नब्बे के बाद भारत में प्राइवेट टेलीविजन आया. ज़ीटीवी और सोनी जैसे चैनल शुरू हुए. वेस्टर्न मुल्कों में सुबह-सुबह ईसाई धर्म के प्रचार के कार्यक्रम आते थे, उसी तर्ज पर भारत में भी गुरु लोगों के पंडाल और प्रवचन हमारे यहां प्रसारित होने लगे. सोनी पर ऐसा जो प्रोग्रैम आता था उसमें दिखते थे आसाराम बापू. बहुत से पाठकों को जरूर वो सुबहें याद होंगी. कोई दो दशक बाद ऐसे टीवी चैनलों पर आने वाले धार्मिक कार्यक्रमों और धर्मगुरुओं का पूरा परिदृश्य बदल गया है. आसाराम बापू की लाइफ भी सिर के बल खड़ी हो गई है. उसकी पब्लिक इमेज करीब-करीब खत्म हो चुकी है. चार साल से वो जोधपुर जेल में बंद है.
उसे लेकर जनरली ये पता है कि कोई रेप केस चल रहा है और जमानत नहीं मिल रही. लेकिन अगर इत्ता ही पता है तो ऐसा लगता है हमें कुछ नहीं पता.
क्योंकि उस पर चल रहे सारे मुकदमों में से तीन ऐसे हैं जिनकी कहानियां सरप्राइज़ कर देती हैं. उसको भी जिसने ‘गेम ऑफ थ्रोन्स सीज़न-7’ का आखिरी एपिसोड सोमवार को देखा है. कई रिपोर्ट्स और सूत्रों के हवाले से मालूम चली ये कहानियां हमें कंपा देती है.
केस 1.
‘मां-बाप को बाहर भेज दिया, अंदर बच्ची से जबरन ओरल सेक्स किया’
यू.पी. के शाहजहांपुर में एक परिवार था जो आसाराम का बड़ा वाला भक्त था. उसे भगवान का दर्जा दे रखा था. जब शाहजहांपुर में आसाराम का आश्रम बना तो ट्रांसपोर्ट बिजनेस करने वाले इस परिवार ने बड़ी रकम दी थी. उसमें इनकी इतनी आस्था थी कि अपने 3 में से 2 बच्चे छिंदवाड़ा, एम.पी. में बने आसाराम की बोर्डिंग स्कूल भेज दिया था. सोचा था बच्चों को अच्छे संस्कार मिलेंगे.
लेकिन 7 अगस्त 2013 को आई एक फोन कॉल के बाद ये परिवार तबाह हो गया. स्कूल की वॉर्डन शिल्पी (मामले में सह-आरोपी) ने फोन पर बताया कि उनकी बेटी बहुत बीमार है. परिवार तुरंत छिंदवाड़ा पहुंचा. वहां उन्हें बेटी बेहोश मिली. वॉर्डन बोली उस पर भूत-प्रेत का साया है और सिर्फ आसाराम ही ठीक कर सकते हैं तो उनसे मिलो. आसाराम की अंधी भक्ति में डूबा ये परिवार बेटी को लेकर दिल्ली गया. पता चला आसाराम जोधपुर आश्रम चला गया है.
आखिर 14 अगस्त को जोधपुर में आसाराम उनसे मिला. कथित तौर पर उसने भरोसा दिलाया कि पूजा-पाठ से उनकी बेटी को ठीक कर देगा. अगले ही दिन आसाराम ने अपने झोपड़ीनुमा कमरे में उनको बुलाया. कुछ मंत्र पढ़ने के बाद लड़की को अंदर रोक लिया और परिवार को बाहर जाने को कहा. भरोसे में खोया परिवार बाहर बैठकर भजन-कीर्तन करने लगा. एक घंटे बाद बेटी रोती, बिलखती बाहर आई. परिवार वालों ने पूछा क्या हुआ? तो उसने बस इतना कहा कि “मुझे वापस घर ले चलो.” परिवार अगले ही दिन शाहजहांपुर लौट गया.
अब परिवार के लोगों की कंपकंपी छूटने वाली थी. बेटी ने मां को बताया कि आसाराम ने उसे पहले जबरन दूध पिलाया और फिर उसका यौन शोषण किया. कैरेवन मैगजीन की रिपोर्ट के मुताबिक इस केस की चार्जशीट में जो लिखा है वो और दहला देने वाला है. उसके मुताबिक आसाराम ने लड़की के कपड़े उतारे. फिर उसे जबरन ओरल सेक्स करने को मजबूर किया. विरोध करने के बावजूद उसे जगह-जगह चूमा. लड़की को धमकाया कि अगर इस बारे में किसी को कुछ कहा तो वो उसके पूरे परिवार को मरवा देगा.
पिता को जब ये पता चला तो वो हक्के-बक्के रह गए. वो आसाराम से मिलने तुरंत दिल्ली गए मगर आसाराम ने मिलने से इनकार कर दिया. थक-हार कर पिता 20 अगस्त 2013 को कमला नगर पुलिस स्टेशन पहुंचे और शिकायत दर्ज करवाई. इस मामले में आसाराम पर POSCO (Protection Of Children from Sexual Offences)और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत केस चल रहा है.
