उद्गम कहानी का।
कहानी समाज से पैदा होने वाली बीज हैं।
जो उन्ही के दरम्यान रहकर उन्हीं के बीच दफन हो जाती हैं।
पर अपनी अभिब्यक्ति से एक नए इतिहास की रचना करती हैं, उसे बदलती नहीं हैं उसके अधूरेपन मे भराव करती हैं। अगर वह ऐसा नहीं करती तो समझो, वह बदलाव के नाम पर इतिहास को नहीं, उसके पात्र को नष्ट करती हैं ।
जब पात्र ही मर जाएगा तो उसमे पनपती तस्वीर पहले ही दफन हो जाएगी।
जिस तरह किसी पेड़ के साथ काट-छाट करना बदलाव हैं, लेकिन उसे काट देना बदलाव नहीं विनाश हैं । जड़ का खोना मतलब उसके अस्तित्व को खोना हैं।