India vs Maldives Controversy: प्रधानमंत्री मोदी के लक्षद्वीप के दौरे के बाद मालदीव सरकार के तीन मंत्रियों ने भारत और पीएम मोदी को लेकर अभद्र बयान दिए जिससे विवाद खड़ा हो गया। विवाद से यहां की पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था को खतरा उत्पन्न हो गया है।
मालदीव के साथ सोशल मीडिया टिप्पणियों से शुरू हुआ विवाद अब राजनयिक रूप ले चुका है। दरअसल, पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लक्षद्वीप के दौरे पर थे और यहीं की कुछ आकर्षक तस्वीरें उन्होंने सोशल मीडिया पर साझा की। इसके बाद सोशल मीडिया पर मालदीव और लक्षद्वीप की तुलना शुरू हो गई। इसी बीच मालदीव के कुछ नेताओं ने भारत और पीएम मोदी को लेकर अभद्र टिप्पणियां कर दीं।
विवाद यहीं नहीं रुका, फजीहत होते देखे मालदीव सरकार ने तीन मंत्रियों को निलंबित कर दिया। उधर सोमवार को भारत सरकार ने मालदीव के उच्चाययुक्त को तलब किया। विवाद के बीच कई भारतीयों ने अपना मालदीव घूमने जाने की योजना रद्द कर दी। यहां के विपक्षी नेताओं के आए बयान बताते हैं कि मंत्रियों के गैर-जिम्मेदाराना बयानों ने देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले पर्यटन बाजार को दांव पर लगा दिया।
आइये जानते हैं कि मालदीव कहां है? भारत के साथ इसके रिश्ते कैसे रहे हैं? पर्यटन में भारत पर कैसे निर्भर है मालदीव? अब क्यों खराब होने लगे भारत के साथ रिश्ते? अभी क्या विवाद हुआ?
पहले जानते हैं मालदीव कहां है और इसकी आबादी कितनी है?
यह हिन्द महासागर में स्थित एक द्वीप देश है। इसे मालदीव द्वीप समूह के नाम से भी जाना जाता है जबकि इसका आधिकारिक नाम मालदीव गणराज्य है। द्वीप देश की भौगोलिकता देखें तो यह मिनिकॉय आईलैण्ड और चागोस द्वीपसमूह के बीच 26 प्रवाल द्वीपों की एक दोहरी चेन है। मालदीव का फैलाव भारत के लक्षद्वीप टापू की उत्तर-दक्षिण दिशा में है। भारत के पश्चिम तट से मालदीव की दूरी 300 नॉटिकल मील है। मालदीव जनसंख्या और क्षेत्र दोनों ही प्रकार से एशिया का सबसे छोटा देश है। इसकी आबादी महज 5,15,122 है।
जब-जब मुसीबत आई भारत पहले बना मददगार
1976 में सामुद्रिक संधि के तहत भारत-मालदीव ने अपने सामुद्रिक सीमा क्षेत्र तय किए। दोनों ही सार्क के संस्थापक सदस्य भी हैं। 1981 में दोनों ने मुक्त व्यापार समझौता किया। दोनों देशों के रिश्तों में सबसे अहम योगदान सैन्य सहयोग का रहा है। इसमें नवंबर 1988 के ऑपरेशन कैक्टस की अक्सर चर्चा होती है जब श्रीलंका के पीपल्स लिबरेशन संगठन और मालदीव के विद्रोहियों ने 80 सशस्त्र लोगों के साथ देश का तख्ता पलट करना चाहा। वे राजधानी माले पर कब्जा करने में सफल रहे। तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल गयूम ने पाकिस्तान, सिंगापुर और श्रीलंका से मदद मांगी, लेकिन सभी ने मदद देने से इनकार कर दिया।
अमेरिका मदद देने को राजी था, लेकिन इसमें दो से तीन दिन लग सकते थे। अंतत: उन्हें मित्र भारत ही नजर आया, जिससे मांगी गई मदद का तुरंत जवाब मिला। भारत ने 16 घंटे के भीतर 500 सैनिकों के साथ ऑपरेशन कैक्टस शुरू कर दिया। इस ऑपरेशन में कुछ घंटे लगे, माले को वापस कब्जे में लिया गया। इस ऑपरेशन में भारत के कई सैनिकों ने बलिदान भी दिया।
ऐसे भी बढ़ाए मदद के हाथ
2004 की सुनामी और 2014 के जल संकट में भारत ने ही मालदीव को सबसे पहले मदद पहुंचाई।
2018 में ही भारत ने मालदीव को 140 करोड़ डॉलर का आर्थिक सहयोग प्रदान किया।
2018 से 2022 में मालदीव से 87 हजार लोग भारत में इलाज कराने आए जो 5.15 लाख आबादी वाले देश का एक बड़ा हिस्सा है।
2020 में भारत ने मालदीव को चेचक के 30 हजार टीके मुहैया करवाए। इसके बाद कोरोना काल में वैक्सीन से लेकर आवश्यक स्वास्थ सुविधाएं भी दीं।
2023 में खेलों को बढ़ावा देने के लिए भारत ने मालदीव को चार करोड़ डॉलर मुहैया करवाए।
पर्यटन के क्षेत्र में मालदीव कहां खड़ा है?
मालदीव की अर्थव्यवस्था अपने पर्यटन क्षेत्र पर बहुत अधिक निर्भर है। पर्यटन यहां की विदेशी मुद्रा आय और सरकारी राजस्व का प्रमुख साधन है। पर्यटन सीधे तौर पर मालदीव की जीडीपी का लगभग चौथाई हिस्सा है और परोक्ष रूप से जीडीपी का बहुत बड़ा हिस्सा है। इसके साथ ही पर्यटन यहां प्रत्यक्ष रोजगार का भी बड़ा जरिया है।
मालदीव के लोगों के लिए रोजगार के अवसरों में पर्यटन का योगदान एक तिहाई से अधिक है। यदि पर्यटन से जुड़े क्षेत्रों को भी शामिल कर लिया जाए, तो यहां के कुल रोजगार (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष) में पर्यटन क्षेत्र का योगदान लगभग 70% तक बढ़ जाएगा।