इसी केस में 31 अगस्त 2013 को जोधपुर पुलिस ने आसाराम को गिरफ्तार किया. तब से वो जेल में है. 2017 आ चुका है और चार साल से लड़ाई जारी है. पीड़ित पिता कहते हैं जब तक उनके परिवार का आखिरी सदस्य जिंदा है वो चैन से नहीं बैठेंगे और लड़ेंगे जब तक आसाराम को सजा नहीं मिल जाती.
केस 2.
आसाराम अरेस्ट के बाद सामने आईं सूरत की दो बहनों की कहानी
जोधपुर मामले में आसाराम की गिरफ्तारी के बाद सूरत की दो बहनों को भी हिम्मत मिली. दोनों शादीशुदा थीं. इनके बच्चे थे. इन्होंने जोधपुर की 16 साल की पीड़िता को खुद ढूंढ लिया था. इनकी कहानी भी ऐसी ही थी. इनके परिवार वालों को भी आसाराम और उसके बेटे नारायण साईं पर अटूट विश्वास था. कैरेवन की रिपोर्ट के अनुसार, दोनों बहनों में बड़ी बहन को सबसे पहले 1996 में घरवालों ने अहमदाबाद के आश्रम भेजा था. तब वहां 12 दिन का अनुष्ठान था. इसके बाद जब घरवाले बेटी को लेने पहुंचे तो आसाराम की पत्नी लक्ष्मी देवी ने घर वालों को समझा-बुझा कर उसे गुरु के पास ही रहने को तैयार कर लिया. भक्ति में खोया परिवार मान गया और बेटी को वहीं अहमदाबाद छोड़ गया.
सन 2000 की बात है. यही परिवार नारायण साईं के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने सूरत गया. 16 साल की हो चुकी छोटी बेटी भी साथ गई थी. कथित तौर पर यहां नारायण साईं की ओर से परिवार को बहलाया-फुसलाया गया और छोटी बेटी को मेघनगर आश्रम बनने में सहयोग के बहाने रोक लिया गया. उसे घर लौटने नहीं दिया गया.
उसे 2002 में नारायण साईं के साथ बिहार और नेपाल के टूर ले जाया गया. वहां से लौटकर सूरत आई तो रिपोर्ट के मुताबिक एक दिन साईं ने उसे अपने पास बुलाया. फिर उसका रेप किया. बार-बार किया. बाद में लड़की ने अपने घर जाने की कोशिश की तो उसे मारा-पीटा गया. एक दिन उसने किसी तरह मां की तबीयत खराब होने का बहाना बनाकर, भाई की मदद से घर जाने के लिए आश्रम से परमिशन ले ली. छुट्टी मिली, वो भी सिर्फ 10 दिन के लिए. घर पहुंची तो सही लेकिन उनको कुछ बताने की हिम्मत न जुटा सकी. 10 दिन बाद आश्रम से फोन आने लगे. न लौटने पर उन्हें धमकाया गया. मगर अब वो नहीं गई.
कुछ दिन बाद घर के लोगों ने बड़ी बहन को भी बुला लिया. जब दोनों बहनें मिलीं तो बड़ी ने भी अपनी यही आपबीती बताई. हालांकि ये अपने माता-पिता को बताने की हिम्मत नहीं जुटा पाईं. फिर दोनों की शादी हो गई. 2013 में जब आसाराम गिरफ्तार हो गए तो दोनों बहनें इस लड़ाई में कूद गईं और नारायण साईं को सजा दिलाने की ठानी. 6 अक्टूबर 2013 को दोनों ने सूरत में केस दर्ज करवाया. बड़ी बहन ने आसाराम पर यौन शोषण का आरोप लगाया तो छोटी ने नारायण साईं पर. दोनों को अपने पतियों का भी पूरा सपोर्ट मिला.
दिसंबर 2013 में इस मामले में आसाराम के बेटे नारायण साईं को गिरफ्तार कर लिया गया. पकड़ा गया तो नकली हुलिया बनाकर छुपा हुआ था. उसके बाद से वो जेल में बंद है. उस पर धारा 376, 377, 365, 120बी में केस चल रहा है.
ये केस लड़ने के दौरान इन दोनों लड़कियों के परिवार को जान से मारने की धमकियां मिलीं. कई बार हमले हुए. मगर दोनों बहनों का संघर्ष जारी है. इन लड़कियों के पिता बीमार हैं इस वजह से उन्हें आज तक इस सबके बारे में कुछ भी नहीं बताया गया है. इन बहनों ने अपनी मां को भी पूरी बात तब बताई जब केस दर्ज हो गया.
केस 3.
दो बच्चों की अधजली लाशें आसाराम के आश्रम के पास मिलीं
ये मामला 5 जुलाई 2008 को सामने आया. दो बच्चों की अधजली लाशें गुजरात के मोटेरा में बने उनके आश्रम के किनारे मिलीं. ये लाशें दो चचेरे भाइयों अभिषेक और दीपेश वाघेला की थीं जो आश्रम के स्कूल में ही पढ़ते थे. दीपेश के पिता प्रफुल्ल इसके बाद मुकदमा लिखवाने थाने पहुंचे. हालांकि पुलिस ने केस तक लिखने से मना कर दिया. इसका बड़ा विरोध हुआ, प्रदर्शन किया गया और उसके बाद पुलिस ने मामला सीआईडी को सौंपा. 21 जुलाई को आखिरकार मुकदमा दर्ज हुआ.
