US Base Attack: जॉर्डन में सीरियाई और इराकी सीमाओं पर बने तीन अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर चार अलग-अलग ड्रोन हमले किए गए। इन हमलों में तीन अमेरिकी सैनिक मारे गए और 34 अन्य घायल हो गए।
पहले से ही दुनिया के कई देशों में युद्ध छिड़े हुए हैं। जहां रूस-यूक्रेन फरवरी 2022 से आमने-सामने हैं तो वहीं पिछले साल अक्तूबर से इस्राइल-हमास आपस में लड़ रहे हैं। इसी बीच, अमेरिका और ईरान भी आमने-सामने आ गए हैं। हालिया तनाव उस वक्त उत्पन्न हो गया जब जॉर्डन में अमेरिकी सैन्य अड्डे पर ड्रोन हमले किए गए जिसमें तीन अमेरिकी सैनिक मारे गए और 34 घायल हो गए। उधर हमले के लिए ईरानी सशस्त्र समूह को जिम्मेदार ठहराते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने बदला लेने की कसम खाई है।
आइये जानते हैं कि ईरान और अमेरिका के बीच अभी क्या हुआ है? अमेरिकी ठिकानों पर हमले किसने और क्यों? अमेरिका का क्या रुख है?
ईरान और अमेरिका के बीच अभी क्या हुआ है?
दरअसल, रविवार को जॉर्डन में सीरियाई और इराकी सीमाओं पर बनी एक सैन्य चौकी 'टावर 22' पर हमले हुए। इसमें तीन अमेरिकी ठिकानों पर चार अलग-अलग ड्रोन हमले किए गए थे। इन हमलों में तीन अमेरिकी सैनिक मारे गए और 34 अन्य घायल हो गए।
जानकारी के अनुसार, घायल हुए अमेरिकी सैनिकों को मस्तिष्क में गंभीर चोट लगी है। एक अधिकारी ने कहा कि ड्रोन ने सुबह-सुबह बैरक के पास हमला किया।
अमेरिकी ठिकानों पर हमला किसने और क्यों किया?
हालिया हमला उत्तरी जॉर्डन में सीरिया की सीमा के पास हुआ है। दरअसल, जॉर्डन में अमेरिका के लगभग 4,000 सैनिक तैनात हैं। जॉर्डन की सीमा इराक, इस्राइल, फलस्तीन, सऊदी अरब और सीरिया के साथ लगती है। अमेरिकी सेना लंबे समय से जॉर्डन का इस्तेमाल बेस के रूप में कर रही है।
इसी तरह सीरिया में अमेरिका के 900 सैनिक तैनात हैं। ये सैनिक सीरिया में सक्रिय आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट को तबाह करने के लिए कुर्द सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज के साथ काम कर रहे हैं।
ईरान समर्थित समूह लंबे समय से अमेरिकी सैनिकों को इराक और सीरिया से बाहर निकालने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, इन प्रयासों को तेज करने के लिए समूहों ने गाजा में जारी इस्राइल-हमास युद्ध को बतौर पृष्ठभूमि इस्तेमाल किया है।
पिछले साल 7 अक्टूबर को हमास-इस्राइल युद्ध शुरू होने के बाद से इराक और सीरिया में मौजूद अमेरिका सेना निशाने पर है। यहां अमेरिकी सेना को लगभग रोज ही ड्रोन और मिसाइल हमलों का सामना करना पड़ रहा है।
हमास-इस्राइल युद्ध की शुरुआत के बाद यह पहली बार है कि मध्य पूर्व में हमले में अमेरिकी सैन्यकर्मी मारे गए हैं। टावर 22 पर हुए हालिया हमले की जिम्मेदारी ईरान समर्थित समूह इस्लामिक रेजिस्टेंस ने ली है। हमले में कताइब हिजबुल्ला नाम का एक समूह भी शामिल है, जो इराक में गठबंधन सेना के खिलाफ लड़ा था।
आतंकी समूह इस्लामिक रेजिस्टेंस ने एक बयान जारी कर कहा, 'जैसा कि हमने पहले कहा था, यदि अमेरिका इस्राइल का समर्थन करना जारी रखता है, तो क्षेत्र में तनाव बढ़ेगा। हमें जवाब देने के लिए अमेरिकी धमकियों की परवाह नहीं है।'