तुम मुझको पढ़ो, पढ़ो न पढ़ो, मैं तो बस लिखता जाऊँगा. ..
तुम आगे बढ़ो, बढ़ो न बढ़ो, मैं राह बनाता जाऊँगा. ..
अभिव्यक्ति मेरी , अंदाज़ मेरे , मिलते तो किसी से होंगे ही,
तुम राह बदल कर चल भी दो, मैं तुम्हे ढूंढता आऊँगा. ..
यदि कभी भूल कर भी तुमने , मेरे शब्दों पर नज़रें फेरीं,
तुम नज़र गड़ाकर पढ़ लोगे, मैं दिल में समाता जाऊंगा. ..
आशीष, स्नेह और प्रेम भरे , भावों के भिक्षुक हैं लेखक
तुम जो भी मन से दे दोगे , मैं भूख मिटाता जाऊँगा. ..
शब्दों को रखो संरक्षित, लेखों में भरी है वैचारिकता,
आने वाली पीढ़ी को यह , इतिहास बताता जाऊँगा. ..