
*किसी भी परिवार , समाज एवं राष्ट्र को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए नियम एवं संविधान की आवश्यकता होती है , बिना नियम एवं बिना संविधान के समाज एवं परिवार तथा कोई भी राष्ट्र निरंकुश हो जाता है | इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखते हुए अंग्रेजों की दासता से १५ अगस्त सन १९४७ को जब हमारा देश भारत स्वतंत्र हुआ तो अंग्रेजों के संविधान को न मानते हुए हमारे देश के विद्वानों ने अपना संविधान बनाया और वह संविधान २६ जनवरी १९५० अर्थात आज के ही दिन हमारे देश में लागू हुआ | आज के दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है | मनुष्य को प्रसन्नता तब प्राप्त होती है जब वह कोई उपलब्धि प्राप्त कर लेता है | अंग्रेजो के द्वारा बनाए गए नियम - कानूनों का बहिष्कार करके जब हमारे देश के विद्वानों ने एक सशक्त संविधान की रचना की तब हमारे देश भारत के निवासियों के हृदय में अपार हर्ष हुआ और जब यह संविधान हमारे देश की संसद में लागू हुआ तब यह प्रसन्नता एक राष्ट्रीय पर्व के रूप में भारत देश में दिखाई पड़ी | हमारा देश भारत त्योहारों का देश है यहां समय-समय पर धार्मिक , आंचलिक एवं राष्ट्रीय पर्व - त्योहार मनाए जाते रहते हैं | इन त्योहारों को मनाने का अर्थ यही होता है कि हम इन पर्व विशेष के रहस्यों को समझते हुए उनके प्रति पूर्ण श्रद्धा एवं विश्वास समर्पित करें | गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर भारत के संविधान के प्रति विश्वास एवं समर्पण की भावना प्रत्येक भारतीय के हृदय में होनी चाहिए अन्यथा यह पर्व मनाना मात्र दिखावा ही कहा जा सकता है | भारत देश के अमर सपूतों एवं बलिदानियों के बलिदान के फलस्वरूप हमको स्वतंत्रता प्राप्त हुई तथा विद्वानों के अथक परिश्रम से हमारे देश को एक सशक्त संविधान मिला हमें उन अमर सपूतो एवं विद्वानों के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए और यह कृतज्ञता तभी ज्ञापित हो सकती है जब हम अपने देश के संविधान के प्रति विश्वास बनाए रखें |*
*आज हमारे देश में भारत में गणतंत्र दिवस का पर्व बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है | प्रत्येक सरकारी भवनों में आज राष्ट्रध्वज फहराया जाएगा , परंतु यह भी देखा जा रहा है एक ओर जहां हर्षोल्लास के साथ गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा है वहीं दूसरी ओर कुछ मुट्ठी भर लोग अपने देश के संविधान के प्रति सशंकित दिखाई पड़ रहे हैं | मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" आज अपने ही देश के संविधान के प्रति संदेहात्मक दृष्टि से देखने वाले उन मुट्ठी भर लोगों से यही पूछना चाहता हूं कि हमारे देश के विद्वानों ने अथक परिश्रम करके जो संविधान तैयार किया उसके प्रति यदि हृदय में शंका है तो गणतंत्र दिवस मनाने का क्या औचित्य है ? आज बड़ी ही शान से राष्ट्रध्वज फहराया जाता है परंतु दूसरी ओर उसी राष्ट्रध्वज को हाथ में लेकर के देश में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं | यह कैसी राष्ट्रभक्ति है ? यह कैसा देश प्रेम है ? यह सोचने पर हृदय विवश हो जाता है | स्वयं को बुद्धिजीवी कहने वाले कुछ लोग नित्य ही संविधान के प्रति नए-नए वक्तव्य दे रहे हैं जो कि इस लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए कदापि उचित नहीं कहा जा सकता है | हमें कहने में कदापि संकोच नहीं है कि आज हमारे देश का संविधान भी सकुचा रहा होगा कि किस देश का रखैल बन गया है | क्योंकि आज हमारे देश में देशहित में लिया गया निर्णय असंवैधानिक कहा जाता है तो अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर हिंसा एवं राष्ट्रविरोधी वक्तव्य नित्य देखने और सुनने को मिल रहे हैं | हमारे देश को स्वतंत्र कराने हैं अनेकों नौजवानों ने अपने जीवन को बलिदान कर दिया है परंतु आज का नौजवान उन नौजवानों के बलिदान को मिट्टी में मिलाते हुए दिख रहा है | एक ओर तो हम गणतंत्र दिवस मना रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर कुछ मुट्ठी भर जयचन्द देश एवं देश के संविधान के प्रति नकारात्मकता का प्रदर्शन कर रहे हैं , परंतु उनको शायद यह नहीं पता है कि देश की अस्मिता एवं अखंडता अक्षुण्ण रही है और रहेगी उसके लिए चाहे पुन: बलिदानों का क्रम ही क्यों न चलाना पड़े | हमें आज के दिन अपने देश की अस्मिता एवं अखंडता के लिए कृतसंकल्प होना चाहिए |*
*हमारे देश का संविधान विश्व के सभी देश के संविधानों से कहीं अधिक सरल एवं लचीला है शायद इसी लिए कुछ लोग इसका फायदा उठाने में सफल हो रहे है | इसके विषय में अब देश के नीति नियन्ताओं को सोंचने की आवश्यकता है |*