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साप्ताहिक_प्रतियोगिता

hindi articles, stories and books related to Saptahik_pratiyogita


          महायुद्ध समाप्त हो चुका था। जगत को त्रास देने वाला रावण अपने कुटुम्ब सहित नष्ट हो चुका था। कौशलाधीश राम के नेतृत्व में चहुँओर शांति थी।       &nb

मुलेठी का काढ़ा बनाकर ठंडा कर व छानकर दिन में ३-४ बार गरारा करने से मुंह व जीभ के छाले ठीक हो जाते है।हरे धनिया का रस मुंह के छालो पर लगाने और सूखे धनिये को पानी में उबालकर उस पानी को छान कर व ठंडा कर

------ -----गनपत----- ( कहानी  (इस बीच गनपत के गांव से खबर आई कि उनकी माताजी का स्वर्गवास हो गया है । गनपत आनन फ़ानन में अपने गांव चला गया ) इससे आगे। वो धारावी वाले घर को झुमरू के भरोसे

17april , sunday            Good Evening friends,                 .... As usual I am here to talk with you guys. I want to wr

डायरी दिनांक १७/०४/२०२२  दोपहर के तीन बजकर तीस मिनट हो रहे हैं ।  मनुष्य जितना अधिक प्राकृतिक माहौल में रहता है, उतना ही स्वस्थ रहता है। आज भी गांव के लोग कम बीमार होते हैं। तथा बीमार हो जान

प्रिय सखी।  कैसी हो ।आज गाना गाने का मन कर रहा है पूछोगी नही कौन सा ।यही "इंतजार है है है तेरा इंतज़ार है।अब तुम कहोगी सखी तो बोरा गयी है । नही सच मे मुझे इंतज़ार है अपने ईनाम आने का ।अब ये नही प

क्यूं, लरजते हैं, आंखों में आंसू ?     जब इनका कोई, मोल न रहा ।क्यूं, तड़पते हैं, अपनों के लिए, जब उनके दिलों में, कोई प्यार न रहा ?      क्यूं, संजो रहे सपने, भविष्

मेरे प्यार में, रुक जाओ इक पल,       तो जिन्दगी संवर सकती है ।अगर बहाना बनाकर, चले गये तुम,        तो जिन्दगी रुक सकती है ।प्यार में ठहरने वाले लोग,   

प्यार क्यूं ,छिप -छिप कर किया जाता है ?       क्यूं, हिंसा सरे-आम की जाती है ?क्यूं, अपराधियों को पनाह दी जाती है ?         क्यूं, बहू-बेटिओं की इज्जत सरे-

दुकान के किसी कोने में, रखा रहता था। माॅल की कोई रैक पर, सजा रहता था। लोग सामान लेते, उसे कर देते थे अनदेखा। टुकुर टुकुर वह देखा करता, कैसी उसकी भाग्य रेखा।कोई नहीं पूछता उसको, रहता था

सत्य तिलमिलाता है,      कि लोग उसकी , पहचान जान लें ।झूठ कंपकंपाता है,      कि कहीं लोग,उसको पहचान न लें ।कितना विरोधाभास है, दोनोें में,      किसको क्या अ

" रिश्ता " रखो या ना रखो.              किंतु..." भरोसा " जरूर रखना..!क्युं की जंहा " भरोसा " होता हेवंहा " रिश्ते " अपने आप बन जाते है बेशक़ पलट के देखो.  वो बीत

 सरल रहो ताकि सब तुमसे मिल सकें!    तरल रहो ताकि तुम सबमे घुल सको!    किसी ने क्या खुब कहा है    साहब    बहुत ज्यादा परखने से,    बहुत अच्छे अ

बेड टच.....आखिर होता क्या हैं ये टच.... जब हम छोटे थे तो हमारे बड़े हमें समझाते थे... आज हम बड़े हुए हैं तो हम अपने बच्चों को समझाते हैं...। जब कोई हमारे अंत: अंगों को हमारी इजाजत बिना छुए औ

 जीवन का एक सीधा सा नियम है और वो ये कि अगर अनुशासन नहीं तो प्रगति भी नहीं।अनुशासन में बहकर ही एक नदी सागर तक पहुँचकर सागर ही बन जाती है। अनुशासन में बँधकर ही एक बेल जमीन से उठकर वृक्ष जैसी ऊँचाई

कुनाल की मौत से कभी पर्दा नहीं उठ पाता.... उसकी मौत को सामान्य मृत्यु मान कर सभी अपने आप में व्यस्त हो जाते.... और ब्रजमोहन की दरीदंगी कभी सामने ना आतीं अगर उस संस्था में एक और किस्सा ना होता तो...।&n

माहवारी से संबंधित एक प्राकृतिक घरेलु उपाय में मालवा नट (मराठी में इसे निरंजन फल बोला जाता है) का सेवन भी किया जाता है जो माहवारी संबंधी बीमारियों में अचूक दवा का काम करता है (उसे रामबाण भले ही न कहे

कोई आज मुझे प्यार करने का ,       अंदाज सिखा दे ।गैरों को अपना बनाने का ब्यौहार,         सिखा दे ।यूं तो नसीहत, देने‌वाले हैं, दुनिया में बहुत ।  &nbs

कहानी एक परिवारिक कहानी है जो कि हमें बताती है कि जहां से हम पैदा होते हैं वहीं से हम जुड़े होते हैं कहीं बाहर जाते हैं तो हमें नई पहचान बनानी पड़ती है और नए रास्ते मिलते हैं नए लोग मिलते है

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