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लंबा अंतराल

12 जून 2024

9 बार देखा गया 9

लंबा अंतराल हो गया
तुमने कहा था वापस आऊंगा
क्या प्यार तुम्हारा झूठा था
या इंतजार हमारा झूठा है

वक्त के साथ हर लम्हा बदल गया
तुमने कहा था वादा निभाऊंगा
क्या वादा तुम्हारा झूठा था
या ऐतबार हमारा झूठा है

इश्क के आंगन का बाग़ उजड़ गया
तुमने कहा था फूल खिलाऊंगा
क्या उस फूल का ख्वाब तुम्हारा झूठा था
या विश्वास हमारा झूठा है

45
रचनाएँ
प्रेम के रंग
5.0
मेरी ये किताब प्रेम कविताओं का एक संग्रह है। जिस में प्रेम के अलग-अलग रंग आपको पढ़ने को मिलेंगे। कहीं दुख, कहीं वियोग तो कहीं मिलन है। प्रेम के रंग बहुत ही अदभुत होते है। जिन्हें सिर्फ महसूस किया जा सकता है। आशा करती हूं कि मेरी इन कविताओं के साथ आप भी इन रंगों को महसूस कर पाएंगे। यदि अच्छा लगे तो कमेंट करके मेरा प्रोत्साहन बढ़ाएगा। ताकि मैं आगे भी आपके लिए और कुछ अच्छा लिख सकूं।
1

इस दिल को कैसे समझाएं

31 मई 2024
8
5
1

इस दिल को कैसे समझाएं, ये समझता नहीं है। तुम्हारे दिये ज़ख्मों से, उभरता नहीं है। बिछड़ के भी क्या कोई, जिंदा रह सकता है। पर काट के भी क्या कोई, परिंदा रह सकता है। तुम झूठ हो, फरेब हो, ये बता

2

तुम जुदा क्या हुए

31 मई 2024
7
5
1

तुम जुदा क्या हुए, हम चहकना भूल गए, बागों में टहलना भूल गए। तुम जुदा क्या हुए, मन के फूल महकना भूल गए, खुशी में बहकना भूल गए। तुम जुदा क्या हुए, सूख के कली कांटा हो गई, बहारों की अब रौनक

3

कह दो कि लौट आओगे

31 मई 2024
6
4
1

कह दो कि लौट आओगे, प्यार से हमारे गालों को सहलाओगे उमर भर साथ निभाओगे, कह दो कि लौट आओगे। उन गलियों में फिर साथ चलेंगे, हाथो में लेकर हाथ चलेंगे, कह दो कि वादा निभाओगे, कह दो कि लौट आओगे।

4

तुम्हें पाने की ख़्वाहिश तो ना थी

31 मई 2024
5
4
1

तुम्हें पाने की ख़्वाहिश तो ना थी, पर तुमसे बिछड़ जाने का गम जरूर था। तुम्हारे पास आने की ख़ुशी तो ना थी, पर तुम्हारे दूर जाने का दर्द जरूर था। तुम तो कहते थे, खास है हम तुम्हारे लिए, तोहफ़ा

5

बहुत देर से रुका हूं

31 मई 2024
5
3
1

बहुत देर से रुका हूं तेरे आने की चाहत में बहुत देर से रुका हूं तुम्हें पाने की चाहत में । अब तो ख़त्म करो इंतज़ार की घड़ी अब तो स्वीकार करो मेरे प्रेम की लड़ी। इत्तेफाक से हम मिले थे अब इ

6

आज मुझे जाने ना दो

31 मई 2024
4
4
1

आज मुझे जाने ना दो, रोक लो, चला गया तो, फिर कभी लौट नहीं पाऊंगा। आज मुझे जाने ना दो, रोक लो चला गया तो, फिर तुम्हें देख नहीं पाऊंगा। आज मुझे जाने ना दो, रोक लो, चला गया तो, तुम्हारे अश्कों को पों

