ग़म मिट गये, खुशी मिल गयी,
फिर से जीने की एक उम्मीद मिल गयी।
कुछ नया करने की चाह मिल गयी,
हर पल मुस्कुराने की वजह मिल गयी।
सपने सजाने की ख्वाहिश मिल गयी,
तुम मिल गये, हर चीज़ मिल गयी।
2 जून 2024
ग़म मिट गये, खुशी मिल गयी,
फिर से जीने की एक उम्मीद मिल गयी।
कुछ नया करने की चाह मिल गयी,
हर पल मुस्कुराने की वजह मिल गयी।
सपने सजाने की ख्वाहिश मिल गयी,
तुम मिल गये, हर चीज़ मिल गयी।
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मुझे कविता और कहानी लिखना और पढ़ना बहुत पसंद है। मन में कुछ भावनाएं और विचार आते है, उन्हें लिख लेती हूं । उम्मीद करती हूं मेरा लिखा हुआ आप लोगो को पसंद आए। यदि अच्छा लगे तो कमेंट करके मेरा प्रोत्साहन बढ़ाइएगा।D