shabd-logo

संस्मरण

hindi articles, stories and books related to Sansmaran


विरह और प्रेम परमार्थ का मेरुदंड है । जबतक जीव के अन्दर प्रभु परमेश्वर के लिए सच्ची विरह और तड़प पैदा नहीं होती तब तक उसका प्रभु के साथ मिलना असंभव है । यहाँ एक समस्या है- जीव करोड़ों युगों से मन-माया क

संतमत के अनुसार सहज एक अत्यंत निर्मल आध्यात्मिक अवस्था है जिसमें आत्मा मन-माया के बंधनों से मुक्त होकर, त्रिकुटी की सीमा को पार करके अपने मूल स्वरुप में आ जाती है । जब साधक सतगुरु के उपदेशानुसार निरंत

तुमने हमारे लिए किया ही क्या है ? छोटा बेटा  बिनय , अपनी माँ कमली से झगड़ते हुए कह रहा था । कमली तीन बच्चों की माँ है बीमारी और गरीबी ने उसे असहज बना दिया था । पति भी 2 साल से बेरोजगार ही घूम रहा

बहुत से संतों ने इस शरीर को एक किला या नगर कहा है । शरीर रुपी किले का मालिक या बादशाह आत्मा है लेकिन इस किले पर मन रुपी व़जीर का अधिपत्य है । हमारी आत्मा युगों-युगों से मन के अधीन होकर गुलामी की जंजीर

सभी पूर्ण संतों ने नाम या शब्द की बहुत महिमा की है । साधारणत: लिखे जाने वाले अक्षर या मुख से उच्चारण किए जाने वाले अक्षरों को ‘शब्द’ समझा जाता है । ‘उच्चारण किए जाने वाले शब्द’, लिखे या पढ़े जाने वाले

संत-महात्माओं की वाणी में ‘चेतावनी’ एक प्रमुख विषय है । जीव जन्मों-जन्मों से माया के हाथ में ठीक उसी प्रकार नाच रहा है जिस प्रकार मदारी के हाथ में बन्दर नाचता है । संसार के जीव अपनी मृत्यु को भूलकर शक

14 मार्च.... सोमवार... आज मेरी डियर डायरी सोच रहीं होगी मैं इतना देर से क्यूँ आई तो पहले तो डियर से माफ़ी मांगती हूँ...। उसके बाद कारण बताती हूँ की सवेरे बच्चों की अलमारी साफ कर रहीं थी..तो

 प्रस्तुत है स्नेहिन् आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ https://youtu.be/YzZRHAHbK1w https://t.me/prav353  परमात्मतत्त्व बिना विचार के सहज ही कभी कभी उद्भूत

तेरे आँचल मे मिला दुनिया की हर ख़ुशीतेरे साये मे लगे महफूज ये मेरी ज़िन्दगीक्यों न तुम्हे खुदा से ऊपर मानु ए माँ मेरीदुनिया ने तो जख्म दिया पर दिया है तुमने मुझे ज़िन्दगीमेरी ख़ामोशी से जो तू दिल का हाल प

उन्होंने सिटकुन का मोटा वाला सिरा पकड़ा और अपनी कुर्सी से लगभग चार फीट की दूरी पर एक गोला बनाते हुए कहा कि मैं इस गोले में खड़ा हो जाऊ। उनकी आज्ञा का तत्काल पालन हुआ और धड़कते हृदय के साथ मैं उनके द्वारा

दिन के साढ़े तीन बजे होंगे जब स्कूल की आख़िरी कक्षा चल रही थी। आगे क्या होने वाला हैं इसका आभास तो हो चला था मुझे क्योंकि अब से एक दिन पूर्व ही तो भैया ने प्रधानाध्यापक से मिलकर वो सभी बातें कही थी जो क

आज फिर से ये घर परदेश हो गया,मेरा घर फिर से बड़े घर चला गया, अब बचा है सरकारी मकान दीवारे और मैं। श्रीमती जी की नानी की बरसी है तो उन्हें वहा जाना था और मैं पिछले महीने ही छुट्टी से आया हूं तो इतनी जल

           केमिस्ट्री की लेब में प्रक्टिकल चल रहा था। सभी स्टूडेंट बिजी थे अपनी-अपनी टेबल के सामने खड़े प्रक्टिकल करने में, कि अचानक एक छोटा सा विस्फोट हुआ और आवाज आई--&n

परमपिता परमात्मा को किसी ने देखा नहीं है । वह निराकार, अरंग, अरूप और अदृष्ट है । संसार सागर में भटकते हुए जीव की कोई सामर्थ्य नहीं है कि उस प्रभु को जान सके । जब से जीव परमात्मा से अलग होकर इस दुखी दु

सभी संत-महात्माओं ने इस मनुष्य शरीर की महिमा की है । वेद-पुराणों में मानव शरीर को नर नारायणी देह कहा है जबकि गुरु साहिबान ने इसे ‘हर मंदिर’ कहा है । बाइबिल में इस शरीर को ‘जीवित खुदा का मंदिर’ कह कर स

प्रभु परमेश्वर संतजन हमें यही समझाते आए हैं कि यह सृष्टि अपने आप पैदा नहीं हुई । सूर्य, चन्द्रमा, पृथ्वी और अनेक ग्रह और उपग्रह और इनकी गतिविधियाँ चल रही हैं । असंख्य जीवों का जन्म लेना और मरना, हवा

पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के विशाल भू-क्षेत्र में गोविन्द साहिब एक प्रख्यात पूर्ण संत के रूप में जाने जाते हैं । गोविन्द साहिब का जन्म अगहन मास, शुक्ल पक्ष की दसवीं, दिन मंगलवार संबत 1785 तदनुसार

अयोध्या की पावन धरती पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी का अवतरण हुआ था । इस भू-क्षेत्र में अनेक महापुरुषों ने जन्म लिया है अथवा इस क्षेत्र को भक्ति साधना के लिए चुना है । हम सब जानते हैं कि अयोध्

9/3/2022 मेरी डायरी आज मैं फिर देर से आई क्या करूं कुछ लोगों के आगमन के कारण ऐसा हो रहा है। आज मैं बहुत खुश हूंं क्योंकि आज मेरे उपन्यास टूटा गुरुर को पुरस्कृत किया गया हैजो स्त्री विशेष पर आधारित है

बात उस समय की है जब मैं सातवीं या आठवीं कक्षा में पढ़ती थी।                      सुबह सुबह का टाइम

किताब पढ़िए