7

तेरे करीब हूं मैं

31 मई 2024
4
4
0

तेरे करीब हूं मैं, बहुत करीब हूं मैं। तुझे पता नहीं है, तेरा नसीब हूं मैं। तेरी तन्हाई, तेरी ख़ामोशी में हूं मैं, तेरी सोच, तेरी मदहोशी में हूं मैं। तू जहां रहें, तेरे साथ हूं मैं, तेरे दिल की

8

कुछ देर तो रुको

31 मई 2024
3
4
0

कुछ देर तो रुको कुछ बात हो जाए हमारी तुम्हारी फ़िर शायद मुलाक़ात हो जाए क्यों उलझे हो तुम्हारी उलझन सुलझाऊं कुछ देर तो बैठो तुम्हें प्यार से बहलाऊं तुम्हारी हथेली से अपना हाथ मिलाऊं तुम्

9

बहुत ख़्वाहिश थी

31 मई 2024
3
4
0

बहुत ख़्वाहिश थी उनसे मिलने की मिल के बातें करने की बातो में फिर खो जाने की खो के फिर उनका हो जाने की बहुत ख़्वाहिश थी उनसे मिलने की मिल के सपने सजाने की फ़िर उनके सपनों में आने की सपनों से उ

10

तू मेरे साथ नहीं

31 मई 2024
3
4
0

तू मेरे साथ नहीं तू मेरे पास नहीं तेरी यादें हैं बहुत तो ये जिंदगी उदास नहीं मैं तेरे लिए खास नहीं तो भी कोई बात नहीं तू चाहे ना लौटे तो भी में नाराज़ नहीं

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काश

31 मई 2024
3
4
0

काश कभी आप, मेरे दिल की बात समझ पाते, मेरी खामोशियों को सुन पाते, कभी कहते मै खड़ा हूं, तुम्हारे कदम से कदम मिलाएं, कभी छुपा लेते मेरे उदास चेहरे को, अपनी हथेलियों से। मैं थाम लूंगा तुम्हारा हाथ

12

तुम कह दो

1 जून 2024
3
4
0

तुम कह दो मुझे तुम्हारा प्यार चाहिए तुम्हारे साथ होने का एहसास चाहिए तुम कह दो मुझे तुम्हारा प्यार चाहिए इन रंगीन वादियों में हमें मिलना बार-बार चाहिए तुम कह दो मुझे तुम्हारा प्यार चाहिए

13

तू साथ है

1 जून 2024
3
4
0

तू साथ है, यही खास है तेरे दिल में ही, मेरा वास है मैं चल पड़ी उस राह पे जिस राह पे तेरा आवास है मैं मौन हूं, तू आवाज़ है तू मेरी धड़कनो का साज़ है मेरे हाथो में, तेरा हाथ है यहीं तो एक अच्

14

तुम जाना चाहो

1 जून 2024
3
4
0

तुम जाना चाहो तो चले जाओ तेरे झूठे वादों के सहारे जी लेंगे तेरी यादो के सहारे जी लेंगे हमें भी खबर है तेरे इरादों की तेरे ख्वाबों के सहारे जी लेंगे तेरी फरेबी बातों के सहारे जी लेंगे इश्क़ किसे

15

आओ कुछ देर साथ चलें

1 जून 2024
3
4
0

आओ कुछ देर साथ चलें दुनिया की भीड़ से कहीं एकान्त चलें तुम जान लो सब मेरे मन की तब जा के कही कुछ बात बने मैं समझू तुम्हें, तुम समझो मुझे फिर जा के नये रिश्ते के तार बुनें आओ कुछ देर साथ चलें

16

समय बीत रहा है

2 जून 2024
3
4
0

समय बीत रहा है, हर पल यही बताता है, कुछ पल थाम लो हाथ हमारा, यहीं तो वो समझाता है, निकल जाएगा ये पल भी, फिर क्या करोगे, काश थोड़ा पहले मिले होते, फिर यहीं कहोगे, समय को बांधना हमारे हाथ में नहीं

