हिंदी सिनेमा में अभिनय और फिल्म लेखन की परिभाषा बदलने वाले कादर खान हर किसी की फेवरेट माने जाते थे। एक्टिंग से पहले कादर ने फिल्मों की स्क्रिप्ट और शानदार डायलॉग्स लेखन की वजह से अपनी खास पहचान बनाई। ऐसे में आज हम इस लेख में कादर खान के फेमस डायलॉग्स के बारे में चर्चा करने जा रहे हैं।
कादर खान हिंदी सिनेमा को वो नायाब हीरे रहे, जिन्होंने अभिनय और फिल्म लेखन का एक अनोखा अध्याय लिखा। दमदार अदाकरी से अलावा कादर सवांद लेखन में महारथी थे। सिर्फ इतना ही नहीं कादर खान ने अपनी फिल्मी करियर की शुरुआत बतौर कलाकार नहीं बल्कि फिल्मों के लेखन से शुरू की थी।
22 अक्टूबर को कादर खान की बर्थ एनिवर्सिरी मनाई जाती है। इस खास मौके पर कादर खान के कुछ फेमस डायलॉग्स पर एक नजर जरूर डालनी चाहिए।
इस फिल्म से कादर खान ने शुरू किया डायलॉग्स लेखन का काम
बहुत कम लोगों को इस बात का जानकारी की है कि कादर खान ने एक लेखक के तौर पर फिल्मी दुनिया में आगाज किया था। साल 1972 में आई डायरेक्टर नरेंद्र बेदी फिल्म 'जवानी दिवानी' से कादर ने पहली बार संवाद लेखन का कार्य शुरू किया।
इस फिल्म में रणधीर कपूर और जया भादुड़ी (जया बच्चन) जैसे कलाकार लीड रोल में मौजूद थे। बताया जाता है कि इस फिल्म के लिए कादर खान के डायलॉग्स से निर्देशक नरेंद्र बेदी काफी ज्यादा प्रभावित हुए और इसके लिए उनकी काफी सराहना भी की।
कादर खान के ये डायलॉग्स फैंस को आए काफी पसंद
अपने फिल्मी करियर के दौरान कादर खान 250 से ज्यादा फिल्मों के लिए संवाद लिखे। 'रोटी, हिम्मतवाला, खून भरी मांग, मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी, अग्निपथ 1990, कर्मा, सरफरोश, धर्मवीर, मेरी आवाज सुनो और अंगार'' जैसी कई शानदार फिल्मों के डायलॉग्स लिखे। कादर खान के फेमस डायलॉग्स पर एक नजर डाली जाए तो उसमें कई दमदार डायलॉग्स मौजूद हैं।
जिंदगी का सही लुत्फ उठाना है, तो मौत से खेलो''- (मुकद्दर का सिकंदर-1978)
''इंसान को दिल, दिमाग दे, जिस्म दे पर कम्बख्त पेट मत दे'' -(रोटी-1974)
''दुनिया की कोई जगह इतनी दूर नहीं, जहां जुर्म के पांव में कानून अपनी फौलादी जंजीरें पहना न सके''- (शहंशाह-1988)
हम जहां खड़े होते हैं, लाइन वहीं से शुरू होती है'' (कालिया-1981)
''औरों के लिए गुनाह नहीं, हम पिए को शबाब बनती है, अरे सौ गमों के निचोड़ने के बाद शराब बनती है''-(नसीब- 1997)
दुख जब हमारी कहानी सुनता है, तो खुद दुख को दुख होता है''- (बाप नंबरी बेटा दस नंबरी-1990)
इस फिल्म के डायलॉग्स लिखने के लिए कादर को मिली मोटी रकम
बात उस दौर की है जब बतौर संवाद लेखक कादर खान ने हिंदी सिनेमा में अपनी पकड़ मजूबत कर ली थी। साल 1974 में कादर को उस समय के मेगा सुपरस्टार राजेश खन्ना की सुपरहिट फिल्म 'रोटी' के लिए सवांद लेखने की जिम्मेदारी मिली।
हिंदी सिनेमा के दिग्गज निर्देश मनमोहन देसाई की इस मूवी को कहानी सुनकर कादर काफी खुश हुए थे और उन्होंने इस मूवी के डायलॉग्स लिखने की जिम्मेदारी उठाई। बताया जाता है कि इस फिल्म के डायलॉग्स लिखने के लिए कादर खान को 1 लाख 20 हजार की मोटी रकम भी मिली थी।
डायलॉग्स लेखन के लिए दो बार मिला फिल्मफेयर
कादर खान जितने अभिनेता से रूप में प्रचलित हुए उसी तरह सवांद लेखन में उन्होंने कामयाबी के झंढ़े गाढ़े। साल 1982 में आई फिल्म 'मेरी आवाज सुनो' के लिए कादर को फिल्मफेयर अवॉर्ड के दौरान पहली बार सर्वश्रेष्ठ सवांद लेखक का पुरस्कार मिला।
यही कहानी साल 1993 में फिल्म 'अंगार' के जरिए कादर खान ने दोहराई। इस फिल्म के शानदार डायलॉग्स के लिए कादर को बेस्ट डायलॉग्स राइटर के फिल्मफेयर अवॉर्ड्स से नवाजा गया।