माँ शब्द को सुनते ही एक ऐसी आकृति नजरों के सामने आ जाती है जो बच्चों की चिन्ता में हर समय घुलती रहती है। उसकी दुनिया उसके पति और बच्चों के इर्दगिर्द घूमती रहती है। अपने घर-परिवार से आगे उसे कुछ भी नहीं दिखाई देता।
उन्हीं की खुशी के लिए वह अपना सारा जीवन ही समर्पित कर देती है। उनके सुख में सुखी होती है और उनके दुख में उदास हो जाती है। यानी कि घर-परिवार के सभी सदस्यों के सुख-दुख उसके अपने बन जाते हैं।
मनस्वी मनीषियों का यह मानना है कि गर्भावस्था में माता जैसे विचार रखती है अथवा जैसा आचरण वह करती है, उसी के अनुसार उसके बच्चे में भी संस्कार आते हैं। यदि माता उस समय प्रसन्न रहती है, अच्छी पुस्तकें पढ़ती है तो उसकी सन्तान खुशमिजाज व संस्कारी होती है। वह सबका सम्मान करने वाली होती है।
यदि माँ उस समय में लड़ाई-झगड़ा करती है या जोड़-तोड़ करने में लगी रहती है अथवा परेशान रहती है, तो उसके बच्चे में भी वैसे ही संस्कार आ जाते हैं। उसका बच्चा षडयन्त्र करने वाला और हर समय रोने-बिसूरने वाला ही होता है व स्वार्थी बनता है।
इसीलिए बड़े-बुजुर्ग उस समय माँ को सद्ग्रन्थ पढ़ने और सुविचार रखने का परामर्श देते हैं। इसका उदाहरण महाभारत काल के अर्जुन पुत्र अभिमन्यु का है, जिसने माता के गर्भ में चक्रव्यूह में प्रवेश करने की विधि सीख ली थी।
माता ने ही गार्गी, लोपामुद्रा जैसी वैदिक ऋषिकाओं को जन्म दिया। भगवती सीता, सावित्री और दमयन्ती जैसी महान विभूतियों को इस संसार में लाने का कार्य किया।
मर्यादा पुरुषोत्तम राम जैसे पुत्र और गीता का ज्ञान देने वाल परम ज्ञानी सन्तान श्रीकृष्ण को जन्म दिया। इनके महान गुणों से प्रभावित होकर कवियों ने अनेक कालजयी ग्रन्थ लिखे। उन ग्रन्थों का युगों युगों तक पारायण और मनन करके लोग भाव विभोर हो जाते हैं। इसीलिए हम इन्हें भगवान कहकर संबोधित करते हैं।
धन्य हैँ वे माताएँ जिन्होंने प्रह्लाद और ध्रुव जैसे ईश्वर के परम भक्त बालकों को जन्म दिया। नचिकेता जैसे आत्मज्ञानी बच्चों को जन्म दिया।
महाराणा प्रताप और वीर शिवाजी जैसे परम साहसी और शूरवीरों को जन्म दिया।
देश को स्वयं को समर्पित करने वाली चन्द्र शेखर आजाद, भगत सिह, राजगुरु जैसी अनेकानेक सन्तानों को जन्म दिया। सुभाष चन्द्र बोस जैसे अपने देश के हितचिन्तकों को जन्म दिया।
देश व धर्म की रक्षा के लिए अल्पायु में ही अत्याचारी मुगल शासक औरंगजेब द्वारा दीवार में चुनवा दिए गए उन चार सपूतों को जन्म दिया।
समाज का सुधार करने वाले तथा धर्म की रक्षा करने वाले स्वामी दयानन्द, महात्मा बुद्ध और महावीर जैसे करने वाले महामानवों को जन्म दिया।
ये तो कुछ उदाहरण मात्र हैं।माताओं ने अनेकानेक ऐसे महापुरुषों को जन्म दिया है जिन्होंने देश, धर्म और समाज की रक्षा की। इतिहास का अनुसंधान करने पर हम उन सब अनेक महानुभावों के विषय में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
धन्य हैं ऐसी माताएँ जिन्होंने बिना माथे पर शिकन लाए हँसते हुए अपने बच्चों को देश, धर्म और समाज के हित में स्वयं अपना बलिदान देने वाली इन सन्तानों को जन्म देने का सुकार्य किया।
यह सब उन्हीं महान माताओं के सुसंस्कारों का ही परिणाम है जिनकी पुण्यात्मा सन्तानों को संसार श्रद्धापूर्वक नतमस्तक होकर युगों तक स्मरण करता है। उनकी शौर्य गाथाएँ सुन-सुनकर वह बलिहारी होता रहता है।
चन्द्र प्रभा सूद
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