आखिर विपक्षी गठबंधन में हो क्या रहा है? क्या यह गठबंधन बनने से पहले बिखरने लगा है? अलग-अलग दलों की ओर से इस तरह के एलान के क्या मायने हैं? इन सभी सवालों पर इस हफ्ते के खबरों के खिलाड़ी में चर्चा हुई। चर्चा के लिए वरिष्ठ पत्रकार राम कृपाल सिंह, प्रेम कुमार, समीर चौगांवकर और राकेश शुक्ला मौजूद रहे।
लोकसभा चुनाव की तारीखों का एलान होने में दो महीने से भी कम का समय रह गया है। विपक्षी गठबंधन के बीच सीटों के बंटवारे की अलग-अलग तारीखे घोषित होने के बाद बंटवारा नहीं हो सका है। इन सबके बीच अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग दल सीटें लड़ने का एलान करने लगे हैं। केजरीवाल गुजरात जाकर भरूच सीट से उम्मीदवार उतराने का एलान करते हैं तो उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव, रालोद के जयंत चौधरी के साथ आपसी समझौते के साथ सीटें देनें का एलान कर देते हैं। इसमें कांग्रेस कहीं नहीं दिखाई देती। ममता की पार्टी की ओर से भी बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने की बात कही जा रही है।
आखिर विपक्षी गठबंधन में हो क्या रहा है? क्या यह गठबंधन बनने से पहले बिखरने लगा है? अलग-अलग दलों की ओर से इस तरह के एलान के क्या मायने हैं? इन सभी सवालों पर इस हफ्ते के खबरों के खिलाड़ी में चर्चा हुई। चर्चा के लिए वरिष्ठ पत्रकार राम कृपाल सिंह, प्रेम कुमार, समीर चौगांवकर और राकेश शुक्ला मौजूद रहे।
प्रेम कुमार: इंडिया गठबंधन बिखरे हुए विपक्ष का एक समुच्चय है। सीट शेयरिंग को लेकर स्थानीय स्तर पर जो प्रतिक्रियाएं हैं वह स्वाभाविक हैं। यह एक पार्टी के भीतर भी होता है, तो गठबंधन में क्यों नहीं होगा, यह सोचने का विषय है। मूल बात यह है कि किसी दल ने विपक्षी गठबंधन से हटने की बात की है क्या? तो इसका जवाब है नहीं। यह कहा जा रहा है कि देर हो रही है, तो क्या अकेले इंडिया गठबंधन को ही चुनाव लड़ना है। दूसरी ओर भी कोई एलान नहीं हुआ है।