मैं जानती हूँ कि,
तुम मुझे चाहते हो।
मुझे अपना बना के,
मेरा होना चाहते हो।
तुम मेरे विराने में,
खोना चाहते हो।
मेरी गोदी में सर रख के,
सोना चाहते हो।
तुम भले मुझसे,
कुछ कहते नहीं।
पर मैं तुम्हारी,
ख़ामोशी को समझती हूं।
तुम्हारे लबो से शब्दों के,
निकलने का इंतज़ार करती हूं।
मैं जानता हूँ कि......