प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में अयोध्या में राम मंदिर के गर्भगृह में सोमवार को श्री रामलला के नवीन विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा संपन्न हुई। देश -विदेश में लाखों रामभक्त इसके साक्षी बने। प्राण प्रतिष्ठा के दौरान सेना के हेलीकॉप्टरों ने नवनिर्मित रामजन्मभूमि मंदिर पर पुष्प वर्षा की। प्राण प्रतिष्ठा के कई लोगों ने अतिथियों को संबोधित किया। प्रधानमंत्री के बारे में श्रीराम जन्मभूमि में तीर्थ क्षेत्र न्यास के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरिजी महाराज का संबोधन उन्हीं के शब्दों में पढ़ें...
प्रधानमंत्री जी के हाथों प्रतिष्ठा होने की बात थी। यह स्वाभाविक भी था। यह संभव हो सका, इसके अनेक कारण हैं। अनेक कारण मिलकर एक विशिष्ट स्तर पर पहुंच जाते हैं। इस प्रकार का परिवर्तन लाने के लिए जीवन को साधना पड़ता है। सनातन की अंत:करण की आवश्यकता के रूप में हमें प्रधानमंत्री प्राप्त हुए हैं। यह देश का नहीं, संपूर्ण विश्व का सौभाग्य है कि उनकी उपस्थिति हमें प्राप्त हुई।
मुझे इस बात का आश्चर्य भी हुआ, जब 20 दिन पूर्व मुझे यह समाचार मिला कि प्रधानमंत्री जी को इस प्रतिष्ठा के लिए स्वयं अपने लिए क्या-क्या सिद्ध करना चाहिए, इसकी नियमावली लिखकर उन्हें भेजना है। जिस तरह का हमारा राजनीतिक माहौल हो, कोई किसी भी समय आकर कहीं भी अनुष्ठान करके चला जाता है, लेकिन यहां भगवान श्रीराम की प्रतिष्ठा करनी है। समस्त जीवन आदर्शों के प्रतीक राम हैं। इसलिए महान विभूति को यह लगा कि मैं अपने को भी साध लूं। कर्म, वचन और वाणी से खुद को सिद्ध और शुद्ध बनाऊं। उसका मार्ग तप ही है। तप से ही विशेष परिशुद्धि होती है।