मेरे हाथों से निकल के
तुम मेरी लकीरों में बस गए
मेरी पलकों से निकल के
तुम मेरी आंखों में बस गए
मेरे दिल से निकल के
तुम मेरी धड़कन में बस गए
कहां हो तुम क्या कहूं
तुम तो मेरी नस नस में बस गए
2 जून 2024
मेरे हाथों से निकल के
तुम मेरी लकीरों में बस गए
मेरी पलकों से निकल के
तुम मेरी आंखों में बस गए
मेरे दिल से निकल के
तुम मेरी धड़कन में बस गए
कहां हो तुम क्या कहूं
तुम तो मेरी नस नस में बस गए
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मुझे कविता और कहानी लिखना और पढ़ना बहुत पसंद है। मन में कुछ भावनाएं और विचार आते है, उन्हें लिख लेती हूं । उम्मीद करती हूं मेरा लिखा हुआ आप लोगो को पसंद आए। यदि अच्छा लगे तो कमेंट करके मेरा प्रोत्साहन बढ़ाइएगा।D