उन्नाव के माखी गांव के सराय थोक की जिस लड़की ने बीजेपी विधायक और उनके भाइयों पर गैंगरेप का आरोप लगाया था, वो परिवार करीब 15 साल पहले तक विधायक कुलदीप सेंगर का बेहद करीबी रहा था. उन्नाव के माखी गांव के सराय थोक में विधायक कुलदीप सेंगर और पीड़िता का परिवार पड़ोसी है. पीड़ित युवती के पिता, चाचा और ताऊ कुलदीप सिंह सेंगर के जिगरी यार हुआ करते थे. चारों के आतंक की चर्चा पूरे उन्नाव में थी. यही वो दौर था, जब कुलदीप सेंगर पर भी माखी थाने में कई केस दर्ज हुए थे. इसके अलावा पीड़ित युवती के चाचा, ताऊ और पिता पर भी कई केस दर्ज हुए थे.
कुलदीप सिंह सेंगर ने अपने सियासत की शुरुआत ग्राम प्रधानी से की थी. कुलदीप रहने वाले तो मूलत: फतेहपुर के हैं, लेकिन माखी में उनका ननिहाल था. पूरी जमीन उनकी मां के नाम थी, जिसके बाद कुलदीप फतेहपुर छोड़कर माखी ही आ गए. ये माखी उन्नाव के और गांवों की तुलना में बड़ा था. यहां आने के बाद से कुलदीप ने राजनीति की शुरुआत की, जिसमें उसकी मदद की पीड़ित युवती के चाचा, ताऊ और उसके पिता ने. जब तक कुलदीप सेंगर कांग्रेस में रहे, दोस्ती कायम रही. लेकिन जैसे ही 2002 में कुलदीप सेंगर बीएसपी से विधायक बने, उन्होंने अपने पुराने दोस्तों से कन्नी काटनी शुरू कर दी. इसकी वजह थी उन सबकी आपराधिक पृष्ठभूमि. इसके अलावा सब दोस्त थे, तो विधायक कुलदीप सेंगर को विधायक जी या नेताजी कहने की बजाय कुलदीप ही कहते थे. विधायक बने कुलदीप को ये बात भी खटकने लगी थी. इसके बाद से ही कुलदीप ने उनसे किनारा कर लिया.
विवाद तब और बढ़ गया, जब पीड़ित युवती के ताऊ की दबंगई से परेशान लोगों ने ईंट-पत्थरों से कूंचकर उसके ताऊ को मार डाला. उस वक्त परिवार ने आरोप लगाया कि ये सब कुलदीप के ही कहने पर हुआ है. लेकिन कुलदीप विधायक थे, ऐेसे में पीड़िता का चाचा दिल्ली भाग गया. उनकी पुरानी दोस्ती उस ऑडियो क्लिप से भी साबित होती है, जो वायरल हो रही है. आप भी वो ऑडियो क्लिप सुनिए-
इस पूरी ऑडियो क्लिप में ये साफ तौर पर सुना जा सकता है कि विधायक कुलदीप सेंगर पीड़ित युवती के चाचा को समझाने, उसकी मां को चाय पिलाने और मामले को खत्म करने के लिए कह रहे हैं. इसके साथ ही मुकदमा वापसी का दबाव बना रहे हैं.
रेप का केस दर्ज होने पर बढ़े मुकदमे
लेकिन जब पीड़िता ने रेप की शिकायत दर्ज करवाई तो, पीड़िता के पिता और चाचा के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज हो गए.दिल्ली में रह रहे चाचा के खिलाफ 21 अक्टूबर 2017 से लेकर 15 नवंबर 2017 के बीच माखी और सफीपुर थाने में चार केस दर्ज करवाए. एनबीटी की खबर के मुताबिक केस दर्ज करवाने वाले सभी लोग कुलदीप के नजदीकी हैं थे. पहला केस कुलदीप सिंह की पड़ोसी महिला ने दर्ज करवाया, जिसमें युवती के चाचा पर धोखे से अपने घर ले जाने का था. दूसरा केसविधायक के करीबी विनोद मिश्र ने दर्ज करवाया था, जिसमें जानलेवा हमले की बात कही गई थी. तीसरा केस विधायक के रिश्तेदार राजकुमार ने एक करोड़ रुपये की रंगदारी मांगने का दर्ज करवाया था. चौथा केस विधायक के नजदीकी नवाबगंज के ब्लॉक प्रमुख अरुण सिंह ने दर्ज करवाया था.
पिटाई के बाद और भी बढ़ गया मामला
3 अप्रैल को जब पीड़िता के पिता की पिटाई हुई, तो मामला और भी बड़ा हो गया. पहले तो पीड़िता के पिता की पिटाई की गई, फिर उसपर ही आर्म्स ऐक्ट के तहत केस दर्ज कर उसे भेज दिया गया. जेल भेजे जाने से पहले पीड़िता के पिता का जो मेडिकल हुआ, उसमें उसकी चोटें साफ दिख रही हैं. इस मेडिकल के दौरान उसके पिता का खूब मजाक उड़ाया गया, जिसमें उसके मुंह के खून आ रहा था. इसका भी वीडियो वायरल हुआ है, जिसे आप देख सकते हैं.
