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आज़ादी का अमृत महोत्सव

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यह सभी जानते हैं कि 15 अगस्त 1947 को हमारा देश स्वतंत्र हुआ। यह हमारे राष्ट्रीय जीवन में हर्ष और उल्लास का दिन तो है ही इसके साथ ही स्वतंत्रता की खातिर अपने प्राण न्यौछावर करने वाले शहीदों का पुण्

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आज जो आजादी का अमृत महोत्सव माना रहे है।ये आजादी हमने बड़ी मुश्किल से पाई है ।बन्दी बने कितने सेनानी , कितनों ने शहादत पाई।खुली हवा में ले रहे सास ये उसका ही परिणामसारे जहा से अच्छा ,सुंदर ,प्यारा मेर

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14/8/2022प्रिय डायरी,                  आज शब्द.इन का शीर्षक है  हर घर तिरंगाआजादी के इस अमृत महोत्सव में हर घर तिरंगा अभियान से जुड़ते हम देशवासी

घर घर है तिरंगा अभियान।झंडा रहे भारत की शान।।आजाद है तो अमृत काल।पूर्ण हो रहा पचत्तर साल।।हर कोई झंडा फहराना।मिलकर भाईचारा जाना।।हम इस भारत के है वासी।चहुं दिशाओं रहते वासी।।अनेकता में एकता जाना।सर्व

लहर लहर लहराए तिरंगा, मेरे दिल को खूब भाए तिरंगा।नीला आसमान ये सजाए,मेरा दिल गीत वतन के गाए।।विश्व गुरू फिर भारत बनेगा,हर जन तरक्की की बात करेगा। सब जन तिरंगा लहराना, मस्त हवा संग झूम क

हम आजाद हिंद के वासी हैं, हम देश की आजादी पर गर्वित हैं  | पर यह आजादी आसान ना थी लाखों वीरों ने प्राणों की आहुति दी असंख्य वीर बहनों ने लाडले भैया की  राखी वाली कलाई को देश की रक्षा खातिर कुर्बान

आज़ादी के नायक आज भी दिल में बसे है,हिन्दुस्तानियों के कई नायक,हजारों की कोशिशों की बदौलत,आज़ादी हो पाईं है फलदायक।भगत, सुखदेव, चंद्रशेखर, गांधी,कितने गिनवाऊ आपको मैं नाम,विवेकानंद, फूले, शाहू, आ

आजादी के वीर सपूत जो गुमनामी में खो गये।जो देश प्रेम में भारत मां की गोदी में सो गये।।जो दिल में ज्वाला रखते थे दुश्मन के छक्के छुड़ाते थे।जो आजादी को पाने में,खून से लथपथ हो जाते थे।।कुछ गुमनाम हुए व

जो वंदे मातरम् बना हमारी आजादी का मूल मंत्र।जन गण मन गण गा कर के हम मना रहे गणतंत्र ।।मना रहे गणतंत्र भूल हम उसी वंदे मातरम् को।टैगोर हमको याद रहा भूल गये बंकिमचंद्र को।।जिस बंकिमचंद्र ने लिख डाली आनन

सीने में ज्वाला फफक उठी,भारत के वीर जवानों के।जय हिन्द का विजय घोष कर,खून खोला तन हिन्द जवानों के।।अब दासता का अंत कर देंगे,मरते दम ना चुप ना बैठेंगे।चाहे कितना भारी दुश्मन हो,हम उसको धूल चटा देंगे।।व

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*हिंदी दोहा बिषय- तिरंगा**1*जहाँ   तिरंगा   देखता , जुड़ते    #राना हाथ |जन  गण मन के गीत पर , उन्नत रखता माथ ||*2*नौ अग‌स्त व्यालीस को , #राना था  आव्हान |गोरो

कैसे कहूं कितने तूफानों को साथलिपटकर लाई आज़ादी की रात,जब चारों तरफ़ अंधेरे के साथ,रोशनी करने आई वी एक रात।दुनिया सारी थी सोई हुई रात में,हम इंतजार में थे 12 बजने के,जब हर्षो उल्हास से गाने जा रहे,हम

जो झूल गए फांसी फंदे,वे हमें छोड़कर चले गये।वे भूल गए दुनिया के सुख,वे हमें संदेशा दे चले गये।जननी के दर्द को भूल गए, जन्मभूमि गोद में समा गये।वे अपनी जिंदगी कुर्बान किये,वीर कहानी बना गये।टिकने ना दि

याद रहेगी वह रात सदा,आजादी की खुशियां जन-जन दिल में।वह याद कुर्बानी सदा,जो दे गये जान आजादी  जंग में।।रक्त रंजित होकर भी वे,पीछे ना कदम हटाये कभी।हंसते हंसते भारत भू पर,आजादी के सपने सजाए सभी।।जो

चिर आनंद हो उपवन का। सुधा सरस सी धारा बहती हो। गुंजित होता हो मधुकर के कलरव से। सुन्दर सा उपवन, चंदन से लेपित हो। तनिक प्रहर बीते, मैं शांति मन की पा लूं। हे कोकिल तुम बोलो, कहां पड़ाव मैं डालूं? जगमग

नहीं चाह तन की, ना धन चाहिएसुरक्षित धरा व गगन चाहिए ।लिया जन्म जिसमें , मेरी मातृभूमि हिफाजत करूं यह लगन चाहिए ।। सींचा लहू से जमीं को है हमनेजश्ने-आजादी दिया हमको जिसने ।रणबांकुरों की शहादत

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आज़ादी के ७५वें साल में,आज़ादी का अमृत महोत्सव मनायेंगे।याद करेंगे बलिदानों को,शहीदों के आगे शीश झुकायेंगे।।लेंगे सीख इन बलिदानों से,उनके आदर्शों को अपनाएंगे।खूब करेंगे मेहनत हम सब,देश को समृद्ध बनायेंग

🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 आज़ादी का मैं आज  अमृत महोत्सव मना रही हूं स्वतन्त्रता के  क़िस्से मैं सुन सुन कर ही  बड़ी हुई हूं। सुखदेव भगत सिंह और  अशफ़ाक उल्ला खां को हृदय से नमन कर रही हूं वो द

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  इन दिनों पूरे देश में हमारी स्वत्रंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने पर उसे 'अमृत महोत्सव' के रूप में मनाने की धूम मची हुई है। यह महोत्सव विविध उद्देश्य पूर्ति के लिए देश भर में मनाया जा रहा है।  जहाँ ए

  “अंधेरे  घर  का  उजाला  था“ वो  जो देश की ख़ातिर सरहद पर शहीद हुआ । अपनी माँ की बाँहों को तरसता छोड़ आया वो फ़र्ज़ निभाते धरती माँ को जीवन समर्पित किया।। यू तो प्यार तुमसे भी बहुत हैं ये कह

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