17

तुम मिल गये

2 जून 2024
3
4
0

ग़म मिट गये, खुशी मिल गयी, फिर से जीने की एक उम्मीद मिल गयी। कुछ नया करने की चाह मिल गयी, हर पल मुस्कुराने की वजह मिल गयी। सपने सजाने की ख्वाहिश मिल गयी, तुम मिल गये, हर चीज़ मिल गयी।

18

तू कोई ख्वाब नहीं

2 जून 2024
3
4
0

तू कोई ख्वाब नहीं जिसे देख के भूल जाऊं तू कोई राज़ नहीं जिसे सबकी नजरों से छुपाई तू तो वो इश्क है जिसे पा के मैं खिल जाऊं तू वो सवाल नहीं जिसका मैं जवाब न दे पाऊं तू वो ताल नहीं जिसका में

19

तेरा इंतज़ार हमें

2 जून 2024
3
4
0

तेरा इंतज़ार हमें तेरा ऐतबार हमें तुझसे जुदाई पर है ऐतराज़ हमे ये नजरें जहां भी देखें तेरा ही दीदार हमें तुझको खबर ही नहीं है तुझसे प्यार हमें

20

मेरे हाथों से निकल के

2 जून 2024
3
4
0

मेरे हाथों से निकल के तुम मेरी लकीरों में बस गए मेरी पलकों से निकल के तुम मेरी आंखों में बस गए मेरे दिल से निकल के तुम मेरी धड़कन में बस गए कहां हो तुम क्या कहूं तुम तो मेरी नस नस में बस गए

21

अगर तुम मेरे साथ हो

2 जून 2024
3
4
0

इस हवा में प्यार है, इस घटा में प्यार है, इस बंजर ज़मीन में भी प्यार है, अगर तुम मेरे साथ हो। अगर तुम मेरे साथ हो। इस अंधेरी रात में प्यार है, इस तूफानी शाम में प्यार है, इस चिलचिलाती धूप में भ

22

इश्क

3 जून 2024
3
4
0

तन्हाई भारी रात में, जब कोई आने लगे याद। चाँद में नज़र आये, जब उसका चेहरा बार-बार। कोशिश करने पर भी, जब हम उसे ना भूल पायें। बार-बार जब उसकी बातें याद आये, हकीकत भी जब सपना लगने लग जाए। हर घड़

23

तुम बिन जीवन जैसे

3 जून 2024
3
4
0

तुम बिन जीवन जैसे, लगता गहरी खाई। तेरे ही संग मैने, सपनो की डोर सजाई। हर दुआ में मांगा है तुमको, तुझसे ही मेरी खुदाई। साथ ये जीवन भर का, है हमारा तुम्हारा। संग चलूंगी हर क़दम, वादा है तुमसे हमारा।

24

कुछ देर सुकून से रहने दो

3 जून 2024
4
5
1

कुछ देर सुकून से रहने दो कुछ देर भावनाओं में बहने दो कुछ देर की बात है हाथों में तुम्हारा हाथ रहने दो कुछ देर के लिए हम मिले हैं कुछ देर के लिए ये दिल खिले है कुछ देर का साथ है बस यहीं कुछ पल

25

मैं जानती हूँ

4 जून 2024
3
4
0

मैं जानती हूँ कि, तुम मुझे चाहते हो। मुझे अपना बना के, मेरा होना चाहते हो। तुम मेरे विराने में, खोना चाहते हो। मेरी गोदी में सर रख के, सोना चाहते हो। तुम भले मुझसे, कुछ कहते नहीं। पर मैं तुम

