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कहानी

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“ओह कहां रह गई होगी आखिर वो? सारे कमरे में ढूंढनेके बाद सुधीर ने फिर कहा“अरे सुनती होतुमने कोशिश की ढूंढने की”?“हां बहुत ढूंढ ली नहीं मिली.” रमा ने कहा.थोड़ी देर बाद 17वर्षीय मनोहर जो कि उनका छोटा पुत्र था वो भी आ गया और कहने लगा “पिताजी धर्मशाला के आसपास की जिनती भी दु

कुछ वर्षों पहले कीबात है सज्जनपुर में एक सेठ था जो करोड़ों कमाता था। उसने अपनी सहायता के लिए दीपकनाम के एक सचिव को नियुक्त किया था, क्योंकि सेठ की कोई संतान नहीं थी तो उन्होंने सोचा क्यों नासारी संपत्ति दीपक के नाम कर दी जाए। दीपक उनके बहीखातों का हिसाब तो अच्छी तरहर

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उसने उसके भिगोए हुएदो बादाम खा लिए, ये अब उसकी नियमित दिनचर्या का हिस्सा बन चुका था। वो हमेशाअस्वस्थ रहती थी, वो भी सिर्फ 23 साल की उम्र में जब उसका यौवन और सौंदर्य किसी कोभी प्रभावित कर सकता था लेकिन चांद में दाग की तरह कमजोरी के निशान उसके चेहरे परभी दिखाई देने लगे।उसके

ठीक 30 बरस की उम्रमें हैजे से उसकी मौत हो गई, गांव से शहर ले जाया गया उसे। इससे पहले कि उसेअस्पताल ले जाया जाता, यमराज ने उसकी जीवन यात्रा को स्वर्ग तक मोड़ दिया, शायदवहीं गया

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सुरेश की उम्र करीब तीस साल और कद 5 फीट 4 इंचथा, सामने से सिर पर बाल थोड़े कम हो रखे थे, एक लंबा कुर्ता और खादी का झोला,हमेशा यही लुक था उसका। ज्यादातर उन विषयों पर लिखना पसंद करता था जिस पर लोगध्यान ही नहीं द

सुरेखा की शहर के बीचों-बीच कपड़े कीबहुत बड़ी दुकान थी। हर तरह की महंगी साड़ियां और सलवार कमीज के कपड़े वहां मिलतेथे। अच्छी ख़ासी आमदानी होती थी उसकी। क्योंकि अकेले दुकान संभालना मुश्किल था तोउसने कांता को अपनी दुकान पर काम करने के लिए रख लि

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“कम्मो...अरी क्या हुआ...? कुछ बोल तो सही... कम्मो... देख हमारेपिरान निकले जा रहे हैं... बोल कुछ... का कहत रहे साम...? महेसकब लौं आ जावेगा...? कुछ बता ना...” कम्मो का हाल देख घुटनोंके दर्द की मारी बूढ़ी सास ने पास में रखा चश्मा चढ़ाया, लट्ठीउठाई और चारपाई से उतरकर लट्ठी टेकती कम्मो तक पहुँच उसे झकझोरने

सचिन को सुबह-सुबह उसके दोस्त का फ़ोन आया वोकहने लगा “अरे वाह तूने तो सच में शहर का नाम रोशन कर दिया”सचिन ने कहा“ अरेक्या हुआ ऐसा”नवनीत ने कहा “तेरा इंटरव्यू छपा था जबलपुर केएक अखबार में”सचिन ने कहा “ओह उसकी बात कररहा है तू”हेडलाईन छपी “शहर

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35 साल की वोऔरत माथे पर बड़ा सा तिलक, आंखों में गहरा काजल लगाकर अपने लंबे केश लहराने लगी।“ हां मुझेमहसूस हो रही है, हां मेरे शरीर में उसका प्रवेश हो चुका है....हां उसकी उपस्थितीमुझे महसूस हो रही है...जय मां...जय मां...” मनोरमा ऐसाकहने लगी।अपने मिट्टीसे बने कमरें में लकड़ी

