भला कौओ को क्यों खिलाए मन में उपजा लालच भूल मातम को शोर मचाए सब कोई ढूंढे कागज मैं बैठा देख तमाशा भला क्यों यह नीर बहाऊ जीने का हर पल सोच रखा था मैं किसको बतलाऊ सब कुछ तो था तुम्
गुजरे हुए उसके हुआ दिन पूरा एक दिन भर याद सताती रही भूलने उसे जतन करूं अनेक कल तक जो बात ना करे देखो कौओ को खिलाये खीर देखने जिस जतन की भीड़ लगी पर कोई एक तो बहाये नीर..... &nb
रंजना अपने दिल्ली प्रवास की तैयारी करते हुए बहुत खुश थी, क्योंकि दिल्ली में उसके अपने बहुत खास मित्र रहते थे। उसने सोचा दिल्ली जाने से एक पंथ दो काज हो जाएंगे। अपने संस्थान का कार्य भी होगा और अपने वि
प्रतापगढ़ के राजा महेंद्र सिंह के पास के बहुत ही सुन्दर घोड़ी थी। राजा ने उसका नाम अश्विका रखा था। कई बार युद्व में इस घोड़ी ने राजा के प्राण बचाये थे। वह घोड़ी राजा के लिए पूर्णतः वफादार थीI राजा और
मौत का ताबूत पार्ट 1 दरयाई नील बहुत ही ख़ामोशी से वह रहा था आधी रात का बक्त था क़दीम मिसर के गहरे नीले आसमान पर सितारे सफ़ेद मोतियों की तरह चमक रहे थे दरयाई नील के पानी मेँ आसमान के सितारों का अक्स झ
मौत का ताबूत पार्ट 1 दरयाई नील बहुत ही ख़ामोशी से वह रहा था आधी रात का बक्त था क़दीम मिसर के गहरे नीले आसमान पर सितारे सफ़ेद मोतियों की तरह चमक रहे थे दरयाई नील के पानी मेँ आसमान के सितारों का अक्स झ
बाहर बारिश हो रही थी... बहुत तेज थी बारिश... इतनी तेज की उसकी बूंदे खिड़कियों से अंदर आकर पूरे घर को भिगो रही थी... बादल गरजने की आवाज से कबीर की आंख खुली.... कबीर उठा और अपने घर की सभी खिड़किय
कतरों में जी जिंदगी.... हर कतरे में जिंदगी को ढूंढा... कभी मिली कभी खो गई...एक ख्याल के रास्ते में जब चल निकले तो जिंदगी पीछे पीछे चल दी... मुलाकात हुई उससे लेकिन तब जब उसकी आस खत्म हो चुकी थी...
रोज़ आधी नींद लिये हर रात हमेशा की तरह जाग जाता हूॅं, कुछ मेरे ही सवाल होते हैं जिनके जवाब मैं ख़ुद ही ढूंढने लगता हूॅं और फिर, मन ही मन ये सोचता हूॅं, अब भी कोई ज़िंदगी का हिस्सा मुझसे वाक़िफ है क्या
शहर से दूर एक घने जंगल में एक आम का पेङ था और एक लंबा और घना नीम का पेङ था | नीम का पेङ अपने पडोसी पेङ से बात तक नहीं करता था उसको अपने बङे होने पर घमंड था | एक बार एक रानी मधुमख्खी नीम के पेड़
पिछले अध्याय में हमने पढ़ा कि झारखंड के एमएलए की बेटी की शिखा की शादी की तैयारियाँ हो रही है और उसके कॉलेज के जमाने की सहेली मौलि शादी में आने वाली है। मौलि के आने की खबर से शिखा की खुशी का ठिकाना न थ
धनबाद के हीरापुर में स्थित सहाय सदन, झारखंड के MLA शांतिकान्त सहाय का स्थायी पता, सहाय सदन को अगर बाहर से देखें तो सिर्फ ऊँची दीवारें दिखाई देती हैं जिसपे कांटे लगे हैं और काले रंग की लम्बी-चौड़ी गेट ह
इससे पहले कि जगत बाबू के मान-सम्मान पर लगे बट्टे की आग का उठता धुआँ उनके आँख-कान से होता हुआ फेफड़ों में घुसकर साँस लेना दूभर करता, उन्होंने गाँव-समाज से सदा के लिए मुँह मोड़ते हुए अपने बोझिल कदम शहर की
दीपक का एक सहपाठी नन्दू गांव से आठवीं पास करके अपने एक रिश्तेदार के साथ मुम्बई चला गया था। दो वर्ष के बाद जब वह गांव वापस आया तो उसे देखकर दीपक अचंभित रह गया। उसे विश्वास नहीं हो रहा कि क्या सचमु
शाम का समय,खेत से लौटते पशुओं की आवाज़ और अस्ताचल को जा रहे सूर्य की लालिमा के बीच इस उदासीन और शांत परिवेश को चीरती हुई एक मोहित करने वाली बांसुरी की आवाज़.....एक छोटे से घर, घर नहीं उसे एक कमरा कह स
एक दिन बादशाह अकबर और बीरबल महल के ऊपर छत पर घूम रहें थे , उसी दिन बादशाह अकबर को एक मुगल बादशाह ने कुछ आधुनिक तोपें भेंट दी थी ,तो बादशाह को उन तोपों पर बड़ा गर्व महसूस हो रहा था , उसे उन्होंने ठीक अ
‘‘प्रेमान्त‘‘ --राजा सिंह रायल
कैफे के सामने सिनेमा हाल है। सामने रोड के
देखना खुद से होता हैं सुना दूसरों को जाता हैं दूसरे क्या
माना कि बाँध दिया था गांधारी को उसकी इच्छा के विरुद्ध अंधे वर के साथ<