मैडम जी
कुछ देर खामोश
कहीं खोई सी बैठी रहीं नीलिमा जी... फिर एक लम्बी साँस भरकर बोलीं “ये बाहर जाते
थे तो मैं यहाँ देहरादून आ जाती थी | बेटी भी बाहर ही पढ़ रही थी न, तो मैं अकेली
बम्बई में क्या करती ? अब ये जितने भी हाइली एजुकेटेड लोग होते हैं उनकी तो
मीटिंग्स विदेशों में होती ही रहती हैं | आप भी जाती होंगी मीटिंग्स के लिए | आपके
हसबेंड भी जाते होंगे | अच्छा एक बात बताइये, आप इतनी सुन्दर हैं – गोरी चिट्टी,
तो आपकी बेटी तो और भी ख़ूबसूरत दिखती होगी | लड़कियाँ तो अपनी माँ से ज़्यादा ही
ख़ूबसूरत होती हैं | वो तो बिल्कुल विदेशी लगती होगी | हम तो ख़ूबसूरत नहीं हैं... न
ही हमें अच्छे से पहनना ओढ़ना आता है... इसीलिए भी वे अपनी असिस्टेंट को ही अपने
साथ ले जाना पसन्द करते हैं...” और फिर कहीं खो गईं |
“किसने कहा
नीलिमा जी आप सुन्दर नहीं हैं... हमें तो आप सच में बहुत सुन्दर लग रही हैं... और
ड्रेस सेन्स तो हर किसी का अपना अपना होता है, उसके लिए किसी को कुछ बोलने की ज़रूरत ही नहीं...” हमने उन्हें सान्त्वना देते
हुए कहा...
कुछ पति पत्नी
के उलझे सुलझे से रिश्तों को प्रदर्शित करती एक कहानी... सुनने के लिए कृपया
वीडियो पर जाएँ...