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आज मनोहर घरआया तो उसकी मां उसे देखकर हक्की बक्की रह गई, चेहरे की हवाईयां उड़ी हुई और कपड़ों पर मिट्टीऔर धूल के धब्बे ऐसे प्रतीत हो रहे थे किमानो मिट्टी में लोट कर आया हो।तब उसकी मांने पूछा बेटा “ये क्या हाल

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अपने स्टील के डब्बेमें रखे कुछ गुलाब जामुन में से एक को निकालकर प्रीति ने अनिमेष के हाथ मेंजबर्दस्ती थमा दिया। उसके बाद अपने दो साल के बच्चें को खिलाने के बाद अपने पति केजबरन मुंह में ठूंस दिया। ऐसी मिठाई खाकर भी ख़ुश नहीं महसूस कर रहा था अ

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शशांक ने कहा “हैलो स्मिता मैं बैंगलुरु पहुंच गयाहूं। यहां की एक फ़ार्मा कपंनी में मैनेज़र के तौर पर मेरा प्रमोशन हो गया है,30 साल का हो गया हूं। कोई अच्छी सी लड़की बताओं ना बिल्कुल तुम्हारीतरह”। “मैं क्या को

श्यामा नाम था उसका, ठीक उसके श्वेत रंग केविपरीत, हर दिन हमारे घर के सामने आ खड़ी होती। ऐसा उसने करीब 10 दिन तक किया,हमने कहा ये तो अब पराए घर जा चुकी है फिर यहां क्यों आती है तो घर वालों ने कहाकि ये गाय है इंसान नहीं जो किसी को इतनी जल्दी भूल जाए, भूलना तो इंसानी फ़ितरतहै

Ek Ladka tha. Uska naam tha Ajay. Woh bohut mehnati tha lekin, hamesha apni pariksha mein kam ank lata tha. Jaise-Taise bas woh pariksha mein pass ho jaata tha. Usne apni padhayi poori ki aur B.Com ki Degree prapt ki. Use ek company mein Accountant ki naukri lagi. Kama toh raha tha lekin, thoda bohu

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चंद्रपुर नाम के गांव में बिना किसी गुनाह केसभी पंचो के आगे सर झुकाकर खड़ी रही विनिता और उसे फ़रमान सुना दिया गया कि उसेअपने माता-पिता के घर वापस भेज जाए, उसी दोपहर उसका पति उसे अपनी कार में बिठाकरउसके मायके की तरफ़ निकल पड़ा। दोनों के बीच एक अजीब सी ख़ामोशी पसरी हुई है, तभीकार की खिड़की से खेतों की

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संजीवनी का आज कॉलेजमें प्रथम वर्ष का फायनल एग्ज़ाम है, उसकापेपर सुबह 8 बजे है, लेकिन ये क्या वो तो 6.30 बजने के बाद भी उठी ही नहीं। उसकीमां ने आवाज़ देकर उसे जगाया कहा “बेटा तुम्हारा आज इम्तिहान है और तुम सो हीरही हो, रोज तो सुबह 4 बजे उठ

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संगीता के विवाह को 6 साल हो चुके थे उसकी 4 साल की एकबेटी थी, वो फिर एक बार मां बनने वाली थी।उसने ये खबर सबसे पहले अपने पति को सुनाई फिर अपनी सासको, जैसे ही उसकी सास ने ये खबर फोन पर सुनी वो बेहद ख़ुश हुई, संगीता गर्मियों कीछुट्टियों में अपनी बेटी को लेकर अपने मायके जबलपुर

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“खाओ मेरी कसम ना शराब को हाथ लगाओगे ना किसी लड़की के चक्कर में पड़ोगे जब तक तुम्हारी पढ़ाई पूरी ना होगी और मुझसे कुछ भी ना छिपाओगे” अपूर्व को बार बार अपनी मां की सौगंध याद आ रही थी, जब वो नाशिक से पुणे पहुंचा था इकोनॉमिक्स की पढ़ाई करने, ग

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माधव और अजीत नाम केदो भाई अर्जुननगर नाम के गांव में रहते थे। दोनों भाईयों में काफी प्यार था वोदोनों गेंहू का व्यापार किया करते थे, उनके खेतों में उगाया गया गेंहू दूर दूर तकमशहूर था लेकिन अभी भी वो दोनों मध्यवर्गीय स्थिती में ही थे और सोचा करते थे किखेतों में दिन रात पसीना

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