महाराणा प्रताप और अकबर, मौके बेमौके टॉक ऑफ दी टाउन बनते ही रहते हैं. पिछले साल ये मौका तब आया जब पता चला कि महाराणा प्रताप ने हल्दीघाटी की लड़ाई जीत ली. 1576 में हुई इस लड़ाई का फाइनल रिजल्ट 2017 में आया. इस जीत का श्रेय जाता है बीजेपी विधायक को. दरअसल पिछले साल जयपुर से भाजपा विधायक मोहनलाल गुप्ता ने सुझाव दिया कि यूनिवर्सिटी की किताबों में फेरबदल किया जाना चाहिए. उनके हिसाब से हल्दीघाटी के युद्ध में राणा प्रताप की जीत हुई थी. सारे इतिहासकारों ने उस युद्ध के बारे में गलत जानकारी दी है. इसलिए किताबों में फेरबदल करके हल्दीघाटी के युद्ध में राणा प्रताप को विजेता दिखाना चाहिए. ये तो बात हुई हल्दीघाटी की.
आज अपने जन्मदिन के मौके पर महाराणा प्रताप ने अकबर से दिल्ली की एक रोड को भी जीत लिया है. वो रोड जिसपर कांग्रेस का हेड ऑफिस है. खैर ये काम मुमकिन हो सका है बजरंग दल की वजह से. बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने अपने चिर-परिचित अंदाज में हो-हल्ला और नारेबाजी करते हुए ‘अकबर रोड’ साइनबोर्ड पर ‘राणा प्रताप रोड़’ लिखा हुआ पोस्टर चिपका दिया.
इन लोगों का कहना है कि,
‘ये देश महाराणा प्रताप का है. अकबर जैसे मुस्लिम आक्रांता, जिसने देश को लूटा हो उसके लिए देश में कोई जगह नहीं है.’
इन लोगों को इतिहास की बेसिक लेवल की किताबें गिफ्ट की जानी चाहिए ताकि इन्हें आक्रांता, लुटेरा और शासक में फर्क समझ में आए. इनका और इतिहास का छत्तीस का आंकड़ा रहा है. ये समय-समय पर इस बात को साबित करते ही रहते हैं.
इतिहास का मतलब आजकल बवाल है. जिन्ना बवाल पर इतना बोला जा चुका है कि अब बोलने को कुछ बचा ही नहीं है. ताजमहल है कि तेजोमहालय के बवाल में बड़े-बड़े लोग सिर खपा रहे हैं. सफदरजंग में पांच सौ साल पुरानी मजार को मंदिर में बदल दिया गया. खैर इतिहास के इन पुरोधाओं से रिक्वेस्ट है कि इतिहास का हो गया हो तो जरा वर्तमान पर भी ध्यान दे लो. अकबर-बाबर ने देश के साथ क्या किया,बाद में सोचेंगे. अभी ये सोचते हैं कि हमारी सरकारें लोगों के लिए क्या कर रही हैं.
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