मां का उसके बच्चे के साथ रिश्ता उस दिन से ही बन जाता है, जब बच्चा कोख में आता है. हर गर्भवती महिला गर्भवस्था के दौरान अपने अंदर होने वाले हर बदलाव और हर एहसास को कभी भूल नहीं सकती है. शायद इसीलिए प्रेग्नेंसी फ़ोटोशूट और बर्थ फ़ोटोग्राफ़ी का क्रेज़ लोगों में काफ़ी बढ़ गया है. दोस्तों हमने आपको पहले कई बार बर्थ फ़ोटोग्राफ़ी यानि कि बच्चे को जन्म देती हुई महिलाओं और बच्चे के जन्म की प्रक्रिया की फ़ोटो सीरीज़ दिखाई हैं.
अगर आपने गौर किया हो तो उनमें कई फ़ोटोज़ ऐसी थीं, जिनमें महिलायें पानी के अंदर बच्चे को जन्म दे रही हैं. देखकर आश्चर्य भी हुआ होगा, लेकिन पानी के अंदर बच्चे के जन्म की इस प्रक्रिया को Water Birth कहते हैं. और आज हम आपसे इस Water Birth Process के बारे में ही बात करने वाले हैं, जैसे क्या है Water Birth, जन्म की बाकी प्रक्रियाओं में ये बेस्ट क्यों है और क्यों इंडिया में इसका चलन नहीं है आदि...
क्या है Water Birth?
जैसा की नाम से ही समझ आ रहा है कि पानी के अंदर बच्चे को जन्म देने की प्रक्रिया को वॉटर बर्थ डिलीवरी कहते हैं. वॉटर बर्थ डिलीवरी प्रसव करवाने का एक प्रकार है, जैसे सिजेरियन या नार्मल डिलीवरी में होता है. अगर ये कहा जाए कि वॉटर बर्थ डिलीवरी नार्मल डिलीवरी का ही एक प्रकार है, तो ग़लत नहीं है. इस प्रक्रिया में डिलीवरी के दौरान होने दर्द को कम किया जा सकता है. माना जाता है कि वॉटर बर्थ डिलीवरी में नार्मल डिलीवरी से 40% कम पीड़ा होती है.
इसके अलावा इस तरह से डिलीवरी होने में मां और बच्चे दोनों को ही किसी भी तरह का इन्फ़ेक्शन होने का ख़तरा बहुत कम हो जाता है. इसीलिए इन दिनों विदेशों में वॉटर बर्थ डिलीवरी का ट्रेंड बढ़ गया है.
वैसे तो इन दिनों विदेशों में Sea Birth का भी काफ़ी ट्रैंड है, इसमें महिला समुद्र के पानी में बच्चे को जन्म देती हैं. कुछ दिनों पहले इंटरनेट पर कुछ फ़ोटोज़ वायरल हो रहीं थीं, जिनमें दो आदमी और एक महिला है और ये तीनों समुद्र के पानी में हैं. असल में ये फ़ोटो लाल सागर की थी, जिसमें एक रशियन महिला ने अपने डॉक्टर पति की मदद से समुद्र में अपने बच्चे को जन्म दिया.
इन दिनों वॉटर बर्थ के ज़रिये बच्चे को जन्म देने वाली महिलाओं में Sea birth यानी समुद्र में बच्चा पैदा करने का ट्रेंड बढ़ रहा है. डॉक्टर्स के अनुसार, Sea Birth मां और बच्चे के लिए लाभदायक है.
कैसे होती है Water Birth Delivery?
वॉटर बर्थ डिलीवरी की इस प्रक्रिया के लिए एक गुनगुने पानी का बर्थिंग पूल बनाया जाता है. इस पूरे पूल का टेम्प्रेचर एक समान रखने के लिए इसमें कई वॉटर प्रूफ़ उपकरण भी लगे रहते हैं. इसके अलावा इन्फ़ेक्शन को रोकने के लिए भी एक इक्विपमेंट लगा होता है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस बर्थिंग पूल की क्षमता लगभग 400 लीटर होती है. लेबर पेन शुरू होने के तीन से चार घण्टे के बाद महिला को इसमें ले जाया जाता है.
जब महिला की डिलीवरी का टाइम हो जाता है, तब उसे गर्म पानी से भरे बर्थिंग पूल में बैठाया जाता है और उसी में महिला की प्रसव प्रक्रिया होती है. डॉक्टर्स का मानना है कि वॉटर बर्थ मां और बच्चे दोनों के लिए फ़ायदेमंद होती है.
क्यों अच्छी होती है Water Birth Delivery?
वॉटर बर्थ डिलीवरी का सबसे बड़ा फ़ायदा ये हैं कि इसके द्वारा हुए प्रसव में मां और बच्चे दोनों को किसी भी तरह का इन्फ़ेक्शन होने का ख़तरा काफी कम होता है. वॉटर बर्थ के जरिये स्ट्रैस लेवल भी कम कम करने में मदद मिलती है. साथ ही इस प्रक्रिया में प्रसव होने से पहले योनि में जो खिंचाव होता है, वो भी कम हो जाता है.
