साल 1990 में सक्रिय राजनीति में उतरने वाले सम्राट चौधरी ने अपने करियर की शुरुआत राष्ट्रीय जनता दल से की थी। साल 1999 में बिहार की राबड़ी सरकार में सम्राट चौधरी कृषि मंत्री भी रहे
बिहार में नीतीश कुमार ने एक बार फिर भाजपा के साथ मिलकर राज्य में सरकार बना ली है। भाजपा ने बताया कि उनके विधायक दल की बैठक में प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी को विधायक दल का नेता चुन लिया गया है और विजय सिन्हा को उपनेता चुना गया है। सम्राट चौधरी कुशवाहा जाति से ताल्लुक रखते हैं और शकुनी चौधरी के बेटे हैं।
कौन हैं सम्राट चौधरी
16 नवंबर, 1968 में जन्में सम्राट चौधरी बिहार के नए डिप्टी सीएम बने हैं। जो लोग नहीं जानते, उन्हें बता दें कि सम्राट चौधरी, शकुनी चौधरी के बेटे हैं। बिहार की राजनीति में शकुनी चौधरी बड़ा नाम रहे हैं। समता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में शकुनी चौधरी भी एक हैं। बिहार में कुशवाहा समाज के बड़े नेताओं में शकुनी चौधरी शुमार किए जाते हैं। अब सम्राट चौधरी अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
साल 1990 में सक्रिय राजनीति में उतरने वाले सम्राट चौधरी ने अपने करियर की शुरुआत राष्ट्रीय जनता दल से की थी। साल 1999 में बिहार की राबड़ी सरकार में सम्राट चौधरी कृषि मंत्री भी रहे। हालांकि उनकी कम उम्र को लेकर विवाद हुआ और उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया। साल 2018 में सम्राट चौधरी ने राजद से नाता तोड़कर भाजपा की सदस्यता ली। भाजपा में आने के बाद से सम्राट चौधरी का राजनीतिक कद लगातार बढ़ता गया और पार्टी ने साल 2022 में उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया।
बिहार की जातीय राजनीति में भाजपा के लिए अहम सम्राट चौधरी
बिहार की राजनीति में जातीय समीकरणों की बहुत अहमियत है। सम्राट चौधरी कुशवाहा जाति से ताल्लुक रखते हैं और बिहार में इस जाति का आधार करीब 7-9 प्रतिशत है। बिहार में यादव जाति के बाद सबसे ज्यादा वोटर कुशवाहा जाति के ही हैं। बिहार में हुए जातीय सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग 27 प्रतिशत, अति-पिछड़ा वर्ग 36 प्रतिशत है, जो राज्य की कुल आबादी का 63 प्रतिशत हो जाते हैं। यही वजह है कि बिहार की जातीय राजनीति को साधने में सम्राट कुशवाहा भाजपा के लिए अहम हैं। अब सम्राट कुशवाहा को डिप्टी सीएम बनाकर भी भाजपा ने ऐसे ही संकेत दिए हैं।