अरविंद केजरीवाल. बिक्रम मजीठिया. कैप्टन अमरिंदर सिंह. 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव इन तीन शख्सियतों के इर्द गिर्द हुए. जो जीते वो भी बिक्रम मजीठिया का नाम जपते रहे, जो हारे (आम आदमी पार्टी) उन्होंने भी बिक्रम-बिक्रम खूब खेल ा. खेला सही शब्द है. आप आम आदमी पार्टी के फैन होंगे या फिर सहानुभूति रखते होंगे तो शायद इस ‘खेल’ शब्द से आहत हों. आहत होंगे तो ऊपर रिपोर्टर की बाई-लाइन पढ़ेंगे और फिर गरियाएंगे. गरियाने से भी मन नहीं भरेगा तो डेफामेशन केस ठोक देने की धमकी देंगे. आप ठोक भी दीजिएगा. अब आप सोच रहें होंगे कि भला आदमी है ये, डेफामेशन का डर ही नहीं. हां मैंने डेफामेशन केस का तोड़ निकाल लिया है. बताता हूं, बिल्कुल मुफ्त मुफ्त मुफ्त.
आप किसी के बारे में खूब बुरा भला कहिए (सच हो या झूठ इसकी परवाह किए बगैर). बोलते रहिए जब तक सामने वाला दहाड़कर ये ना बोले कि कोर्ट में घसीटूंगा. आप तब भी हीरो बने रहिए. माथे पर शिकन न आने दें. केस चलने दीजिए. जैसे ही लगे कि सारी पेशियां खत्म होने वाली है और फैसला आपके खिलाफ आ सकता है, आप एक बढ़िया सा लेटर (चिट्ठी) तैयार कीजिए. चिट्ठी में माफी मांगिए, भारी भरकम शब्दों का इस्तेमाल करते हुए बिल्कुल ग्राउंडेड साउंड करिए. जैसे कि आप बहुत ही सेंसेटिव हैं और अपने किए पर शर्मिंदा हैं. ज़्यादा सहायता के लिए ऑफिशियल फॉर्मेट नीचे लगा रहा हूं.
समझे? ऐसे मांगते हैं मांफी. जैसे अरविंद केजरीवाल बिक्रम मजीठिया से मांग रहे हैं. कितनी चुभती है ना ये लाइन! आपको पता नहीं कितनी, लेकिन मैं पंजाबी हूं और ये चिट्ठी इतनी चुभ रही है कि तमाम व्यस्तताओं के बावजूद रात के 12 बजे ये खबर लिख रहा हूं.
आपको खबर बता दूं तरीके से. अरविंद केजरीवाल ने शिरोमणी अकाली दल के लीडर बिक्रम मजीठिया पर ड्रग तस्करी के आरोप लगाए थे. बिक्रम ने डेफामेशन का केस दर्ज किया. केजरीवाल पेशी पर अमृतसर कोर्ट भी गए. लेकिन अब एकाएक हृदय परिवर्तन हो गया मुन्नाभाई वाला. और केजरीवाल जी ने बिक्रम से चिट्ठी लिखकर माफी मांग ली. ऐसा पहली बार हुआ है कि एक सिटिंग सीएम मानहानि के केस में माफ़ी मांग रहा है.
“These statements became a political issue.” आपने (केजरीवाल ने) लिखा. हां तो क्यों नहीं बनेगा पॉलिटिकल इशू? आप पॉलिटिशियन हैं, सभाओं में खुद बिक्रम मजीठिया को कठघरे में खड़ा कर देते थे. बोलते थे ड्रग तस्कर चला रहे हैं पंजाब सरकार. बनेगा ही पॉलिटिकल इशू तो.