इस वीडियो में उसने साफ तौर पर कहा कि पुलिस के सामने ही विधायक कुलदीप के भाई अतुल ने उसे खूब मारा-पीटा. पुलिस खड़ी रही, लेकिन बचाया नहीं. उसने कैमरे पर बयान दिया कि उसकी लड़की के साथ रेप हुआ है. वहीं इस दौरान मेडिकल करनेन वाले डॉक्टर भी उसका मजाक उड़ाते रहे और कुछ बाहरी लोग डॉक्टर के सामने वाली कुर्सी पर बैठे रहे. मेडिकल के बाद उसे जिला जेल भेज दिया गया, जहां 8 अप्रैल की देर रात उसकी मौत हो गई. पहले तो डॉक्टरों ने कहा कि उसे पेट में दर्द था और उल्टी हो रही थी, जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती करवाया गया और उसकी मौत हो गई. हालांकि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में ये साफ हो गया कि पीड़िता के पिता की मौत पिटाई की वजह से हुई है.
मुख्यमंंत्री ने बनाई SIT
जब मामले ने तूल पकड़ा तो विधायक कुलदीप सिंह सेंगर खुद मुख्यमंत्री के पास गए और सफाई दी. उसके अगले ही दिन यानी 10 अप्रैल को विधायक के भाई अतुल सेंगर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. लेकिन पूरा पीड़ित परिवार विधायक कुलदीप सेंगर की गिरफ्तारी की मांग पर अड़ा है. वहीं पुलिस कह रही है कि एफआईआर में कुलदीप सिंह का नाम ही नहीं है. इसके बाद जब यूपी सरकार पर विपक्ष और मीडिया सवालिया निशान लगाने लगा, तो फिर मामले की जांच एडीजी लखनऊ को सौंप दी गई. फिर भी बात नहीं बनी तो सरकार की ओर से स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम का गठन किया गया, जिसकी अगुवाई एडीजी लखनऊ कर रहे हैं. 10 अप्रैल की शाम को बनी इस एसआईटी से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 11 अप्रैल की शाम तक रिपोर्ट मांग ली.
इसके बाद जांच में तेजी आई और 11 अप्रैल को एसआईटी सुबह-सुबह की उन्नाव के माखी में पहुंच गई. वहां एसआईटी ने पीड़िता और उसके परिवार के साथ पूछताछ की और मामले की जानकारी जुटाई. वहीं लखनऊ जोन के एडीजी राजीव कृष्ण ने भी पीड़िता के घर पहुंचकर पूछताछ की.
पति को बचाने उतरीं जिला पंचायत अध्यक्ष संगीता
इस पूछताछ में शामिल होने के लिए लखनऊ से विधायक कुलदीप सेंगर भी माखी पहुंच गए. वहीं अपने पति पर लगे आरोपों का बचाव करने के लिए उनकी पत्नी भी उतर आईं. 11 अप्रैल की सुबह कुलदीप सेंगर की पत्नी और उन्नाव की जिला पंचायत अध्यक्ष
संगीता सेंगर ने लखनऊ में डीजीपी ओपी सिंह से मुलाकात की और कहा कि वो अपने पति के लिए न्याय मांगने आई हैं.
वहीं पीड़िता ने एक बार फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इंसाफ की गुहार लगाई है. उसका कहना है कि उन्नाव के डीएम ने उसको और उसके परिवार को होटल में रखा है, जहां किसी को पानी तक नहीं मिल रहा है. उसने कहा है कि मेरी जिंदगी को नर्क बनाने वाले बीजेपी विधायक को जल्द से जल्द गिरफ्तार करना चाहिए और उसे फांसी देनी चाहिए.
हाई कोर्ट और मानवाधिकार आयोग का भी बढ़ा दवाब
एसआईटी इस पूरे मामले की जांच कर रही है, लेकिन इसी बीच इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस पूरे मामले का स्वत: संज्ञान लिया है. इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार से 12 अप्रैल को इस पूरे मामले की रिपोर्ट तलब कर ली है. वहीं मानवाधिकार आयोग ने पीड़िता के पिता की जेल में हुई मौत पर यूपी सरकार से जवाब मांगा है. मानवाधिकार आयोग ने कहा है कि जेल में हुई मौत की सूचना 24 घंटे के अंदर आयोग को क्यों नहीं दी गई. आयोग ने चार हफ्ते में यूपी सरकार से पूरे मामले पर जवाब मांगा है और पूछा है कि मृतक को जेल में क्या हुआ था और उसे कौन-कौन सी दवाएं दी गई थीं.
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