8 मई 2022
रविवार
मेरी प्यारी सहेली,
पता है आज सुबह बेटी ने मदर्स डे पर मेरे रसोई में आते ही मोबाइल पर एक गाना लगाया और डांस करने लगी, साथ ही साथ मुझे प्यार भी कर रही थी।
सच बच्चों द्वारा इस प्रकार के प्यार से दिल भर आता है। वही बेटे को जब पता चला तो बोला मुझे एक दिन ही खुशी मनाना पसंद नहीं, हर दिन ही खुशी मनानी चाहिए।
उसका कहना भी कुछ हद तक ठीक ही है। शायद हम दिन विशेष को ज्यादा महत्व देते हैं, ना की खुशियों को। यह तो वैसे ही बात हो गई एक दिन केक काटकर मां को वृद्धाश्रम में छोड़ आना।
उनका ध्यान ना रखना। आज हम संबंधों को स्वार्थ की तराजू में तोड़ते हैं।
मन चाहे दुःखी हो पर हम दिखावा करने से नहीं चूकते। पहले केक कटवाना और उसे फेसबुक, इंस्टाग्राम पर टैग कर दिया जाना और इतिश्री कर लेना।
मतलब प्यार का इजहार, वह भी दिखावा।
जहां नि:स्वार्थ प्रेम का नाम लिया जाएगा,
जिसके लिए लिया जाएगा।
वह नाम मां होगा,
हर बार होगा, बार-बार होगा।
मां हमारी प्रकृति और हमारी भारत माता भी तो है। जिसे हम सदैव वंदनीय मानते हैं। प्रकृति हमें सहना सिखाती है सहनशील बनने का संदेश देती है। कहती है देना ही श्रेष्ठ है।
साथ ही प्रकृति की अद्भुत रचना स्त्री जो मां है उसे कोटि-कोटि नमन।
मां तो मां होती है। निस्वार्थ, प्रेम की मूर्ति, भगवान का दूसरा रूप, संतान के लिए ममता का आंचल और भी ना जाने कितना कुछ कहे शायद सब कुछ कम हो, एक मां के लिए। मां का प्यार, मां का आधार जिसको नहीं मिल पाता उसके दुःख की कल्पना की जा सकती है।
सदैव बच्चों को स्नेह की छाया में रखती हुई खुद ना जाने कितने दु:खों को धारण किए हुए रहती है, पर संतान पर आंच नहीं आने देती।
आज के लिए बस इतना ही, फिर मिलती हूं।