यकार माने जाते थे। उन्होंने 1947 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक परीक्षा पास की। 1949 में राज्य सिविल सेवासे नौकरी शुरू की। 1983 में भारतीय प
अजय सोडानी की किताब 'दरकते हिमालय पर दर-ब-दर’ इस अर्थ में अनूठी है कि यह दुर्गम हिमालय का सिर्फ़ एक यात्रा-वृत्तान्त भर नहीं है, बल्कि यह जीवन-मृत्यु के बड़े सवालों से जूझते हुए वाचिक और पौराणिक इतिहास की भी एक यात्रा है। इस पुस्तक को पढ़ते हुए बार-बार
उर्मिलेश उन थोड़े से पत्रकारों में है, जिन्होंने हिन्दी पत्रकारिता का सम्मान इस कठिन और चुनौतीपूर्ण समय में बचाकर रखा है। वह पत्रकार होने के साथ निःसंदेह एक अच्छे गद्यकार- संस्मरणकार भी हैं। यह पुस्तक खोजी-पत्रकारिता का एक अलग तरह का उदाहरण है। उर्मिल
ये पुस्तक स्वतंत्रता सेनानी, स्वर्गीय श्री बनारसी दास गोटे वाले की जीवन गाथा है। मै रश्मि गुप्ता इस पुस्तक की लेखिका, सौभाग्यशाली हूँ कि मैं उनकी पुत्री हूँ । जितना करीब से जाना, देखा है, उसे सब के समक्ष रखना चाहती हूँ । मुझे पूर्ण आशा है कि उनक
डायरी मेरे जीवन के विभिन्न पहलुओं का स्वरूप है।
Friends मेरा नाम Anil Solanki है। ये मेरी रियल लाइफ स्टोरी है। के कैसे मेने अपनी क्षमता/Talent/Ability को पहचाना उसे Explore किया और सफलता हाँसिल की। मेने अपना Career की शुरुआत 17 साल की उम्र मे as a office boy की थी। मे कंपनी मे साफ़सफाइ चाय पिलान
प्रिय पाठकों कहानी "कई अर्से बाद" एक रोचक और प्रेम कहानी है। बहुत सारे पात्र हैं जिसमे निखिज जो अपने प्यार को पाकर भी कुछ समझ नहीं पाया कि क्यूं किस्मत ने अपने रूख बदल लिया? कौन है सच्चा जीवन साथी? नेहा या निशा या फिर घूंघट वाली। दोस्त की बात करे
(अरुण गाँधी के उपनाम से राजनीति, पत्रकारिता एवं वरिष्ठ मित्रों में १९८० से १९९० के दशक में प्रचलित एक नाम) १८ वर्ष की उम्र में पत्रकारिता आरम्भ, प्रदेश-स्तरीय राजकीय मान्यताप्राप्त पत्रकार, भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के लिए राष्ट्र-स्तरीय नि
दैननंदिनी कुछ इधर उधर की बात जरा सी खुद से मुलाकात आजकल जो व्यस्तता का है दौर जिम्मेदारी दुनियादारी में खुद के लिए नहीं मिलता सुकून का ठौर ऐसे में दैननंदिनी के साथ जरा कर ले खुद से मुलाकात खुद की तलाश पर कुछ पल लगता विराम दिल की बाते अपनी सखी से कर म
उगते सूर्य की किरणों से झिलमिल करती माँ नर्मदा की लहरों पर बहता मृत प्रायः युवा नारी शरीर…..क्या उसमें जीवन शेष था ? …….. सदानंद बाल-ब्रह्मचारी है।सांसारिक बंधनों से मुक्त होते हुए भी वह एक ऐसी परीक्षा से गुजरता है जो ब्रह्मचर्य के निषेधों पर प्रश्न