देश में सिनेमा का बहुत महत्व रहा है. और कलाकारों की तो कभी कमी रही नहीं है। इसलिए ही तो आजादी से कई साल पहले ही भारत में फिल्में बननी शुरू हो गई थीं। आज नेशनल सिनेमा डे है।आइये इस मौके पर जानते हैं भारतीय सिनेमा के पितामह दादा साहेब फाल्के के बारे में जिन्होंने देश में सिनेमा की नींव रखी और लोगों को मनोरंजन का नया अनुभव दिया।
दादासाहेब फाल्के
भारतीय सिनेमा का जब भी जिक्र आता है तो सबसे पहले नाम आता है दादा साहेब फाल्के का उनके बिना तो भारतीय सिनेमा की कल्पना भी नहीं की जा सकती। लेकिन एक फिल्म ऐसी है जिसे अगर दादा साहेब फाल्के ना देखते तो उनके डायरेक्टर बनने की कल्पना भी नहीं की जा सकती। और उसके बिना इंडियन सिनेमा की एग्जिस्टेंस और बॉलीवुड की कल्पना तो दूर है। दादा साहेब फाल्के का रुझान तो कला के प्रति था ही लेकिन जब तक उन्होंने फिल्में नहीं देखी थीं उन्हें इस कला को ढालने का सही जरिया नहीं मिल पा रहा था।
कौन सी फिल्म देखी?
बता दें कि सबसे पहले दादा साहेब फाल्के ने फिल्म द लाइफ ऑफ क्राइस्ट देखी थी। इस फिल्म का उनके ऊफर गहरा असर पड़ा और यही फिल्म देखने के बाद उन्होंने ठान लिया कि वे भी फिल्में बनाएंगे। लेकिन ये राह इतनी आसान नहीं थी।एक्टर को इसके लिए काफी मशक्कत का सामना करना पड़ा। क्योंकि उस समय फिल्में बनाने के सामान सारे विदेश में मिलते थे। उन्हें इसके लिए इंग्लैंड जाना पड़ता था।इसके लिए उन्होंने अपने जीवन की पूंजी लगा दी।
पहली फिल्म बनाई
दादा की मेहनत रंग लाई और उन्होंने देश की पहली मूक फिल्म राजा हरिश्चंद्र बनाई। इसके बाद तो उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और ये कारवां बढ़ता रहा।आज बॉलीवुड इंडस्ट्री में दुनिया की सबसे ज्यादा फिल्में बनती हैं। अब इनका बजट भी अरबों में होता है और फिल्में भी धड़ल्ले से अरबों में कमाई कर रही हैं।
दादा साहेब ने राजा हरिश्चंद्र के अलावा मोहिनी भष्मासुर, कालिया मर्दन, श्री कृष्ण जन्म, लंगा दहन, सत्यवान सावित्री और गंगावतारण जैसी फिल्में बनाईं। उन्होंने अपनी पहली फिल्म साल 1913 में बनाई थी।दादा साहेब फाल्के के सम्मान में ही बॉलीवुड का या यूं कहें कि हिंदी सिनेमा का सबसे बड़ा सम्मान दादा साहेब फाल्के पुरस्कार दिया जाता है। साल 2023 में इस पुरस्कार के लिए दिग्गज एक्ट्रेस वहीदा रहमान के नाम की घोषणा की गई है।