तुम जुदा क्या हुए,
हम चहकना भूल गए,
बागों में टहलना भूल गए।
तुम जुदा क्या हुए,
मन के फूल महकना भूल गए,
खुशी में बहकना भूल गए।
तुम जुदा क्या हुए,
सूख के कली कांटा हो गई,
बहारों की अब रौनक भी खो गई।
तुम जुदा क्या हुए,
इंतज़ार के पल अब कटते नहीं,
बिन मौसम बादल अब बरसते नहीं।