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तुम साफ साफ कह दो

6 जून 2024
4
5
1

तुम साफ साफ कह दो, तुम्हे किया चाहिए इशारे तुम्हारे समझ ना पाएंगे टूट के बिखरने की चाह नहीं है इश्क में तुम्हारे उलझ ना पाएंगे तुम्हारी बातों में फरेब है तुम्हारे इरादों में छल हैं इश्क तुम

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पुष्पा तुम क्यों नहीं आई

12 जून 2024
4
5
1

तुम्हे पुष्प समझ के मैंने मान किया सीने से लगाया, इजहार किया फिर भी तुमने शोलो की वर्षा बरसाई पुष्पा तुम क्यों नही आई तुम्हारे इंतजार मे मैने, दिन रात एक किया तुम्हे अपने दिल के पास किया फिर

28

लंबा अंतराल

12 जून 2024
3
4
0

लंबा अंतराल हो गया तुमने कहा था वापस आऊंगा क्या प्यार तुम्हारा झूठा था या इंतजार हमारा झूठा है वक्त के साथ हर लम्हा बदल गया तुमने कहा था वादा निभाऊंगा क्या वादा तुम्हारा झूठा था या ऐतबार हमार

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मन के भावो

29 जून 2024
3
4
0

मन के भावो से तुम निकलती नहीं इश्क की राहों मे तुम मिलती नहीं कम से कम हाल हमारा पूछ लेती ये सांसे भी तो तुम बिन चलती नहीं दूर-दूर तक नजर तो जाती है  पर तुम्हारी परछाई भी हमें दिखती नहीं

30

उस एक पल की

30 जून 2024
4
5
1

अचानक वो मेरे पास आए, ओर कहने लगे, क्या तुम्हें भी चाहत है, उस एक पल की, जो मेरी चाहत है। मैंने मुस्कुराकर पूछा, कौन सा एक पल, जिसके बीत जाने का डर ना हो या जिसके आने की खुशी हो। वो सकपकाए, जैस

31

उन्हें शौक ना था

10 जुलाई 2024
3
4
0

उन्हें शौक ना था, किस्सों, कहानियों का। हमें नशा था, इन दास्तानों का । उनकी खामोशी में, हम भी खामोश बह गए। किस्से, कहानियों के सिलसिले, अफसाना बन के रह गए।

32

तुम क्या चले गये

10 जुलाई 2024
4
4
0

तुम क्या चले गये हम मुस्कुराना भूल गये लोगो के बीच में आना जाना भूल गये जिस इश्क की दुहाई देते थे उस इश्क को दोहराना भूल गए

33

पतझड़

10 जुलाई 2024
3
4
0

खुश थी मैंने तुम्हें पा लिया था अपनी खुशियों का चिराग जला लिया था तुमने भी तो सहमति जतायी थी इस इश्क के बीच की दीवार गिराई थी फिर क्यों ये बाग उजड़ गया पतझड़ आने से पहले ही फूल झड़ गया

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हाल-ए-दिल

19 जुलाई 2024
3
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0

क्या बताऊं हाल-ए-दिल अपना, किसे दिखाउ जख्मी दिल अपना। रोंदने वाले बहुत मिले हैं, कोई ना देता साथ अपना। बातें बड़ी तो बहुतों ने की हैं, पर समय पे छुड़ाया हाथ अपना।

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ना जाने क्यों

20 जुलाई 2024
3
4
0

कुछ कहानियाँ सुनाता है ये दिल कुछ तो आरज़ू जगाता है ये दिल मुस्कुराहट तेरी यू देख के ना जाने क्यों मुस्कुराता है ये दिल लफ्ज़ तेरे निकलने से पहले ही पहचान जाता है ये दिल तुम्हें एक बार देखने के

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तुम बस आने ही वाले थे

30 जुलाई 2024
3
4
0

तुम बस आने ही वाले थे फिर ये क्या हलचल हुई तुम्हारी मौत की खबर आई तुम्हारी मौत की खबर क्या आई जैसी मेरी मौत की तैयारी हुई गए थे आने का वादा करके वादा तो निभाया तुमने पर एक बेजान लाश बनके आये

