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स्त्री-विमर्श

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      माँ माँ ऐसा शब्द है जिसको मैं अपनी कलम से पूरा कर ही नही सकती!माँ की ममता को शब्दों में बांधना नामुमकिन है!हर माँ में भगवान् की छवी होती है। अगर आप माँ की सेवा नही करते तो आप

माँ ....... क्या लिखूँ माँ के लिए                   माँ ने खुद मुझे लिखा है !    माँ संवेदना है            &n

दुनिया में सबसे प्यारा शब्द होता है मां,सबसे छोटा और सबसे अनोखा शब्द होता है मां,हर किसी को जन्म देती है मां,खुद गीले में सोती है बच्चे को सूखे में सुलाती है मां, अपनी ममतामई छाया बरसाती है मां,ब

जब टूटा गुरुर  भाग 1   दरवाजे की घंटी लगातार बजती जा रही थी घंटी की आवाज़ सुनाई कामिनी ने झल्लाकर कर कहा आ रहीं हूं भाई थोड़ा तो सब्र करो इतना कहते हुए कामिनी ने दरवाजा खोला तो सामने उसकी दे

एहसासदिल्ली का न्यू मोती नगर इलाका, वैसे तो ठीक-ठाक लिखा है, लेकिन वहां के लोग दिलदार बहुत हैं। मोती नगर की गली नंबर 2 का तो रंग ही रंगीला है। हर घर में बाई के बिना तो काम चलता ही नहीं,और महीने म

कल आज और कलकल जैसा था, आज वैसा है, कल ऐसा नहीं होने दूंगी। मेरी पोती ( बिन मां की बच्ची है ) बड़ी हो गई है, कालिज खत्म हो गया उसका, नौकरी करना चाहती है, उसके पापा, दादा ने  कहा, "लड़की की कम

स्ट्रेच मार्क्सपापा घर पर नहीं, इसलिए रीता को मां को किट्टी छोड़ने के लिए जाना था।रीता, " मां, कितनी बार कहा है जब मेरे साथ कहीं जाना हो तो साड़ी मत पहना करो""लेकिन क्यों"?"ज़रा देखो तो अपने पेट पर, क

1. कानपुर सामने आँगन में फैली धूप सिमटकर दीवारों पर चढ़ गई और कंधे पर बस्ता लटकाए नन्हे-नन्हे बच्चों के झुंड-के-झुंड दिखाई दिए, तो एकाएक ही मुझे समय का आभास हुआ। घंटा भर हो गया यहाँ खड़े-खड़े और संज

'पंद्रह साल की थी, जब शादी हुई। निकाह के बाद जाना कि शौहर की उम्र मेरे पिता से भी कुछ ज्यादा है। फिर तो एक के बाद एक राज खुलते चले गए। वो देख नहीं पाता था और न ही कोई काम-धाम करता। गांव में लड़की नहीं

:-मेरा फैसला नही मानना तो न सही।अब अपनी आँखो के सामने मृत्युं का ताण्ड़व देखना। विधाता ने अपनी कलाई की तरफ देखा और ऊँगली ले जाने लगा।किसना ने रोका... रूको। तुमने अपना मन बदल लिया? तुम्हारे इस साम्रराज्

कहते हैः- जैसे तिल में तेल समाया रहता है,                   वैसे ही इस जड़ शरीर में चैतन्य का वास है।चैतन्य की शक्ति से ही ये जड़ शरीर,हिलता-डुलता, चलता

ईश्वर “टूटी” हुई चीज़ों का इस्तेमाल कितनी ख़ूबसूरती से करता है ..जैसे , बादल टूटने पर पानी की फुहार आती है ……मिट्टी टूटने पर खेत का रुप लेती है….फल के टूटने पर बीज अंकुरित हो जाता है …..और बीज टूटने प

सुखलाल भीतर से टूट चुका था, बेटी के जन्म का हर्षोल्लास पत्नी की मौत के  मातम में बदल चुका था,  लोगो का तो कहना था कि बड़ा अभागा है सुखलाल उसके जीवन मे पहले उसकी माँ उसका साथ छोड़ कर गई फिर पित

ऐसी होती है मांएक माँ चटाई पर लेटी आराम से सो रही थी.मीठे सपनों से अपने मन को भिगो रही थीतभी उसका बच्चा यूँ ही घूमते हुये समीप आया.माँ के तन को छू कर हल्के - हल्के से हिलाया.माँ अलसाई सी चटाई से बस थो

फिल्मों में जैसा दृश्य दिखाया जाता है, उससे बढ़कर था।किसी चर्चित व्यक्ति की शान-शौकत,रहन-सहन को उच्च दिखाया जाता हैं।यहाँ आने से पहले किसना को अचेत कर दिया था।समुद्र के ब़ीच टापू पर बना आलीशान महल था।च

आज के दौर में युवक ऐसा ही तो ख्आब देखते है कि जिदंगी शान -शौकत से जिएँ।मुझे इस घर में एक वर्ष हो गया।चाहे कितना भी क्रोध किया होगा लेकिन कभी हाथ नहीं उठ़ाया।मेरा कितना ख्याल रखते हैं।अगर बुखार आ जायें

एक दूसरे से मिलना केवल संजोग नहीं :..  अब तक आप ना जाने कितने ही लोगों से मिल चुके होंगे और यकीन मानिए अभी यह संख्या और ज्यादा बढ़ने वाली है। इनमें से ज्यादातर लोग तो बस आपके जीवन में आए और गए हों

अमर आपको पहली दृष्टि में संस्कारी गुणवान,आदर सम्मान करने मन को भा गया था।अमर का चरिर्थात्र विपरीत हैं।सरकारी नौकरी है तो आर्थिक स्थति में कोई परेशानी नहीं होगी।पापा हर व्यक्ति अपके जैसा नहीं होता हैं।

सरकारी वकील:-जज साहब! यह कहना क्या चाहता है?बैगों में जाली नोट चीख-चीख कर क्या कहने की कोशिश कर रहे है?सबको आव़ाज सुनाई क्यों नहीं दे रही है? आप सुनने की कोशिश करके तो सब सुनाई देगा।अगर मेरे मस्तिष्क

अनुभव करो कि समस्‍त आकाश तुम्‍हारे आनंद-शरीर से भर गया है।            सात शरीर होते है। आनंद-शरीर तुम्‍हारी आत्‍मा के चारों और है। इसलिए तो जैसे-जैसे तुम भीतर जाते हो तुम

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