एक कहानी - वो काटा
“मेम आठ मार्च में दो महीने
से भी कम का समय बचा है, हमें अपनी रिहर्सल वगैरा शुरू कर देनी चाहिए…”
डॉ सुजाता International Women’s Day
के प्रोग्राम की बात कर रही थीं |
‘जी डॉ, आप फ़िक्र मत कीजिए, आराम से हो जाएगा… आप बस अगले हफ्ते एक मीटिंग बुला लीजिये, बात करते हैं सबसे…” मोबाइल पर बात करती करती नीना पार्क में
धूप सेंकने के लिए आ बैठी थी...
समाज के दोहरेपन और रूढ़िवादिता
को दर्शाती सत्य घटना पर आधारित एक कहानी... अन्त में थोड़े से परिवर्तन के साथ...
सुनने के लिए कृपया नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें... कात्यायनी...