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कहानी

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जिंदगी के तराने, कुछ नए कुछ पुराने । 
तुम्हारे हो जमाने, या हमारे हो जमाने ।&nbs

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“क्या कर रही हो शैलजा ? ’’नानी ने पूछा।“मैंइस गुड्डें और गुड़ियां की शादी कर रही

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“कितने प्यारे इंसान हो आप, आपकी मुस्कान भीबहुत अच्छी है।’’“धन्यवाद” ये सुनकर सचिनकी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा।दिशा की कथक नृत्य केवीडियो उसके फेसबुक पेज पर डाले गए थे।कितनी सुंदर थी वो विशालनयन और चंद्रमा से भी

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मधुमिता और स्मिताबहुत अच्छी सहेलियां थी। दोनों में खूब जमती थी।एक दिन मधुमिता ने स्मिताके को एक प्रोफेशनली क्वालिफाइ़ड, सुंदरऔर सुशील लड़के की तस्वीर दिखाई।तभी स्मिता के चेहरेपर उदासी आ गई वो कहने लगी “हां तु

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राधिका और उसकी सहेली रसिका एक दिन किस्मतदेखने वाले एक इंसान के पास गए। वैसे राधिका का इन बातों पर ज्यादा यकीन नहीं था,क्योंकि रसिका जिद कर रही थ

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एक गाँव की पहली लालटेन - दिनेश शर्मा वैद्य जी वापस आए तो टिन के सन्दूक में से बड़ेएहतियात से एक डिब्बा निकाला गया और बड़ी नफ़ासत के साथ धीरे धीरे खोला गया | उसमें से हरे रंग की चमकती हुई एक लालटेन निकली जिसमें काँच की एक चिमनीबड़ी कुशलता से जड़ी हुई थी | वैद्य मामचंद्र ऋषिकेश में इसप्रकार की कई लालटेन दे

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एक दिन रवि स्टेज पर खड़े होकर भाषण देरहा था।“इस देश में भाषा रीति-रिवाज सब की दीवारें गिर जानी चाहिए।क्यों हम ढो रहे है इनको ?घर की बेटी और बेटा बढ़ा रहे परिवार काअभिमान लेकिन भूल गए है क्या होता हैप्यार।दिलक

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रीमा आज अपने रिश्तेदार की शादी में पहुंची तभीवहां उसे कई महिलाओं ने घेर लिया।“अरेये क्या इतना चटखदार सलवार सूट पहनकर आ गई, अगर साड़ी पहन लेती तो कितना अच्छाहोता।’’“कई विवाह योग्य लड़के भी आते है यहां,तुम्हारा परिचय करा देते उनके माता पिता स

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दिशा की उम्र तीस साल हो चुकी थी, पीएचडी करते-करतेइतनी उम्र होना तो स्वाभाविक ही था, आज उसके घर के लोग बहुत खुश थे क्योंकि उनकेघर शहनाई बज रही थी। जल

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मनीषा का ब्याह स्कूल पास होते ही हो गया था,वो पढ़ने में बहुत तेज थी, लेकिन उसकी सुनता कौन?12 वीं पास होते हीउसके हाथ पीले कर दिये गए, वजह थी कि उसके गांव में कोई कॉलेजनहीं था, उसकी सभी दूर की बहनें शहर में रहती थी, तो उससे ज्यादा पढ़-लिखगई। अब उसकी उम्र 32 साल हो चुकी थी।

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वो देख नहीं सकती थी लेकिन अहसास पढ़ सकती थी, पांच साल तक उसकी आंखों की रोशनी ठीक ठाक थी, लेकिन एक बीमारी ने उसकी आंखों की रोशनी छीन ली। तभी उसका सार्थक सा नाम सुनैना उसके माता पिता को ना जाने क्यों अर्थहीन लगने लगा। कभी वो अपने भाग्य को कोसते तो कभी सुनैना की किस्मत को तो कभी कभी सुनैना को ही। सुन

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बात पिछले बरस की है... इसीकोरोना के चलते देश भर में लॉकडाउन घोषित हो गया था... हर कोई जैसे अपने अपने घरोंमें कैद होकर रह गया था... ऐसे में प्रवासी मजदूर – जो रोज़ कुआँ खोदकर पानी पीतेहैं – जिन्हें आम भाषा में “दिहाड़ी मजदूर” कहा जाता है - दिल्ली में या और भी जिनशहरों में थे उन सभी को चिन्ता सतानी स्वा

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मानसीको दिल्ली आए हुए 6 महीने ही हुए थे, अभी उसके पति का मुंबई से दिल्ली ट्रांसफरहुआ था, जो कि एक मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर था। मानसी पूरा दिन घर पर अकेलामहसूस करती थी, हालांकी खाना वो खुद ही पकाती थी फिर भी बचे हुए वक्त में क्या करे? ये

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सीमा और मनोज एक हीगांव में पले-बढ़े थे। आज पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर मनोज अपने दोस्त संग पंजालड़ा रहा था। तभी सीमा अपनी सहेली संग वहां आ पहुंची, बगल वाले पेड़ से बेरतोड़ने, एक-एक करके उसने बेर अपने दुप्पटे में लपेट कर बांध लिए।तभी पड़ोस की चंदाकाकी भी आ पहुंचीऔर बोली “अर

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आज अदिती बेहद उदास थी तो सुमित ने उससे पूछा “क्या बात हैतुम्हारा मिज़ाज आज बदला-बदला सा क्यों है ?”“मैंने एक प्रेम कहानी पढ़ ली जिसमें नायिका नायकके चक्कर में अपनी जान से हाथ धो बैठती हैं।” अदिती ने कहा।“तो नहीं पढ़नी चाहिए थी।” सुमित ने कहा।“बहुत मशहूर थी और बेस्टसेलर भ

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क्या आप जानते हैं महर्षि वेदव्यास का जन्म कैसे हुआ ? vedvyas kon the in Hindiक्या आप जानते हैं महर्षि वेदव्यास का जन्म कैसे हुआ ?=========================================================अक्‍सर हमसे पूछा जाता है कि महाभारत किसने लिखी? तो हम यह सुनकर तपाक से जवाब दे देत

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आज नवीन की पेटिंग ने एक मशहूर कॉम्पीटिशन में पहला स्थान पाया था, आज मेल बॉक्स खोलकर देखा तो वो हैरान हो गया ऐसी तो किसी कॉम्पीटिशन में उसने भाग ही नहीं लिया था, तो फिर ऐसा कैसा हुआ। तभी उसने वहां फोन लगाया तो

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कई सालों तक जीतोड़ मेहनत करने के बाद, विशाल का घर बनाने का सपना आखिरकार साकार हो रहा था। ठेकेदार मुख्य जगह के अलावा घर में बगीचा बनाने की बातें कर रहा था।विशाल - "अरे वह कहाँ हो पाएगा, घर में बड़ी कार के अलावा, 2 बाइक, साइकल सब हैं, कैसे पार्क करेंगे?"ठेकेदार - "अरे आप तो परदेसी जैसी बात कर रहे हो, जै

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मेरे पास आ कर कभीमेरी कहानी भी सुनो,मैं भी दिल के बहलाने कोक्या क्या स्वाँग रचाता हूँ,आप ही दुख का भेस बदलकरउन को ढूँडने जाता हूँ,सायों के झुरमुट में बैठासुख की सेज सजाता हूँ......-अश्विनी कुमार मिश्रा

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