कई सालों तक जीतोड़ मेहनत करने के बाद, विशाल का घर बनाने का सपना आखिरकार साकार हो रहा था। ठेकेदार मुख्य जगह के अलावा घर में बगीचा बनाने की बातें कर रहा था।विशाल - "अरे वह कहाँ हो पाएगा, घर में बड़ी कार के अलावा, 2 बाइक, साइकल सब हैं, कैसे पार्क करेंगे?"ठेकेदार - "अरे आप तो परदेसी जैसी बात कर रहे हो, जै
मेरे पास आ कर कभीमेरी कहानी भी सुनो,मैं भी दिल के बहलाने कोक्या क्या स्वाँग रचाता हूँ,आप ही दुख का भेस बदलकरउन को ढूँडने जाता हूँ,सायों के झुरमुट में बैठासुख की सेज सजाता हूँ......-अश्विनी कुमार मिश्रा
उद्गम कहानी का।कहानी समाज से पैदा होने वाली बीज हैं।जो उन्ही के दरम्यान रहकर उन्हीं के बीच दफन हो जाती हैं।पर अपनी अभिब्यक्ति से एक नए इतिहास की रचना करती हैं, उसे बदलती नहीं हैं उसके अधूरेपन मे भराव करती हैं। अगर वह ऐसा नहीं करती तो समझो, वह बदलाव के नाम पर इतिहास को नहीं, उसके पात्र को नष्ट करती
कहानी ही तो थीख़त्म तो होनी ही थीशुरू हुए थे जो अल्फ़ाज़उन्हें विराम तो लगना थ-अश्विनी कुमार मिश्रा
[12/09/2020 ]*नौकरी का भूत* (व्यंग्य-कविता)पढ़ लिख के मैं बड़ा हुआ जब, ये मन में मैने ठाना ।जिन सब का था कर्ज पिता पर, वो मुझको जल्द चुकाना ।नौकरी की आस को लेकर, निकला घर से मतवाला ।सफल सफर करके भैया मैं, पहुच गया हूँ अम्बाला।***दो महिनें तक करी नौकरी , मन को थी कुछ ना भायी ।पता चला कुछ भर्ती निकली
मैडम जीकुछ देर खामोशकहीं खोई सी बैठी रहीं नीलिमा जी... फिर एक लम्बी साँस भरकर बोलीं “ये बाहर जातेथे तो मैं यहाँ देहरादून आ जाती थी | बेटी भी बाहर ही पढ़ रही थी न, तो मैं अकेलीबम्बई में क्या करती ? अब ये जितने भी हाइली एजुकेटेड लोग होते हैं उनकी तोमीटिंग्स विदेशों में होती ही रहती हैं | आप भी जाती हों
कहानी - "चटोरी जिव्हा को महात्मा का दंड"घने जंगल में, एक छोटी सी झोपड़ी जो चारों ओर से विशाल वृक्षों से घिरी हुई थी।मन्त्रोच्चारण से उस शांत वन में संगीत की लहरें-सी उठती रहती थी और जिसे सुनकर पशु-पक्षी भी अपना सुर भूल जाते थे।ऐंस
मोक्ष*****(जीवन के रंग) बचपन से ही वह सुनता आ रहा है कि जैसा कर्म करोगे-वैसा फल मिलेगा , किन्तु अब जाकर इस निष्कर्ष पर पहुँचा है कि पाप-पुण्य की परिभाषा सदैव एक-सी नहीं होती है। बहुधा उदारमना व्यक्ति को भी कर्म की इसी पाठशाला में ऐसा भयावह दंड मिलता है कि उसकी अंतर्रात्मा यह कह चीत्कार कर उठती है
एक कहानी - वो काटा“मेम आठ मार्च में दो महीनेसे भी कम का समय बचा है, हमें अपनी रिहर्सल वगैरा शुरू कर देनी चाहिए…”डॉ सुजाता International Women’s Day के प्रोग्राम की बात कर रही थीं |‘जी डॉ, आप फ़िक्र मत कीजिए, आराम से हो जाएगा… आप बस अगले हफ्ते एक मीटिंग बुला लीजिये, बात करते हैं सबसे…” मोबाइल पर बात क
!! *देखने का नजरिया* !!-----------------------------------------------एक दिन एक अमीर व्यक्ति अपने बेटे को एक गाँव की यात्रा पर ले गया | वह अपने बेटे को यह बताना चाहता था वे कितने अमीर और भाग्यशाली है जबकि गाँवों के लोग कितने गरीब है | उन्होंने कुछ दिन एक गरीब के खेत पर बिताए और फिर अपने घर वाप
