90 के दशक में जब हम रेडियो पर हिंदी कमेंट्री सुना करते थे, तब ऐसा लगता था जैसे हम कोई लाइव मैच देख रहे हैं. सुशील दोशी की हिंदी कमेंट्री लाजवाब हुआ करती थी. क्रिकेट की अच्छी जानकारी रखने वाले दोशी की कमेंट्री मैच के रोमांच को और दोगुना कर देती थी. वो इतनी बेहतरीन हिंदी का इस्तेमाल किया करते थे कि लोग उनकी कमेंट्री के सहारे ही पूरे मैच का लुफ़्त उठा लिया करते थे.
फिर दौर आया नवजोत सिंह सिद्धू और चारु शर्मा का. इन दोनों ने भी हिंदी कमेंट्री में ख़ूब नाम कमाया. सिद्धू ने अपनी कमेंट्री में मुहावरों का तड़का लगाया तो चारु शर्मा अपनी ख़ूबसूरत आवाज़ से मैच में समा बांध लिया करते थे. इस बीच मनिंदर सिंह, मोहिंदर अमरनाथ, अरुण लाल, विवेक राजदान जैसे कई अच्छे हिंदी कमेन्टेटर भी आये उन्होंने भी लोगों का ख़ूब मनोरंजन किया. जबकि हर्षा भोगले इंग्लिश के साथ-साथ हिंदी में भी अच्छी कमेंट्री करते हैं लेकिन उनको हिंदी में उतने मौके नहीं दिए जाते.
अब दौर है आकाश चोपड़ा, वीरेंद्र सहवाग, वी.वी.एस लक्ष्मण, कपिल देव, सुनील गावस्कर, मुरली कार्तिक और आशीष नेहरा का. लेकिन हिंदी कमेंट्री के स्तर को लेकर इनकी ख़ूब आलोचना भी होती है.
इस समय स्टार स्पोर्ट्स, सोनी स्पोर्ट्स और टेन स्पोर्ट्स ने हिंदी कमेंट्री के ज़रिये क्रिकेट को घर-घर पहुंचने का ज़िम्मा अपने हाथों में ले रखा है. लेकिन कमेंट्री बॉक्स में कमेंट्री काम जोक्स ज्यादा होते हैं. कुछ हद तक इंग्लिश कमेंट्री आज भी अपने पुराने तड़के को बनाये हुए है.
1. वीरेंद्र सहवाग की कमेंट्री ज़्यादातर मज़ाकिया किस्म की ही होती है.
-बॉस की वाइफ़, हाथी का साइज़ और नेहरा जी की एडवाइस को सारा देश सलाम करता है.
-पिटे हुए बॉलर और फटे हुए कूलर की कोई इज्जत नहीं होती.
-आज इंग्लैंड के बल्लेबाज़ कोई हाबड़ा-तफड़ी नहीं दिखा रहे हैं.
-माचिस तो यूं ही बदनाम है, आग तो यहां कोहली ने लगा रखी है.
2. नवजोत सिंह सिद्धू भले ही इस समय राजनीति में व्यस्त हैं लेकिन जब कभी भी कमेंट्री बॉक्स में होते हैं कमेंट्री कम करते हैं, मुहावरों ज़्यादा सुनाते हैं.
-अगर अजीत अगर ऑल राउंडर हैं, तो मैं भी ऐश्वर्या राय हूं.
-बल्लेबाज़ क्रीज़ से इतना बाहर निकला कि धोनी ने पहले चाय पी, फिर अख़बार पढ़ा, फिर जाकर स्टंप आउट किया.
-बॉल सीमा रेखा से बाहर ऐसे दनदनाती हुई गयी जैसे हिरन के पीछे शेर पड़ गया हो.
-शेर की पूंछ पर पैर रखोगे तो, वो पप्पी नहीं देगा.
3. आकाश चोपड़ा जो अक्सर हर किसी को अपनी राय देते रहते हैं.
-मिड ऑफ़ का फ़ील्डर अगर आगे है, तो गेंद ऑफ़ स्टंप या यॉर्कर क्यों नहीं डालते हो?
-इतनी साधरण सी गेंद थी, अगर आपसे शॉट नहीं लग रहे हैं तो बैटिंग में बदलाव करो.
-मुझे लगता है कि पंड्या के ये शॉट नहीं खेल ना चाहिए था.
-रो-हिट शर्मा ने ईडन गार्डन में जो 264 रन बनाये उसके बाद इसका नाम रोहित गार्डन हो जाना चाहिए.
4. आशीष नेहरा भी अब कमेंट्री करने लगे हैं भाई.
-आजकल कि जो नयी पीढ़ी आयी है, इनका हेयर स्टायल इतना बदलता है कि पता ही नहीं होता कि अगले दिन क्या देखने को मिलेगा?
-मैं तो नाई के पास जाते ही बोल देता हूं भाई छोटे कर दे. बाल काटने के बाद ही गर्दन उठती है.
5. वी वी एस लक्ष्मण की इंग्लिश तो अच्छी है हिंदी में हाथ कुछ ज़्यादा ही तंग है.
-उमेश यादव का फ़िटनेस दर्शाता है कि वो बहुत बढ़िया हैं.
-इतना बढ़िया गेंद था, इस पर तो छक्का बनता था.
6. कपिल देव की हिंदी जितनी कमज़ोर है इंग्लिश उस से कहीं ज़्यादा.
-मुश्किल तो नहीं कह सकते, लेकिन टफ़ ज़रूर होगा भारत के लिए ये मैच जीतना.
7. अरुण लाल अब कमेंट्री बॉक्स में कम ही दिखते हैं.
-गंभीर के जाने से भारत की स्थिति और भी गंभीर हो गयी है.
जबकि पद्मश्री से सम्मानित मशहूर हिंदी कमेंटेटर सुशील दोशी ने कहा कि वो इन दिनों पूर्व क्रिकेटरों की हिन्दी कमेंट्री के गिरते स्तर से बेहद ख़फ़ा हैं. क्रिकेट को घर-घर तक पहुंचाने वाली हिंदी ज़ुबान के साथ कमेंटेटर्स के इस तरह के खिलवाड़ को रोकने के लिए बीसीसीआई को ज़िम्मेदारी लेनी होगी. साथ ही कहा कि दक्षिण अफ़्रीका में कुछ पूर्व क्रिकेटरों ने जब एक बार कमेंट्री के वक़्त व्याकरण की दृष्टि से ग़लत अंग्रेजी बोली थी, तो वहां के अख़बारों ने उनकी कड़ी आलोचना की थी. लेकिन हमारे देश में ऐसा नहीं होता.