मैं अबला नहीं, सबला बनना चाहती हूं;
मैं आज बॉलीवुड में पनप रहे ,
अपराधों का भंडाफोड़ करना चाहती हूं।
बॉलीवुड पर कुछ गुंडों का,
एकाधिकार मिटाना चाहती हूं।
बॉलीवुड हमारी संस्कृति और राष्ट्रप्रेम ,
युवा वर्ग की प्रगति का दुश्मन जो ठहरा;
उसे सुधारने का जो बीड़ा उठाया मैंने है।
कथित विद्वानों द्वारा राष्ट्र विरोधी विचारों को,
फिल्मों द्वारा फैलाया गया है, मैं उसे समेटना चाहती हूं।
मैं इस गुंडाराज में अबला नहीं, सबला बन के जीना चाहती हूं।
लाख कोशिश कर ले मुझे डराने की, मैं ना डरी हूं और ना डरूंगी इन दुष्टों से;
मैं रणचंडी भवानी का रूप ले , इन असुरों पर काल बन कर आती हूं;
बहुत हो गया इन देश द्रोहियों का नाटक,अब इस नाटक का अंत मैं लिखना चाहती हूं।
इतनी नफरत अपने देश के प्रति पाल रखी है ,इन नकली विद्वानों ने ;
आखिर कब तक जहर उगलेंगे ये फिल्मों से, इस अग्नि में भस्म हो कर रह जाएंगे।
करों बहिष्कार इन की टुच्ची फिल्मों का, जो हमारी मर्यादा को पार करें;
धर्म विरोधी बातों से ,अपने ही धर्म को हास्यास्पद बनाएं;
ऐसे फिल्म निर्माताओं को यहीं अभी इसी समय दंडित करें।
ऐसे राजनेताओं का भी तख्त पलट दें,जो देश के प्रति नफरत फैला दुश्मनों की गोद में जा बैठें।
मैं अबला नहीं , मैं तो सबला बन के जीना चाहती हूं।
इस देश में डर लगता है इन गद्दारों को,अपने ही देश में
कमाया धन लोगों से;
जिस थाली में खाया उसी थाली में किया है छेद,
ना छोड़ो इन गद्दारों को सीखा दो सबक तन मन धन से।