फरवरी 2017 में पंजाब के विधानसभा चुनाव हुए. 2016 के माघी मेले से पंजाब की चुनाव प्रचार का बिगुल बजा दिया गया. केजरीवाल आए हरे रंग के स्वेटर में और पीली पगड़ी बांधकर. एक हिंदी स्पीकिंग व्यक्ति की पंजाबियों पर इतनी पकड़ बहुत मुश्किल से देखने को मिलती है. लेकिन मैं गवाह बना, केजरीवाल की शुरुआती रैलियों में होने वाली भीड़ का, उनके जोश का. पंजाब में जैसी शुरुआत 2016 में आम आदमी पार्टी ने की, उस से 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव याद आते. ‘पार्टी विद अ डिफरेंस’ का नारा देते और उसी दिशा में बढ़ते तो और अच्छा लगता. सर्वे हुआ तो 117 में 96 सीटें आम आदमी पार्टी को मिली. ये सारा ब्योरा 2016 की शुरुआत का है. रैलियां होती, जन सभाएं होती, आने वाले वाले पांच सालों के लिए वादे किए जाते. बादलों की मिट्टी पलीद करनी होती तो सबसे पहले बिक्रम मजीठिया का नाम आता.
जिनको नहीं पता, उनको बता दूं, बिक्रम मजीठिया हरसिमरत कौर (कैबिनेट मंत्री) के भाई यानि सुखबीर बादल (पूर्व उप मुख्यमंत्री) के साले हैं. यूथ अकाली दल के प्रेज़िडेंट हैं. मजीठा के रहने वाले है इसलिए नाम के आगे मजीठिया लगता है. राजा-महाराजा के खानदान से आते हैं. बिक्रम मजीठिया और कैप्टन अमरिंदर सिंह का भी रिश्ता है. बेशक दोनों चुनावों में एक दूसरे को भद्दे शब्द कहने से नहीं चूकते लेकिन आम ज़िंदगी में बिक्रम, कैप्टन को चाचा कहते हैं. आमने सामने आ जाएं तो बिक्रम कैप्टन के पैर भी छूते हैं. दरअसल कैप्टन और बिक्रम के पिता अच्छे दोस्त हैं, दोनों साथ में पढ़े थे. इसी वजह से इनका एक दूसरे के घर (महल) में आना जाना भी है. और चुनाव खत्म होते ही एक दूसरे के लिए बड़े पोलाइट भी हो जाते हैं. ये हम पिछले 20 साल से देखते आए हैं इसलिए ज़्यादा अचरज नहीं होता. अचरज इन चीज़ों पर होता है:
– हर चुनाव से पहले कैप्टन के कथित स्विस बैंक अकाउंट की बात ज़रूर होती है. लेकिन कभी कार्रवाई होती नहीं सुनी.
– कैप्टन सरकार के दौरान कोर्ट ने करप्शन के आरोप में सुखबीर बादल को जेल भेजा. और कैप्टन ने सुखबीर के लिए जेल में खाना और डाइट कोक (कोल्ड ड्रिंक) भिजवाई. जेल में रजाई बदलवाई, फर्श नया बनवा दिया, टॉयलेट नया बनवा दिया. खैर सरकार बदली, मुख्यमंत्री बदला और बादल साहब ने केस बंद करवा दिया.
– बादल और कैप्टन दोनों एक दूसरे के खिलाफ चुनाव से पहले शाब्दिक फायरिंग करते हैं. केस खुलता है, सरकार आती है, केस रफा दफा हो जाता है. They think we are fools, and yes they are right.
– बिक्रम मजीठिया का ड्रग तस्करी में नाम आया. ED नें केस की जांच शुरू की. विपक्ष (कांग्रेस) के सभी सदस्य चाहते हैं कि बिक्रम मजीठिया पर CBI इंक्वायरी हो. लेकिन अकेले कैप्टन अड़े रहे कि जांच पंजाब पुलिस और ED ही करे.
बिक्रम का नाम कैसे आया ड्रग तस्करी में वो तो बताउंगा ही लेकिन अभी बाद चल रही है अचरज होने की. जैसा अचरज अरविंद केजरीवाल की चिट्टी ने किया. हिंदी में लिख रहा हूं तो वो तेवर नहीं आ पा रहें इसलिए इंग्लिश में ठेल रहा हूं This was the least Punjab could expect from you. आपने भरोसा तोड़ा है. लेकिन अपना भरोसा टूटना तब छोटा लगने लगता है जब मैं सुखपाल सिंह खैरा और कंवर संधू जैसे ‘आप’ नेताओं को देखता हूं. आप पहले उनके ट्वीट देखिए.