ऐसा इसलिए क्योंकि ये प्रक्रिया गरम पानी में की जाती है और गरम पानी के कारण टिशूज़ बहुत सॉफ़्ट हो जाते हैं, जिससे प्रसव में आसानी हो जाती है. वॉटर बर्थ डिलीवरी के समय महिला का शरीर गरम पानी में होने की वजह से बॉडी में तनाव भी कम हो जाता है.
इसके अलावा गरम पानी के अंदर होने के कारण महिला के शरीर में एंड्रोफिन हार्मोन ज़्यादा मात्रा में रिलीज़ होता है, जिसक कारण दर्द बहुत कम हो जाती है. इसका ये फ़ायदा भी होता है कि प्रसव के दौरान महिला को एनेस्थीशिया और दूसरी कोई पेन किलर देने की ज़रूरत ना के बराबर ही होती है. लगभग आधी हो जाती है. इसके साथ ही गर्म पानी के कारण एंग्जायटी भी नहीं होती और ब्लड प्रेशर भी नियंत्रण में रहता है.
डॉक्टर्स का मानना है कि सीज़ेरियन ऑपरेशन की तुलना में वॉटर बर्थ बेहतर है. ये बच्चे को मां के गर्भ जैसा माहौल भी देता है. पानी के कारण बच्चे के शरीर में ब्लड सर्कुलेशन सही हो जाता है.
मगर इसके लिए सबसे ज़रूरी बात ये है कि वॉटर बर्थ डिलीवरी के लिए महिला का शारीरिक रूप से फ़िट होना बहुत ज़रूरी है. अगर महिला पूरी तरह से स्वस्थ है, तो किसी भी महिला विशेषज्ञ द्वारा वॉटर बर्थ डिलीवरी करवाई जा सकती है.
लेकिन भारत में क्यों नहीं होती Water Birth Delivery?
सदियों से हमारे देश में धर्म और संस्कृति के नाम पर महिलाओं को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा है. और आज भी महिलायें इन्हीं अन्धविश्वासों के कारण बहुत कुछ झेलती हैं. और भारत में Water Birth Delivery को ना अपनाये जाने के पीछे भी यही एक बड़ी वहज है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि शास्त्रों के हिसाब से नवजात और मां पानी के पास नहीं जा सकते. माना जाता है कि जब घर में महिला बच्चे को जन्म देती हैं तो कुछ दिनों के लिए सूतक लग जाता है.
अब थोड़ा सा सूतक के बारे में भी जान लेते हैं:
हमारे समाज में सूतक का मतलब होता जन्म के समय होने वाली अशुद्धी, जो गर्भनाल के काटे जाने और प्रसव के दौरान होने वाली अन्य क्रियाओं के कारण होती है. और कारण लगने वाले पाप का प्रायश्चित होता है ‘सूतक’. इसके साथ ही प्रसव के दौरान शरीर से जो भी ख़ून और पानी निकलता है, उसे अशुद्ध माना जाता है. और बच्चे के जन्म के बाद कई दिनों तक महिला को पीरियड्स होते हैं. यही कारण है कि इस दौरान किसी भी तरह के पूजा पाठ में मां और बच्चा एक ही कमरे में रहते हैं. और गरुड़ पुराण में सूतक को एकदम सही माना गया है. माना जाता है कि जन्म के 10 दिन तक सभी घरवालों को और 45 दिन तक बच्चे की मां पर सूतक रहता है. मां और बच्चा 45 दिन तक एक ही कमरे में रहते हैं और घर के लोग भी वहां नहीं जाते. हालांकि, अब लोग इन बातों को इतना नहीं मानते हैं.
और जिस देश में नदियों और समुद्र को पूजा जाता है उसे देश में पानी में बच्चे को पैदा करना तो बहुत दूर की बात है.
शायद भारत में वॉटर बर्थ प्रक्रिया इसलिए भी प्रचलित नहीं हैं क्योंकि महिलायें प्रसव पीड़ा को सहन करने से घबराने लगीं हैं और सीज़ेरियन ऑपरेशन के ज़रिये बच्चा पैदा करना आसान मानने लगीं हैं. लेकिन शायद आपको पता ही होगा कि सीज़ेरियन ऑपरेशन से बच्चे को पैदा करना तो आसान है, पर इसके साइड इफ़ेक्ट्स बाद में पता चलते हैं.
पर कब तक हम किसी अच्छी चीज़ को ना अपनाने के लिए शास्त्रों का हवाला देते रहेंगे? हम ये मान सकते हैं कि हमारे देश में लोगों को अभी इस प्रकिया के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं है. लेकिन हम लोगों को इसके बारे में जागरुक तो कर सकते हैं. हम एक ऐसे देश का हिस्सा हैं जो दिन पर दिन हर क्षेत्र में प्रगति कर रहा है, फिर चाहे वो तकनीकी हो या चिकित्सा, तो फिर आर्टिफीशियल पूल बनाकर वॉटर बर्थ की प्रक्रिया की शुरुआत तो कर ही सकते हैं. क्यों हर चीज़ में हम धर्म को ले आते हैं? अगर ये महिलाओं के लिए फ़ायदेमंद है तो मेरा मानना है कि इस प्रक्रिया को अपनाना बिलकुल सही है और हमें इसे अपनाना चाहिए.