नई दिल्ली। गुजरात, बिहार, मध्यप्रदेश और उत्तप्रदेश जैसे राज्यों में 2000 और 100 रुपए की कमी से एक बार फिर लोगों को नोटबंदी जैसे हालातों का सामना करना पड़ रहा है।
गुजरात में बैंकों ने नकदी निकालने की सीमा तय कर दी है जबकि अधिकतर
एटीएममें पैसा ही नहीं है। कई
बैंककोर बैंकिंग प्रणाली की सुविधा को धता बताते हुए दूसरी शाखा के ग्राहकों को निर्धारित सीमा से भी कम रकम तक निकालने की ही अनुमति दे रहे हैं।
गुजरात के महेसाणा, पाटन, साबरकांठा, बनासकांठा, मोडासा के अलावा अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत जैसे बड़े शहरों में भी नकदी संकट बना हुआ है। इन शहरों में अधिकतर एटीएम के ऊपर 'पैसा नहीं है' का बोर्ड लगा हुआ है।
मध्यप्रदेश के कई शहरों में भी लोग नोटों की कमी से एटीएम दर एटीएम भटक रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसान महासम्मेलन में कहा कि जब (नवंबर 2016 में) नोटबंदी हुई थी तब 15 लाख करोड़ रुपए के नोट बाजार में थे और आज साढ़े 16 लाख करोड़ के नोट छापकर बाजार में भेजे गए हैं। लेकिन 2-2 हजार के नोट कहां जा रहे हैं, कौन दबाकर रख रहा है, कौन नकदी की कमी पैदा कर रहा है। यह षड्यंत्र है।'
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह षड्यंत्र इसलिए किया जा रहा है, ताकि दिक्कतें पैदा हो। उन्होंने कहा कि आज प्रदेश में नगदी की कमी पैदा की जा रही है, इससे राज्य सरकार निपटेगी। प्रदेश सरकार इस पर सख्ती से कार्रवाई करेगी। इस संबंध में हम केंद्र से भी बात कर रहे हैं।
उत्तरप्रदेश और बिहार के एटीएमों पर भी नो कैश के बोर्ड देखे जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस संकट को देखते हुए मंगलवार को एक अहम बैठक बुलाई है।
बताया जा रहा है कि बैंकों में इन दिनों नोटों की भारी कमी चल रही है। आरबीआई से नोट मिलना कम हो गया है। इस वजह से एटीएम में ज्यादा पैसा नहीं भरा जा रहा है।