इस मामले में आरोप ये लगे कि आसाराम के आश्रम में इन बच्चों के साथ काला जादू किया गया.
अगस्त 2008 में गुजरात की नरेंद्र मोदी सरकार ने इस मामले की जांच के लिए रिटायर्ड जज डी. के. त्रिवेदी के नेतृत्व में एक कमिटी बनाई. जुलाई 2013 में इस कमिटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी. इसे सार्वजनिक नहीं किया गया. मामले में प्रफुल्ल का कहना है कि गुजरात पुलिस ने मामले में सही से जांच नहीं की. लोअर कोर्ट में भी मामला लटकाया जा रहा है. वो इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जाएंगे और सीबीआई जांच की मांग करेंगे.
#4.
गवाहों का कत्ल होता गया!
आसाराम के खिलाफ गवाही देने वाले कई लोगों का कत्ल हो गया. वैसे ही, जैसे मुंबई के अंडरवर्ल्ड में होता है कि बाइक से लोग आए और मारकर चले गए, लेकिन इस मामले में पकड़े भी गए.
1) सूरत की बहनों में से एक के पति पर जानलेवा हमला हुआ. मुश्किल से जान बची. (28 फरवरी 2014)
2) इन बहनों के मामले में गवाह राकेश पटेल पर बाइक सवार गुंडों ने घातक हमला किया जो आसाराम के भक्त और वीडियोग्राफर रहे हैं. वे मरते-मरते बचे. (10 मार्च, 2014)
3) दो हफ्ते बाद बाइक सवार दो लोगों ने सूरत मामले में ही एक और गवाह दिनेश भागचंदानी पर तेजाब फेंका. हिम्मती दिनेश ने हालांकि एक बदमाश को पकड़ लिया और पुलिस के हवाले किया. पुलिस की जांच में पता चला कि बदमाश ने आसाराम के पक्के भक्त बासवराज बसु के कहने पर यह हमला किया था. उसने बताया कि उसके साथ 12 लोग आए थे, जिनके निशाने पर सूरत मामले के गवाह थे. बाद में पांच और हमलावर गिरफ्तार किए गए जो नारायण साईं के भक्त निकले.
4) आसाराम के खिलाफ कई मामलों में गवाह आयुर्वेदिक डॉक्टर अमृत प्रजापति को गोली मार दी गई. हमलावर राजकोट के उनके क्लीनिक में इलाज करवाने आया था और चेकअप के दौरान उसने गोली मार दी. करीब 15 साल आसाराम के लिए काम करने वाले प्रजापति की 17 दिन बाद मौत हो गई. (3 मई 2014)
5) शाहजहांपुर में पत्रकार नरेंद्र यादव पर चाकू से हमला किया गया. नरेंद्र ने आसाराम और उसके बेटे के खिलाफ कई खबरें की थीं. हमला दो लोगों ने किया था, मगर नरेंद्र बच निकले. (17 सितंबर 2014)
6) सूरत केस में गवाह अखिल गुप्ता को मुजफ्फरनगर में बाइक सवार दो लोगों ने गोली मार दी. उनकी मौत हो गई. अखिल भी आसाराम के आश्रम में कुक का काम कर चुके थे. (जनवरी 2015)
7) जोधपुर कोर्ट के बाहर राहुल सचान पर 13 फरवरी 2015 में हमला हुआ. वो आसाराम के निजी सहयोगी रहे थे और तीनों मामलों में गवाह थे. 25 नवंबर 2015 को वो अचानक से लापता हो गए और आज तक राहुल का कुछ अता पता नहीं है.
8) हरियाणा के पानीपत में महेंद्र चावला पर दो लोगों ने गोली चला दी. वो नारायण साईं के निजी सहायक थे और तीनों मामले में गवाह हैं. हमले के बाद वो अपाहिज हो गए और पुलिस सिक्योरिटी में रहते हैं. (13 मई, 2015)
9) शाहजहांपुर में कृपाल सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई. वो जोधपुर मामले में गवाह थे. (10 जुलाई 2015)
10) गुजरात एटीएस के हाथ 15 मार्च 2016 बड़ी कामयाबी लगी. उनके हाथ सभी हत्याओं के पीछे का मास्टरमाइंड लग गया था. छत्तीसगढ़ में गिरफ्तार कार्तिक हलदार आसाराम का करीबी था और खुद को आसाराम का फिदायीन बता रहा था. उसने देश भर से आसाराम के भक्तों से चंदा करके 25 लाख रुपये इकट्ठा किए थे. वो सभी गवाहों को मारने के लिए एके 47 और बम खरीदने वाला था. हलदार ने जोधपुर मामले में जांच अधिकारी चंचल मिश्रा को भी मारने का प्लान बना रखा था.
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