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कोई तो बता दे

2 अगस्त 2024
3
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0

मुझे छेड़ती है, ये तुम्हारी निगाहें। शरारत भरी है, ये तुम्हारी अदाएं। तुम्हें मिलके जाना है, क्या है वफाएं। कोई तो बता दे, क्या ये है मोहब्बत की राहें। सुकून से भरी है, ये चाहत की बाहें। खुशबू

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दिल की दीवारे

6 अगस्त 2024
3
4
0

अपने दिल की दीवारे, रंगने आई थी मैं, प्रेम से तुम्हारे। अपने इश्क की फुहारें, लेकर आई थी मैं, दरवाज़े पे तुम्हारे। तुम कठोर दिल थे, जो स्वीकार न किया मुझे। इश्क की राहों पे यूं ही, रुसवा किया

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तुम्हारे चले जाने के बाद

6 अगस्त 2024
3
4
0

कुछ अजीब सी है, ये तन्हाई, कुछ अजीब सी है, ये खामोशी, कुछ तो अजीब है, इन हवाओं में, तुम्हारे चले जाने के बाद। कुछ रात भी तो, यूं कटती नहीं, कुछ बात भी तो, यूं होती नहीं, कुछ तो सरगोशी है, इन

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गीत तो बहुत लिखे

8 अगस्त 2024
3
4
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गीत तो बहुत लिखे, पर प्रेम का ना लिख पाया हूं। इश्क के समन्दर में, डूब के ना तर पाया हूं। चेहरे तो बहुत देखे, पर भरोसा न कर पाया हूं। अब तो बस एकाकी है, जीवन हमारा, अब खुदा ही दे, इसको किनारा।

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कभी अश्क निकलने से पहले

8 अगस्त 2024
3
4
0

कभी अश्क निकलने से पहले, पोंछ लेते थे वो हमारे। आज कहते है कि, हमने देखा ही नहीं। कभी कहने से पहले, बात जान लेते थे वो हमारी। आज कहते है कि, हमने सुना ही नहीं। इस इश्क की वीरानी में,

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मैं वो ख़्वाब हूं

8 अगस्त 2024
3
4
0

मैं वो ख़्वाब हूं, जिसे चाह के भी ना भूल पाओगे। दूरियां जितनी भी हो, तुम मेरे पास दौड़े चले आओगे। इन ख्वाबों को हकीकत बनाने के लिए, सब कुछ आजमाओगे। इस इश्क को पाने के लिए, जी जान से लग जाओगे।

43

बिखर के टूटना और फिर संभलना

8 अगस्त 2024
3
4
0

बिखर के टूटना और फिर संभलना आया ना हमे। तूने जो ठुकराया, तो अपनाया ना हमे। तेरी बाहों के साए में, गुदगुदाया ना हमे। तूने अपने बाग का फूल, बनाया ना हमे। तेरे इश्क ने तो इजाज़त दी थी, हम पर मर मिटने

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तू मुझे चैन से, सोने ना दे

10 अगस्त 2024
3
4
0

तू मुझे चैन से, सोने ना दे। ख़्वाब ही ख़्वाब मैं, देखू कैसे। तू मुझे चैन से, रोने ना दे। दर्द ही दर्द में, घुटू जैसे। तू मुझे प्रेम की पीड़ा से, उभरने ना दे। मेरी हथेली की लकीरें भी, मेरा साथ ना

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मेरी आदत में है शुमार

11 अगस्त 2024
3
4
1

मेरी आदत में है शुमार, कि मैं करु तुझे प्यार। तू चाहे मुझे भूल जाए, पर मैं करु तुम्हारा इंतजार। भले ही राह में लोग बहुत हो, पर मेरे दिल पे रहेगा तेरा ही इख्तियार।

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