नौकरानी********** समीप के देवी मंदिर में कोलाहल मचा हुआ था। मुहल्ले की सुहागिन महिलाएँ पौ फटते ही पूजा का थाल सजाये घरों से निकल पड़ी थीं। उनके पीछे- पीछे बच्चे भी दौड़ पड़े थे। उधर,आकाँक्षा इन सबसे से अंजान सिर झुकाए नित्य की तरह घर के बाहर गली में मार्निंग वॉक कर रही थी । वह भूल चुकी थी कि
🌹🙏जीवन बदलने वाली कहानी🙏🌹पिता और पुत्र साथ-साथ टहलने निकले,वे दूर खेतों 🌾🌿की तरफ निकल आये, तभी पुत्र 👱 ने देखा कि रास्ते में, पुराने हो चुके एक जोड़ी जूते 👞👟🥾उतरे पड़े हैं, जो ...संभवतः पास के खेत में काम कर रहे गरीब मजदूर 👳♀ के थे.पुत्र को मजाक 🧐सूझा. उसने पिता से कहा क्यों न आज की श
प्रेरणादायक कहानी एक औरत बहुत महँगे कपड़े में अपने मनोचिकित्सक के पास गई. वह बोली, "डॉ साहब ! मुझे लगता है कि मेरा पूरा जीवन बेकार है, उसका कोई अर्थ नहीं है। क्या आप मेरी खुशियाँ ढूँढने में मदद करेंगें?"मनोचिकित्सक ने एक बूढ़ी औरत को बुलाया जो वहाँ साफ़-सफाई का काम करती थी और उस अमीर औ
इतनी बड़ी सज़ा************* शहर की उस तंग गली में सुबह से ही तवायफ़ों के ऊपर तेजाब फेंके जाने से कोहराम मचा था। मौके पर तमाशाई जुटे हुये थे। कुछ उदारमना लोग यह हृदयविदारक दृश्य देख -- " हरे राम- हरे राम ! कैसा निर्दयी इंसान था.. ! सिर्फ़ इतना कह कन्नी काट ले रहे थे। " एक दरिंदा जो इस
सज़ा**** पौ फटते ही उस मनहूस रेलवे ट्रैक के समीप आज फिर से भीड़ जुटनी शुरू हो गयी थी। यहाँ रेल पटरी के किनारे पड़ी मृत विवाहिता जिसकी अवस्था अठाइस वर्ष के आस-पास थी, को देखकर उसकी पहचान का प्रयास किया जा रहा था। सूचना पाकर पुलिस भी आ च
प्रकृति और जीवन विश्व के दो महाद्वीपों के कुछ हिस्सों में हाथियों का साम्राज्य है। एशिया महाद्वीप में ऍलिफ़स और उसके संतान मैक्सिमस, इन्डिकस और सुमात्रेनस का साम्राज्य है और अफ्रीका में लॉक्सोडॉण्टा और उसके संतान अफ़्रीकाना और साइक्लोटिस का। गर्मियों के दिन शुरू होने वाले थे। मैक्सिमस, इन्डि
काफी सालों पुरानी बातहै उत्कर्ष नगर में एक 20 वर्षीय वीणावादक के काफी चर्चे थे। वैसे तो वो एक मिट्टीसे बने छोटे घर में रहता था बहुत ज्यादा आय नहीं थी उसकी, लेकिन काफी प्रतिभाशालीथा, इसी वजह इसे कई धनाड्य घरों से वीणावादन के आमंत्रण मिला करते थे तो उसकागुजारा चल जाया करता
समुंदर की विशाल लहरें विशाखा के पैरों से टकरा रही थीवो समुंदर के और भीतर चली जा रही थी। जैसे कि अपना सारा दुख दर्द वो पानी से कहदेना चाहती हो। आज वो पूरी तरह भय मुक्त हो चुकी थी। तभी विष्णु की आवाज आई। येविशाल लहरें तुम्हें निगल जाएंगी क्या इसका आभास नहीं तुम्हें। कौन सा
23साल की शालिनी अपनी नई जॉब को पाकर बेहद ख़ुश थी चलो कि अब उसे अपनी पॉकेट मनी केलिए अपने घरवालों के सामने हाथ तो नहीं फैलाना पड़ेगा। साथ ही वो अपने पैशन को भीफॉलो कर सकेगी।3महीने की इंटर्नशिप के बाद उसकी छोटे से युट्यूब चैनल में जॉब पक्की ह