तुम्हे पुष्प समझ के मैंने मान किया
सीने से लगाया, इजहार किया
फिर भी तुमने शोलो की वर्षा बरसाई
पुष्पा तुम क्यों नही आई
तुम्हारे इंतजार मे मैने, दिन रात एक किया
तुम्हे अपने दिल के पास किया
फिर भी तुमने मुझे दी रुसवाई
पुष्पा तुम क्यों नहीं आई