सुखपाल सिंह खैरा का ट्वीट:
We’re appalled n stunned by the apology of @ArvindKejriwal tendered today,we don’t hesitate to admit that we haven’t been consulted on this meek surrender by a leader of his stature-khaira @ZeeNews@CNNnews18@thetribunechd@HTPunjab@PTC_Network@JagbaniOnline@dailyajitnews
कंवर संधू का ट्वीट:
आपकी लोकल लीडरशिप को ही नहीं पता कि हो क्या रहा है. आप कम से कम उन्हें तो कॉन्फिडेंस में लेते. कब तक वन मेन आर्मी की तरह काम चलेगा. मुझे पता है कि मैं ज़्यादा पर्सनल हो रहा हूं, लेकिन बात मेरे पंजाब की है. And I will take it personally. ये धोखे जैसा महसूस हो रहा है.
मुझे रेंचो का चौकीदार याद आ रहा है. 3 Idiots वाला रेंचो. वा बताता है ना कि चौकीदार मोहल्ले में All is Well कहता हुआ घूमता रहता था. एक दिन चोरी हो गई तो पता चला कि चौकीदार तो अंधा था. अब समझ जाइए रेंचो कौन, चौकीदार कौन!
अचरज बहुत बार यूज़ हो गया, अब हैरानी लिख देता हूं. हैरानी और बढ़ गई जब पता चला कि STF यानि Special Task Force ने ड्रग तस्करी मामले में हाई कोर्ट को जो रिपोर्ट सौंपी है, उसमें बिक्रम मजीठिया का नाम शामिल है. फिर भी बिक्रम मजीठिया से माफी मांगी!
बिक्रम का नाम आया कैसे ड्रग तस्करी में?
जगदीश भोला. पंजाब का पूर्व डीएसपी. कुश्ती पहलवान. बाद में जाकर नशा तस्करी के आरोपों में जेल जाना पड़ा. आरोप छोटा मोटा नहीं था. 6 हजार करोड़ का इंटरनेशनल नेक्सस था ड्रग तस्करी का. 6 हजार करोड़ यानि दिल्ली के सालाना बजट का दसवां हिस्सा. पेशी पर कोर्ट जाता था भोला, तो बाहर मीडिया वाले घेर लेते थे. एक दिन एक रिपोर्टर ने लगा दिया भोला के आगे माइक. भोला बोलने लगा और बोलता चला गया. कहा कि बिक्रम मजीठिया की इन्वॉल्वमेंट है केस में और SSP मान का भी रोल है. बोला पंजाब पुलिस को केस मत सौंपना. CBI को केस दो अगर ठीक से जांच चाहिए. बता दूं कि उस वक्त राज्य में शिरोमणी अकाली दल की ही सरकार थी.
इसके बाद से ही कांग्रेस और आम आदमी पार्टी वाले समय समय पर बिक्रम मजीठिया पर ड्रग तस्करी के आरोप लगाते रहते.
क्यों मांगी होगी केजरीवाल ने माफी?
डर गए होंगे केजरीवाल. जिस हिसाब से दिल्ली में उनके विधायकों की गिरफ्तारियां हो रही है, केजरीवाल को ये डर सताने लगा होगा कि अगर अमृतसर कोर्ट में उनके खिलाफ फैसला आया तो क्या ही होगा!
एक और ट्वीट:
I fail to understand the timing of Kejrewal’ apology when STF of PB has stated to the High Court today that there’s substantial evidence to proceed against Bikram Majitha on the issue of drugs-khaira @ZeeNews@News18India@thetribunechd
ये डर नहीं है तो और क्या है? जब आने वाले कुछ ही दिनों में डेफामेशन केस का फैसला आने वाला है, तो क्या ज़रूरत थी इस बौखलाहट की? आपको अपनी गलती का एहसास दो साल बाद हुआ?
मैं अब माफी मांगते हुए उनके वीडियो ब्लॉग का इंतज़ार कर रहा हूं जिसमें वे कहेंगे कि मैं रात भर सो ना पाया…. ब्ला ब्ला ब्ला.
सत्संग खत्म, सेवा समाप्त.
जाते जाते ये गाना भी सुनते जाएं. आज के समय में बहुत मौजू है: