प्रिय सखी।कैसी हो।मै ठीक हूं।अभी लिखने बैठी तो ऐप ही नही खुल रहा था।अब काफी समय बाद ओपन हुआ है ।तभी तुम से मुलाकात हो पायी है। शब्द टीम का ध्यान ऐप को ठीक करने के लिए दिलाना पडेगा।अभी बहुत सी गड़बड़ी
🌿दिनांक :- 19/05/22🌿 🌺सुनो न! दैनन्दिनी, शब्द.इन पर मैंने पहली रचना अक्टूबर 2021 में पोस्ट की थी। उसके बाद दो-चार
डायरी दिनांक १९/०५/२०२२ - प्रातःकालीन चर्चा सुबह के आठ बजकर दस मिनट हो रहे हैं । आज रात में पथरी का दर्द उठने लगा। फिर लगभग पूरी रात परेशान रहा। पेनकिलर मम्मी के कमरे में थी। यदि रात को
पत्थरों को सिंदूर लगे तो वो देवता हुये,औरतों को सिंदूर लगे वो सुहागिन बेचारी बनी,कभी पति से दुत्कारी गईतो कभी आग में जलाई गई,कभी बच्चों से अपमानित हुईतो कभी पड़ोसियों से निहारी गई,औरत होना ही संघर्ष ह
डायरी दिनांक १८/०५/२०२२ शाम के छह बजकर पच्चीस मिनट हो रहे हैं। धारावाहिक गीता में बकरी के लिये वार्तालाप के दौरान छिरिया शव्द का प्रयोग किया गया है। चूंकि यह प्रयोग मात्र वार्तालाप में ह
प्रिय सखीकैसी हो। मैं अच्छी हूं।दो दिन से मुलाकात नही हो पाई मेरी तुम से थोड़ा बिजी थी। पतिदेव कल ही आये अहमदाबाद से ।जिस काम के लिए गये थे उसमे सफलता नही मिली तो झुंझलाते हुए ही आये।एक तो कहां तो बार
धन की भाषाधन कहता है आज तुम मुझे संभालो कल मैं तुम्हे संभाल लूंगा,अर्थात; आप कितना कमाते हैं ये आपके जीवन मे कतई मायने नही रखता मायने रखता है कि आप कितना बचाते है। ध्यान दे; आप अपने कमाए हुए धन क
डायरी दिनांक १७/०५/२०२२ - सायंकालीन चर्चा शाम के पांच बजकर पचपन मिनट हो रहे हैं । विगत दो दिनों से मिक्की (मकान-मालिक की कुतिया) के व्यवहार में बहुत ज्यादा बदलाव अनुभव कर रहा हूँ। पहले व
मेरे ज़ख्म रिस्ते हैं,याद तेरी आने से।क्या दर्द तुझे भी होता है,मेरे यूं चले जाने से।सोचा ना था कि हम ऐसे बेबस हो बिछड़ेंगेनाम तेरा लेंगे और ऐसे आहे भरेंगेमरेंगे तेरी यादों मेंऔर लोगों को न ख़बर
सखि, एक बात तो बताओ कि सत्य से कौन डरता है ? वही ना जिसे पता है कि उसने झूठ का आडंबर बिछा रखा था और अब उसे भय है कि कहीं सत्य उजागर ना हो जाये । यदि ऐसा हो गया तो ? उसकी तो बरसों की मेहनत पर पानी
आज की कहानी लिखते समय मेरे हाथ कांप रहे थे। यह मेरी सोच से भी परे था, कि मानव अपने लालच , हवस, पैसों, अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए, कितने नीचे गिर सकता है। क्या आज के समाज में रिश्तो से ज्यादा मान
प्रिय सखी। कैसी हो।मै अच्छी हूं भी और नही भी।अब पूछोगी नही कि क्यों ।बस मन नही लग रहा है सुबह से । पतिदेव अहमदाबाद गये है । कपड़ा देखने।मैने तुम्हे पहले भी बताया था ना कि वो म
मेरी डायरी, आज मैं बहुत खुश हूँ। क्योंकि मुझे एक मुकाम मिला है। कुछ नया ज्ञान, कुछ नई विवेचना, जो हमारे रास्ते को आसान बनाती हैं। मेरी संस्था मेरी पहचान है। आज पद्य माह की गोष्ठी थी। मेरी कविता - प
"कवियों का एकांत,उसके हमसफ़र जैसा होता है, जो मन का अकेलापन तो नहीं बांटता मगर एक नई कविता लिखने को उसके मन में प्रचुर भावनाऐं भरता है,जिसे वो किसी पुरुष या किसी महिला से नहीं बांटना चाहते।"#प्राची सि
बेवफ़ाद्वारा:-प्राची सिंह "मुंगेरी"सोच -समझ के रखना इश्क़ के गलियों में क़दम,आजकल बेवफ़ाई के किस्से बड़े मशहूर हुआ करते हैं।दिल चाहता है नाम तुम्हारा बेवफ़ा दे दूं, खाएं जो हमने,तुमसे इतने धोखे हैं।इक
डायरी दिनांक १५/०५/२०२२ शाम के पांच बजकर बीस मिनट हो रहे हैं । आज का दिन बड़े आराम से बीता। दिन भर घर में आराम किया। अच्छा पठन पाठन भी हुआ। धारावाहिक गीता के दो भाग भी आज लिखे । इस बार सभी
हैलो डियर काव्यांक्षी सुप्रभात 💐कैसी हो, और मेरी स्वीट सी शब्द फैमिली कैसी है , आशा है सभी तुम्हारे जैसे अच्छे और स्वस्थ है, और हमेशा रहे भी,
दाम करे सब काम पैसा मिले घोड़ी चले पार लगावे नैया बाप बड़ा न भैया सबका प्यारा रुपैया मेला लगता उदास गर पैसा न हो पास ठन-ठन गोपाल का कौन करता विश्वास वह भला मानस कैसा जिसकी जेब में न